कांकेर(ईएमएस)। आदिवासी समाज ने असमय बारिश और बदलते मौसम को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। कांकेर जिले के मुरवंडी गांव में आयोजित एक बड़ी बैठक में 9 परगना के 100 से अधिक गांवों के गायता, पटेल, मांझी, पेनो, देव प्रमुख, ग्राम प्रमुख, सरपंच और सामाजिक पदाधिकारी एकत्र हुए और प्रकृति के असंतुलन को लेकर देवताओं से संवाद किया। बैठक में यह निष्कर्ष निकला कि आदिवासियों के देवी-देवता, लेयाह, गढ़, पहाड़, नदियों और जंगलों में निवास करते हैं, लेकिन देवस्थलों से हो रही छेड़छाड़ और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन ही पर्यावरणीय असंतुलन और आपदाओं का मुख्य कारण बन रहा है। प्रमुख गायता सुकमु आंचला, डोकरी पेनो गुंदुल हुंडी पोटाई, देवसाय वड्डे, पेनो उसेह डोकरा, चलूंनदार अगदू आंचला, बिड्रल पुजारी सामको धुर्वा और परगना मांझी रतु पोटाई ने कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ रोकना ही पर्यावरण की रक्षा का मूल उपाय है। उन्होंने कहा कि असमय बारिश, सूखा और जलवायु में बदलाव मानवजनित कारणों से हो रहा है, जिसका दुष्परिणाम सभी को भुगतना पड़ रहा है। बैठक में उपस्थित सभी गायता, पुजारी और सामाजिक संगठनों ने वनों की सुरक्षा, पहाड़ियों पर बसे देवस्थलों की रक्षा, और जल-जंगल-जमीन को बचाने का सामूहिक संकल्प लिया।इस अवसर पर 14 भाई और 18 भूमकाल पेन, जो आदिवासी परंपरा और प्रकृति से गहराई से जुड़े हैं, भी उपस्थित रहे। बैठक में सुरेवाही, कल्पर, क्रिंगल, बंडा, लोहतर, गुरवंडी, पदाल, कोलेर, भोमरा परगना सहित 100 से अधिक गांवों के प्रतिनिधि शामिल हुए।