नई दिल्ली (ईएमएस)। अगर किडनी डैमेज के शुरुआती लक्षणों को समय रहते पहचान लिया जाए, तो कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। इनमें से कुछ संकेत हमारे पेशाब के जरिए सामने आते हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। यूरिन में झाग आना किडनी डैमेज का पहला चेतावनी संकेत हो सकता है। हालांकि थोड़ा बहुत झाग बनना सामान्य बात है, लेकिन अगर झाग अधिक मात्रा में बने और फ्लश करने के बाद भी बना रहे, तो यह किडनी की खराबी का संकेत है। इसे मेडिकल भाषा में प्रोटीन्यूरिया कहा जाता है, जिसमें किडनी ब्लड में मौजूद प्रोटीन को फिल्टर करने की बजाय लीक करने लगती है। यह स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि किडनी की फिल्टरिंग क्षमता प्रभावित हो चुकी है। किडनी की स्थिति यूरिन के रंग से भी समझी जा सकती है। सामान्य स्थिति में यूरिन हल्के पीले रंग का होता है, लेकिन अगर यह गहरा पीला या नारंगी रंग का दिखे, तो यह डिहाइड्रेशन का संकेत हो सकता है, जो लंबे समय तक रहने पर किडनी पर दबाव डालता है। वहीं लाल या गुलाबी रंग का यूरिन यूरिन में खून की मौजूदगी दर्शाता है, जो किडनी में इंफेक्शन, पथरी, सिस्ट या सूजन जैसी स्थितियों के कारण हो सकता है। कोला या चाय जैसा गहरा रंग दिखने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि यह गंभीर किडनी रोग का लक्षण हो सकता है। यूरिन की मात्रा में अचानक बदलाव भी किडनी के असंतुलन का संकेत देता है। अगर बार-बार पेशाब आने लगे, विशेषकर रात के समय, या फिर पेशाब की मात्रा सामान्य से बहुत कम हो जाए, तो यह किडनी फेलियर का लक्षण हो सकता है। इसके साथ ही यूरिन करते समय दर्द या जलन महसूस होना भी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का संकेत है, जो अगर बार-बार होता रहे तो किडनी तक पहुंचकर स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है। एक और सामान्य लेकिन अनदेखा किया जाने वाला लक्षण है यूरिन से तेज या असामान्य गंध आना। जब किडनी ठीक से काम नहीं करती, तो शरीर में टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं, जिससे यूरिन की गंध तीखी या बदबूदार हो जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूरिन में दिखाई देने वाले ये बदलाव किडनी डैमेज की शुरुआती चेतावनी हो सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, किडनी शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है, जो खून से विषैले तत्वों और अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर कर उन्हें मूत्र के जरिए बाहर निकालती है। जब किडनी सही तरीके से काम करना बंद कर देती है, तो शरीर में टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं, जिससे कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सुदामा/ईएमएस 06 नवंबर 2025