गेवरा खदान से प्रभावित ग्राम नराईबोध के लोगों को बसाया जाएगा कुसमुंडा फोरलेन के पास * प्रस्तावित स्थल पर लगाया बोर्ड कोरबा (ईएमएस) सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया की अनुसांगिक कंपनी एसईसीएल बिलासपुर के अधीन कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की गेवरा खदान से प्रभावित ग्राम नराईबोध के निवासियों के पुनर्वास के लिए कुसमुंडा क्षेत्र में बसाहट की तैयारी शुरू हो गई है। जानकारी देते हुए बताया जा रहा हैं की कुसमुंडा फोरलेन के किनारे प्रस्तावित बसाहट स्थल का चयन कर लिया गया है और एसईसीएल प्रबंधन ने यहां स्थल चयन संबंधी बोर्ड भी स्थापित कर दिया है। इसके साथ ही आगे की प्रक्रिया तेज कर दी गई हैं। ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कोयला उत्पादन में तेजी लाने की कवायद चल रही है। इसी के तहत गेवरा खदान के आगे विस्तार की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, प्रबंधन प्रभावित गांवों के पुनर्वास से जुड़ी व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने में जुटा है। गेवरा विस्तार से प्रभावित होने वाले नराईबोध ग्राम के परिवारों को बसाहट उपलब्ध कराने के लिए स्थल चिन्हित करने के साथ ही आगे की प्रक्रिया जारी है। प्रस्तावित बसाहट स्थल कुसमुंडा एवं मुख्य शहर कोरबा से अधिक दूरी पर नहीं है। पुनर्वास स्थल संबंधित प्रक्रिया पूर्ण होते ही इस जगह पर बसाहट के लिए जरूरी सड़क, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाएं एवं अन्य बुनियादी जरूरतों के विकास की तैयारी भी की जाएगी। इधर नराईबोध के लोगों ने प्रबंधन से कहा है कि प्रस्तावित क्षेत्र में सभी आवश्यक सुविधाएं समय रहते उपलब्ध कराई जानी चाहिए। ग्राम नराईबोध के ग्रामीणों की बसाहट के लिए प्रस्तावित स्थल पर लगाए गए बोर्ड में इसका भी उल्लेख किया गया है कि पहले स्टेज पर यहां 137 प्लॉट तैयार किए जाएंगे, वहीं दूसरे स्टेज में लगभग 196 प्लाट पर लोगों को बसाहट देने की तैयारी है। बताया जा रहा है कि जहां जमीन का चिन्हांकन किया गया है वहां लगभग 74 एकड़ जमीन पर बसाहट को लेकर तैयारियां की जा रही है। इसकी प्रक्रिया जारी है। फिलहाल ग्राम नराइबोध के ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम में प्रभावित होने वाले परिवारों की संख्या 600 से अधिक है। ऐसे में ग्राम के सभी लोगों के बसाहट के लिए और अधिक जमीन की आवश्यकता होगी। प्रबंधन से कहा गया है कि बसाहट के लिए पहले सभी तरह की सुविधाएं प्रबंधन को उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि आगे कोई समस्या निर्मित न हो सके। * कुसमुंडा प्रभावित ग्राम खोडरी के लिए खम्हरिया में चल रहा बसाहट का कार्य गेवरा खदान प्रभावित ग्राम नराईबोध के लोगों की बसाहट के लिए जहां कुसमुंडा फोरलेन के पास जहां सर्वसुविधायुक्त बसाहट की तैयारी की जा रही है। वहीं एसईसीएल कुसमुंडा खदान से प्रभावित ग्राम खोडरी के लिए कुसमुंडा के ग्राम खम्हरिया में बसाहट की सुविधाएं विकसित करने का कार्य एसईसीएल प्रबंधन की ओर से कराया जा रहा है। कुछ माह पहले एसईसीएल के सीएमडी ने ग्राम खम्हारिया का निरीक्षण किया था और अधिकारियों को यहां सर्वसुविधायुक्त बसाहट को लेकर निर्देश दिए थे। जिले में एसईसीएल के कोयला खदानों के विस्तार के लिए खदान प्रभावित ग्राम के लोगों की बसाहट का मुद्दा भी प्रमुख समस्या है। ग्रामीण वर्तमान में रोजगार, मुआवजा के साथ बसाहट से जुड़ी समस्याओं को लेकर प्रबंधन के सामने नजर आते हैं। * प्रस्तावित स्थल के आसपास बेजा कब्जाधारी भी सक्रिय कुसमुंडा फोरलेन सड़क के निर्माण के बाद समय के साथ-साथ इसके किनारे अवैध कब्जाधारी भी सक्रिय हो गए हैं। वर्तमान में भी इस प्रस्तावित स्थल के पास अवैध कब्जा की होड़ लगी हुई है। बेजा कब्जाधारियों की नजर यहां की जमीन पर लगी हुई है। हालांकि आने वाले समय मे बसाहट के मद्देनजर यहां से अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही होना भी तय है। एसईसीएल की गेवरा खदान से प्रभावित गांव नराईबोध के निवासियों के पुनर्वास के लिए कुसमुंडा क्षेत्र में बसाहट की तैयारी शुरू हो गई है। कुसमुंडा फोरलेन के किनारे प्रस्तावित बसाहट स्थल का चयन कर लिया गया है और एसईसीएल प्रबंधन ने यहां स्थल चयन संबंधी बोर्ड भी स्थापित कर दिया है। इसके साथ ही आगे की प्रक्रिया तेज कर दी गई हैं।