धर्मेन्द्र राघव अलीगढ़ (ईएमएस)। आरटीओ दफ्तर के अंदर और बाहर दलालों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है। यह आने वाले लोगों को बरगलाकर उनका काम अपने हाथों में ले लेते हैं। इसके बाद मनमानी रकम बसूलते हुए लोगों के काम किये जाते हैं। काम कराने आ रहे लोग भी सरकारी सिस्टम के चलते इनसे कार्य करवाने के लिए राजी हो जाते हैं। जबकि लाइसेंस को छोड़कर सभी काम विंडो के माध्यम से किये जा रहे हैं, लेकिन विंडो तक पहुंचने में दलाल अड़चन पैदा करते हैं। हमारे संवाददाता ने जब विभागीय पड़ताल की तो पता चला कि दलाल काम अटकने का हवाला देकर खुद करवाने की कहते हैं। इतना ही नहीं अन्य तरीके की समस्याएं बताते हुए कहते हैं काम जल्दी हो जाएगा। आनलाइन पोर्टल आने से पहले भी यही हालात रहते थे। टैक्नोलॉजी की जानकारी न होने पर लोग मनमानी रकम भी देने को तैयार हो जाते हैं। बड़े वाहनों की फिटनेस कर रहे दलाल यही नहीं बड़े वाहनों जैसे ट्रक और बसों कारों की फिटनेस से लेकर आरसी तक के काम दलालों के माध्यम से कराये जा रहे हैं। पूर्व जिलाधिकारी ने छापा मारकर दलालों को खदेड़ा था,लेकिन विभागीय उदासीनता और पनपे भ्रष्टाचार के चलते दलाल दोबारा से सक्रिय हो गये हैं और लोगों की जेबें पर खुलेआम डाका ड़ाल रहे हैं,विभागीय अधिकारी और प्रशासन दलालों के खिलाफ कार्यवाही करने के नाम पर कुम्भकर्णीय नींद में सो रहा हैं। सरकारी दफ्तर है या दलालों का अड्डा संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय यहां यह फर्क करना मुश्किल है कि यह सरकारी दफ्तर है या दलालों का अड्डा। जीटी रोड पर रुकते ही दलाल सिनेमा हॉल के ब्लैकियर की तरह पब्लिक को घेर लेते हैं। यदि आपके पास निवास प्रमाण पत्र नहीं है तो 800 रुपये लेकर 20 दिन के अंदर बनवाने का वचन देते हैं। मतलब लाइसेंस बनवाने से संबंधित सारा कार्य दलाल ही कराते है। गुरुवार को जब ‘अमर उजाला’ की टीम आरटीओ दफ्तर पहुंची तो वहां का ‘सच’ सामने था। कार्यालय में दलाल ऐसे प्रवेश कर रहे थे, जैसे वहां के कर्मचारी हों। भले ही पब्लिक लाइन में लगी हो, लेकिन इनका काम ताल ठोककर सबसे पहले होता है। खिड़की के पास इनकी स्थिति ‘दादाओं’ की तरह है। न शासन का डर और न प्रशासन का। पब्लिक विरोध करे तो पिटने की नौबत होती है। जी हाँ, अलीगढ़ आरटीओ कार्यालय में ऑनलाइन सेवाओं के बावजूद दलालों की मौजूदगी और उनके प्रवेश की समस्या बनी हुई है। इस मुद्दे पर समाचार रिपोर्टें और स्थानीय शिकायतें अक्सर सामने आती रहती हैं, जिनमें बताया जाता है कि लोग अभी भी कई कामों के लिए सीधे दलालों के पास जाने को मजबूर हैं। मुख्य बिंदुः समस्या की निरंतरताः ऑनलाइन प्रणाली लागू होने के बावजूद, दलाल सक्रिय हैं और आवेदकों को ड्राइविंग लाइसेंस, फिटनेस प्रमाण पत्र, और अन्य कार्यों के लिए अपने जाल में फंसाते हैं। प्रशासनिक कार्रवाईः जिलाधिकारी (क्ड) द्वारा कार्यालय पर कई बार छापेमारी की कार्रवाई की गई है। दलालों के दावेः कुछ दलाल तो बिना टेस्ट दिए, केवल फोटो खिंचवाने के लिए बुलाकर लाइसेंस बनवाने का दावा करते हैं, जिसके लिए वे एक निश्चित रकम (जैसे 6000) लेते हैं। शिकायतें और प्रभावःआवेदकों की शिकायत है कि कई कर्मचारी भी स्वच्छ रूप से काम नहीं करते हैं, जिसके कारण उन्हें एजेंटों की जरूरत पड़ती है। दलालों के कारण कार्यालय का कार्य प्रभावित होता है और आम जनता को परेशानी होती है। यह दर्शाता है कि समस्या अभी भी बनी हुई है और प्रशासन द्वारा समय-समय पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन पूरी तरह से दलालों के प्रवेश को रोका नहीं जा सका है। ईएमएस / 05/11/2025