* वैकल्पिक व्यवस्था पर संशय गहराया * 45 उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी की जताई जा रही आशंका * किसानों में बढ़ी चिंता * सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल से बिगड़ा समीकरण कोरबा (ईएमएस) छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित कोरबा जिले में समर्थन मूल्य पर 15 नवंबर से धान खरीदी अभियान की शुरुआत हो रही है, लेकिन खरीदी का आगाज होते ही प्रदेशभर में सहकारी समिति कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल ने सरकार और जिला प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। कोरबा जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विभागीय कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है, मगर जिम्मेदारी मिलते ही ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (RAEO) और कृषि विकास अधिकारी (SADO) ने ड्यूटी से मुक्त करने का आग्रह करते हुए जिला प्रशासन को संयुक्त ज्ञापन सौंप दिया है। अधिकारी संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि वे धान खरीदी अभियान में “स्वयं को पृथक” रखेंगे। इस कदम ने वैकल्पिक व्यवस्था की पूरी जड़ हिला दी है। यदि समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो 65 में से 45 से अधिक उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी के हालात बन सकते हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ के 2058 सहकारी समितियों के कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 12 नवंबर से बेमियादी हड़ताल पर हैं। प्रबंधक, विक्रेता, डेटा एंट्री ऑपरेटर, चौकीदार और हमाल के भी काम छोड़ देने से धान खरीदी व्यवस्था चरमरा गई है। अनुभवहीन कर्मचारियों को अचानक उपार्जन केंद्रों पर बैठाने की व्यवस्था पर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। ऑनलाइन पोर्टल संचालन, किसान पंजीयन, गुणवत्ता परीक्षण, तौल-पर्ची, भुगतान मैपिंग जैसे कार्य अत्यधिक तकनीकी और अनुभव आधारित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ घंटों की ट्रेनिंग से यह काम संभाल पाना कठिन है। जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष संजय कुमार सोनवानी के नेतृत्व में लगभग 50 RAEO और SADO ने कलेक्टोरेट पहुंचकर ड्यूटी से मुक्त करने का ज्ञापन सौंपा। संघ ने तर्क दिया हैं कि कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा प्रबंधकीय ड्यूटी नहीं लगाने का निर्देश पहले ही जारी किया गया है। कृषि विभाग के RAEO/SADO इस समय रबी फसल लक्ष्यों की पूर्ति, आदान सामग्री वितरण, पीएम फसल बीमा, फसल कटाई प्रयोग, पीएम किसान सम्मान निधि, भू-सत्यापन, ई-केवाईसी, भूमि सीडिंग, मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण और एग्रिस्टैक कार्यों में पूरी तरह व्यस्त हैं। इसलिए उपार्जन केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी का अतिरिक्त भार देना व्यवहारिक नहीं है। जिला प्रशासन ने केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी की नियुक्ति तो कर दी है, लेकिन विक्रेता (फड़ प्रभारी), डेटा एंट्री ऑपरेटर, बारदाना प्रभारी, हमाल इन सभी पदों पर पृथक आदेश जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में यक्ष प्रश्न खड़ा है कि क्या “उधार के प्रभारी” इन सभी तकनीकी और श्रमप्रधान कार्यों का संचालन कर पाएंगे ? विभागीय कर्मचारी स्वयं कह रहे हैं कि ऑनलाइन खरीदी प्रणाली हाई-टेक और जटिल है, जिसे सम्हालने में अनुभव की आवश्यकता होती है। कोरबा जिले में वर्ष 2025-26 के लिए 31 लाख 19 हजार 640 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एग्रिस्टैक पोर्टल में पंजीकृत लगभग 49 हजार किसानों से धान खरीदी की जाएगी। मार्कफेड को 15,598 गठान बारदाने का लक्ष्य दिया गया है, जिनमें से लगभग 13 हजार गठान समितियों में पहुंच चुके हैं। पहले दिन की बोहनी उपार्जन केंद्र सोनपुरी से होगी, जहां एक किसान का ऑनलाइन टोकन भी कट चुका है। जैसे-जैसे खरीदी शुरू होने की घड़ी नज़दीक आ रही है, प्रशासन के सामने चुनौती और गंभीर हो रही है। RAEO और SADO के पीछे हटने के बाद धान खरीदी की वैकल्पिक व्यवस्था अधर में लटक गई है। यदि तुरंत समाधान नहीं निकला, तो किसान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था, देरी और संभावित तालाबंदी की मार झेल सकते हैं। जिले में आज से खरीदी तो शुरू हो जाएगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है की क्या बिना अनुभव वाले अस्थायी प्रभारी धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया सुचारू चला पाएंगे, या फिर किसानों को इस बार भारी परेशानी सहनी पड़ेगी ?सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल के बीच धान खरीदी अभियान आज से होगा शुरू * वैकल्पिक व्यवस्था पर संशय गहराया * 45 उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी की जताई जा रही आशंका * किसानों में बढ़ी चिंता * सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल से बिगड़ा समीकरण कोरबा (ईएमएस) छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित कोरबा जिले में समर्थन मूल्य पर 15 नवंबर से धान खरीदी अभियान की शुरुआत हो रही है, लेकिन खरीदी का आगाज होते ही प्रदेशभर में सहकारी समिति कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल ने सरकार और जिला प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। कोरबा जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विभागीय कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है, मगर जिम्मेदारी मिलते ही ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (RAEO) और कृषि विकास अधिकारी (SADO) ने ड्यूटी से मुक्त करने का आग्रह करते हुए जिला प्रशासन को संयुक्त ज्ञापन सौंप दिया है। अधिकारी संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि वे धान खरीदी अभियान में “स्वयं को पृथक” रखेंगे। इस कदम ने वैकल्पिक व्यवस्था की पूरी जड़ हिला दी है। यदि समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो 65 में से 45 से अधिक उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी के हालात बन सकते हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ के 2058 सहकारी समितियों के कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 12 नवंबर से बेमियादी हड़ताल पर हैं। प्रबंधक, विक्रेता, डेटा एंट्री ऑपरेटर, चौकीदार और हमाल के भी काम छोड़ देने से धान खरीदी व्यवस्था चरमरा गई है। अनुभवहीन कर्मचारियों को अचानक उपार्जन केंद्रों पर बैठाने की व्यवस्था पर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। ऑनलाइन पोर्टल संचालन, किसान पंजीयन, गुणवत्ता परीक्षण, तौल-पर्ची, भुगतान मैपिंग जैसे कार्य अत्यधिक तकनीकी और अनुभव आधारित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ घंटों की ट्रेनिंग से यह काम संभाल पाना कठिन है। जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष संजय कुमार सोनवानी के नेतृत्व में लगभग 50 RAEO और SADO ने कलेक्टोरेट पहुंचकर ड्यूटी से मुक्त करने का ज्ञापन सौंपा। संघ ने तर्क दिया हैं कि कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा प्रबंधकीय ड्यूटी नहीं लगाने का निर्देश पहले ही जारी किया गया है। कृषि विभाग के RAEO/SADO इस समय रबी फसल लक्ष्यों की पूर्ति, आदान सामग्री वितरण, पीएम फसल बीमा, फसल कटाई प्रयोग, पीएम किसान सम्मान निधि, भू-सत्यापन, ई-केवाईसी, भूमि सीडिंग, मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण और एग्रिस्टैक कार्यों में पूरी तरह व्यस्त हैं। इसलिए उपार्जन केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी का अतिरिक्त भार देना व्यवहारिक नहीं है। जिला प्रशासन ने केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी की नियुक्ति तो कर दी है, लेकिन विक्रेता (फड़ प्रभारी), डेटा एंट्री ऑपरेटर, बारदाना प्रभारी, हमाल इन सभी पदों पर पृथक आदेश जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में यक्ष प्रश्न खड़ा है कि क्या “उधार के प्रभारी” इन सभी तकनीकी और श्रमप्रधान कार्यों का संचालन कर पाएंगे ? विभागीय कर्मचारी स्वयं कह रहे हैं कि ऑनलाइन खरीदी प्रणाली हाई-टेक और जटिल है, जिसे सम्हालने में अनुभव की आवश्यकता होती है। कोरबा जिले में वर्ष 2025-26 के लिए 31 लाख 19 हजार 640 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एग्रिस्टैक पोर्टल में पंजीकृत लगभग 49 हजार किसानों से धान खरीदी की जाएगी। मार्कफेड को 15,598 गठान बारदाने का लक्ष्य दिया गया है, जिनमें से लगभग 13 हजार गठान समितियों में पहुंच चुके हैं। पहले दिन की बोहनी उपार्जन केंद्र सोनपुरी से होगी, जहां एक किसान का ऑनलाइन टोकन भी कट चुका है। जैसे-जैसे खरीदी शुरू होने की घड़ी नज़दीक आ रही है, प्रशासन के सामने चुनौती और गंभीर हो रही है। RAEO और SADO के पीछे हटने के बाद धान खरीदी की वैकल्पिक व्यवस्था अधर में लटक गई है। यदि तुरंत समाधान नहीं निकला, तो किसान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था, देरी और संभावित तालाबंदी की मार झेल सकते हैं। जिले में आज से खरीदी तो शुरू हो जाएगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है की क्या बिना अनुभव वाले अस्थायी प्रभारी धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया सुचारू चला पाएंगे, या फिर किसानों को इस बार भारी परेशानी सहनी पड़ेगी ?सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल के बीच धान खरीदी अभियान आज से होगा शुरू * वैकल्पिक व्यवस्था पर संशय गहराया * 45 उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी की जताई जा रही आशंका * किसानों में बढ़ी चिंता * सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल से बिगड़ा समीकरण कोरबा (ईएमएस) छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित कोरबा जिले में समर्थन मूल्य पर 15 नवंबर से धान खरीदी अभियान की शुरुआत हो रही है, लेकिन खरीदी का आगाज होते ही प्रदेशभर में सहकारी समिति कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल ने सरकार और जिला प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। कोरबा जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विभागीय कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है, मगर जिम्मेदारी मिलते ही ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (RAEO) और कृषि विकास अधिकारी (SADO) ने ड्यूटी से मुक्त करने का आग्रह करते हुए जिला प्रशासन को संयुक्त ज्ञापन सौंप दिया है। अधिकारी संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि वे धान खरीदी अभियान में “स्वयं को पृथक” रखेंगे। इस कदम ने वैकल्पिक व्यवस्था की पूरी जड़ हिला दी है। यदि समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो 65 में से 45 से अधिक उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी के हालात बन सकते हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ के 2058 सहकारी समितियों के कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 12 नवंबर से बेमियादी हड़ताल पर हैं। प्रबंधक, विक्रेता, डेटा एंट्री ऑपरेटर, चौकीदार और हमाल के भी काम छोड़ देने से धान खरीदी व्यवस्था चरमरा गई है। अनुभवहीन कर्मचारियों को अचानक उपार्जन केंद्रों पर बैठाने की व्यवस्था पर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। ऑनलाइन पोर्टल संचालन, किसान पंजीयन, गुणवत्ता परीक्षण, तौल-पर्ची, भुगतान मैपिंग जैसे कार्य अत्यधिक तकनीकी और अनुभव आधारित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ घंटों की ट्रेनिंग से यह काम संभाल पाना कठिन है। जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष संजय कुमार सोनवानी के नेतृत्व में लगभग 50 RAEO और SADO ने कलेक्टोरेट पहुंचकर ड्यूटी से मुक्त करने का ज्ञापन सौंपा। संघ ने तर्क दिया हैं कि कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा प्रबंधकीय ड्यूटी नहीं लगाने का निर्देश पहले ही जारी किया गया है। कृषि विभाग के RAEO/SADO इस समय रबी फसल लक्ष्यों की पूर्ति, आदान सामग्री वितरण, पीएम फसल बीमा, फसल कटाई प्रयोग, पीएम किसान सम्मान निधि, भू-सत्यापन, ई-केवाईसी, भूमि सीडिंग, मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण और एग्रिस्टैक कार्यों में पूरी तरह व्यस्त हैं। इसलिए उपार्जन केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी का अतिरिक्त भार देना व्यवहारिक नहीं है। जिला प्रशासन ने केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी की नियुक्ति तो कर दी है, लेकिन विक्रेता (फड़ प्रभारी), डेटा एंट्री ऑपरेटर, बारदाना प्रभारी, हमाल इन सभी पदों पर पृथक आदेश जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में यक्ष प्रश्न खड़ा है कि क्या “उधार के प्रभारी” इन सभी तकनीकी और श्रमप्रधान कार्यों का संचालन कर पाएंगे ? विभागीय कर्मचारी स्वयं कह रहे हैं कि ऑनलाइन खरीदी प्रणाली हाई-टेक और जटिल है, जिसे सम्हालने में अनुभव की आवश्यकता होती है। कोरबा जिले में वर्ष 2025-26 के लिए 31 लाख 19 हजार 640 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एग्रिस्टैक पोर्टल में पंजीकृत लगभग 49 हजार किसानों से धान खरीदी की जाएगी। मार्कफेड को 15,598 गठान बारदाने का लक्ष्य दिया गया है, जिनमें से लगभग 13 हजार गठान समितियों में पहुंच चुके हैं। पहले दिन की बोहनी उपार्जन केंद्र सोनपुरी से होगी, जहां एक किसान का ऑनलाइन टोकन भी कट चुका है। जैसे-जैसे खरीदी शुरू होने की घड़ी नज़दीक आ रही है, प्रशासन के सामने चुनौती और गंभीर हो रही है। RAEO और SADO के पीछे हटने के बाद धान खरीदी की वैकल्पिक व्यवस्था अधर में लटक गई है। यदि तुरंत समाधान नहीं निकला, तो किसान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था, देरी और संभावित तालाबंदी की मार झेल सकते हैं। जिले में आज से खरीदी तो शुरू हो जाएगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है की क्या बिना अनुभव वाले अस्थायी प्रभारी धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया सुचारू चला पाएंगे, या फिर किसानों को इस बार भारी परेशानी सहनी पड़ेगी ?सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल के बीच धान खरीदी अभियान आज से होगा शुरू * वैकल्पिक व्यवस्था पर संशय गहराया * 45 उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी की जताई जा रही आशंका * किसानों में बढ़ी चिंता * सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल से बिगड़ा समीकरण कोरबा (ईएमएस) छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित कोरबा जिले में समर्थन मूल्य पर 15 नवंबर से धान खरीदी अभियान की शुरुआत हो रही है, लेकिन खरीदी का आगाज होते ही प्रदेशभर में सहकारी समिति कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल ने सरकार और जिला प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। कोरबा जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विभागीय कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है, मगर जिम्मेदारी मिलते ही ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (RAEO) और कृषि विकास अधिकारी (SADO) ने ड्यूटी से मुक्त करने का आग्रह करते हुए जिला प्रशासन को संयुक्त ज्ञापन सौंप दिया है। अधिकारी संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि वे धान खरीदी अभियान में “स्वयं को पृथक” रखेंगे। इस कदम ने वैकल्पिक व्यवस्था की पूरी जड़ हिला दी है। यदि समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो 65 में से 45 से अधिक उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी के हालात बन सकते हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ के 2058 सहकारी समितियों के कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 12 नवंबर से बेमियादी हड़ताल पर हैं। प्रबंधक, विक्रेता, डेटा एंट्री ऑपरेटर, चौकीदार और हमाल के भी काम छोड़ देने से धान खरीदी व्यवस्था चरमरा गई है। अनुभवहीन कर्मचारियों को अचानक उपार्जन केंद्रों पर बैठाने की व्यवस्था पर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। ऑनलाइन पोर्टल संचालन, किसान पंजीयन, गुणवत्ता परीक्षण, तौल-पर्ची, भुगतान मैपिंग जैसे कार्य अत्यधिक तकनीकी और अनुभव आधारित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ घंटों की ट्रेनिंग से यह काम संभाल पाना कठिन है। जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष संजय कुमार सोनवानी के नेतृत्व में लगभग 50 RAEO और SADO ने कलेक्टोरेट पहुंचकर ड्यूटी से मुक्त करने का ज्ञापन सौंपा। संघ ने तर्क दिया हैं कि कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा प्रबंधकीय ड्यूटी नहीं लगाने का निर्देश पहले ही जारी किया गया है। कृषि विभाग के RAEO/SADO इस समय रबी फसल लक्ष्यों की पूर्ति, आदान सामग्री वितरण, पीएम फसल बीमा, फसल कटाई प्रयोग, पीएम किसान सम्मान निधि, भू-सत्यापन, ई-केवाईसी, भूमि सीडिंग, मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण और एग्रिस्टैक कार्यों में पूरी तरह व्यस्त हैं। इसलिए उपार्जन केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी का अतिरिक्त भार देना व्यवहारिक नहीं है। जिला प्रशासन ने केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी की नियुक्ति तो कर दी है, लेकिन विक्रेता (फड़ प्रभारी), डेटा एंट्री ऑपरेटर, बारदाना प्रभारी, हमाल इन सभी पदों पर पृथक आदेश जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में यक्ष प्रश्न खड़ा है कि क्या “उधार के प्रभारी” इन सभी तकनीकी और श्रमप्रधान कार्यों का संचालन कर पाएंगे ? विभागीय कर्मचारी स्वयं कह रहे हैं कि ऑनलाइन खरीदी प्रणाली हाई-टेक और जटिल है, जिसे सम्हालने में अनुभव की आवश्यकता होती है। कोरबा जिले में वर्ष 2025-26 के लिए 31 लाख 19 हजार 640 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एग्रिस्टैक पोर्टल में पंजीकृत लगभग 49 हजार किसानों से धान खरीदी की जाएगी। मार्कफेड को 15,598 गठान बारदाने का लक्ष्य दिया गया है, जिनमें से लगभग 13 हजार गठान समितियों में पहुंच चुके हैं। पहले दिन की बोहनी उपार्जन केंद्र सोनपुरी से होगी, जहां एक किसान का ऑनलाइन टोकन भी कट चुका है। जैसे-जैसे खरीदी शुरू होने की घड़ी नज़दीक आ रही है, प्रशासन के सामने चुनौती और गंभीर हो रही है। RAEO और SADO के पीछे हटने के बाद धान खरीदी की वैकल्पिक व्यवस्था अधर में लटक गई है। यदि तुरंत समाधान नहीं निकला, तो किसान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था, देरी और संभावित तालाबंदी की मार झेल सकते हैं। जिले में आज से खरीदी तो शुरू हो जाएगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है की क्या बिना अनुभव वाले अस्थायी प्रभारी धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया सुचारू चला पाएंगे, या फिर किसानों को इस बार भारी परेशानी सहनी पड़ेगी ?सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल के बीच धान खरीदी अभियान आज से होगा शुरू * वैकल्पिक व्यवस्था पर संशय गहराया * 45 उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी की जताई जा रही आशंका * किसानों में बढ़ी चिंता * सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल से बिगड़ा समीकरण कोरबा (ईएमएस) छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित कोरबा जिले में समर्थन मूल्य पर 15 नवंबर से धान खरीदी अभियान की शुरुआत हो रही है, लेकिन खरीदी का आगाज होते ही प्रदेशभर में सहकारी समिति कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल ने सरकार और जिला प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। कोरबा जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विभागीय कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है, मगर जिम्मेदारी मिलते ही ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (RAEO) और कृषि विकास अधिकारी (SADO) ने ड्यूटी से मुक्त करने का आग्रह करते हुए जिला प्रशासन को संयुक्त ज्ञापन सौंप दिया है। अधिकारी संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि वे धान खरीदी अभियान में “स्वयं को पृथक” रखेंगे। इस कदम ने वैकल्पिक व्यवस्था की पूरी जड़ हिला दी है। यदि समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो 65 में से 45 से अधिक उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी के हालात बन सकते हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ के 2058 सहकारी समितियों के कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 12 नवंबर से बेमियादी हड़ताल पर हैं। प्रबंधक, विक्रेता, डेटा एंट्री ऑपरेटर, चौकीदार और हमाल के भी काम छोड़ देने से धान खरीदी व्यवस्था चरमरा गई है। अनुभवहीन कर्मचारियों को अचानक उपार्जन केंद्रों पर बैठाने की व्यवस्था पर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। ऑनलाइन पोर्टल संचालन, किसान पंजीयन, गुणवत्ता परीक्षण, तौल-पर्ची, भुगतान मैपिंग जैसे कार्य अत्यधिक तकनीकी और अनुभव आधारित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ घंटों की ट्रेनिंग से यह काम संभाल पाना कठिन है। जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष संजय कुमार सोनवानी के नेतृत्व में लगभग 50 RAEO और SADO ने कलेक्टोरेट पहुंचकर ड्यूटी से मुक्त करने का ज्ञापन सौंपा। संघ ने तर्क दिया हैं कि कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा प्रबंधकीय ड्यूटी नहीं लगाने का निर्देश पहले ही जारी किया गया है। कृषि विभाग के RAEO/SADO इस समय रबी फसल लक्ष्यों की पूर्ति, आदान सामग्री वितरण, पीएम फसल बीमा, फसल कटाई प्रयोग, पीएम किसान सम्मान निधि, भू-सत्यापन, ई-केवाईसी, भूमि सीडिंग, मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण और एग्रिस्टैक कार्यों में पूरी तरह व्यस्त हैं। इसलिए उपार्जन केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी का अतिरिक्त भार देना व्यवहारिक नहीं है। जिला प्रशासन ने केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी की नियुक्ति तो कर दी है, लेकिन विक्रेता (फड़ प्रभारी), डेटा एंट्री ऑपरेटर, बारदाना प्रभारी, हमाल इन सभी पदों पर पृथक आदेश जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में यक्ष प्रश्न खड़ा है कि क्या “उधार के प्रभारी” इन सभी तकनीकी और श्रमप्रधान कार्यों का संचालन कर पाएंगे ? विभागीय कर्मचारी स्वयं कह रहे हैं कि ऑनलाइन खरीदी प्रणाली हाई-टेक और जटिल है, जिसे सम्हालने में अनुभव की आवश्यकता होती है। कोरबा जिले में वर्ष 2025-26 के लिए 31 लाख 19 हजार 640 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एग्रिस्टैक पोर्टल में पंजीकृत लगभग 49 हजार किसानों से धान खरीदी की जाएगी। मार्कफेड को 15,598 गठान बारदाने का लक्ष्य दिया गया है, जिनमें से लगभग 13 हजार गठान समितियों में पहुंच चुके हैं। पहले दिन की बोहनी उपार्जन केंद्र सोनपुरी से होगी, जहां एक किसान का ऑनलाइन टोकन भी कट चुका है। जैसे-जैसे खरीदी शुरू होने की घड़ी नज़दीक आ रही है, प्रशासन के सामने चुनौती और गंभीर हो रही है। RAEO और SADO के पीछे हटने के बाद धान खरीदी की वैकल्पिक व्यवस्था अधर में लटक गई है। यदि तुरंत समाधान नहीं निकला, तो किसान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था, देरी और संभावित तालाबंदी की मार झेल सकते हैं। जिले में आज से खरीदी तो शुरू हो जाएगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है की क्या बिना अनुभव वाले अस्थायी प्रभारी धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया सुचारू चला पाएंगे, या फिर किसानों को इस बार भारी परेशानी सहनी पड़ेगी ?सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल के बीच धान खरीदी अभियान आज से होगा शुरू * वैकल्पिक व्यवस्था पर संशय गहराया * 45 उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी की जताई जा रही आशंका * किसानों में बढ़ी चिंता * सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल से बिगड़ा समीकरण कोरबा (ईएमएस) छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित कोरबा जिले में समर्थन मूल्य पर 15 नवंबर से धान खरीदी अभियान की शुरुआत हो रही है, लेकिन खरीदी का आगाज होते ही प्रदेशभर में सहकारी समिति कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल ने सरकार और जिला प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। कोरबा जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विभागीय कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है, मगर जिम्मेदारी मिलते ही ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (RAEO) और कृषि विकास अधिकारी (SADO) ने ड्यूटी से मुक्त करने का आग्रह करते हुए जिला प्रशासन को संयुक्त ज्ञापन सौंप दिया है। अधिकारी संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि वे धान खरीदी अभियान में “स्वयं को पृथक” रखेंगे। इस कदम ने वैकल्पिक व्यवस्था की पूरी जड़ हिला दी है। यदि समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो 65 में से 45 से अधिक उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी के हालात बन सकते हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ के 2058 सहकारी समितियों के कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 12 नवंबर से बेमियादी हड़ताल पर हैं। प्रबंधक, विक्रेता, डेटा एंट्री ऑपरेटर, चौकीदार और हमाल के भी काम छोड़ देने से धान खरीदी व्यवस्था चरमरा गई है। अनुभवहीन कर्मचारियों को अचानक उपार्जन केंद्रों पर बैठाने की व्यवस्था पर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। ऑनलाइन पोर्टल संचालन, किसान पंजीयन, गुणवत्ता परीक्षण, तौल-पर्ची, भुगतान मैपिंग जैसे कार्य अत्यधिक तकनीकी और अनुभव आधारित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ घंटों की ट्रेनिंग से यह काम संभाल पाना कठिन है। जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष संजय कुमार सोनवानी के नेतृत्व में लगभग 50 RAEO और SADO ने कलेक्टोरेट पहुंचकर ड्यूटी से मुक्त करने का ज्ञापन सौंपा। संघ ने तर्क दिया हैं कि कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा प्रबंधकीय ड्यूटी नहीं लगाने का निर्देश पहले ही जारी किया गया है। कृषि विभाग के RAEO/SADO इस समय रबी फसल लक्ष्यों की पूर्ति, आदान सामग्री वितरण, पीएम फसल बीमा, फसल कटाई प्रयोग, पीएम किसान सम्मान निधि, भू-सत्यापन, ई-केवाईसी, भूमि सीडिंग, मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण और एग्रिस्टैक कार्यों में पूरी तरह व्यस्त हैं। इसलिए उपार्जन केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी का अतिरिक्त भार देना व्यवहारिक नहीं है। जिला प्रशासन ने केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी की नियुक्ति तो कर दी है, लेकिन विक्रेता (फड़ प्रभारी), डेटा एंट्री ऑपरेटर, बारदाना प्रभारी, हमाल इन सभी पदों पर पृथक आदेश जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में यक्ष प्रश्न खड़ा है कि क्या “उधार के प्रभारी” इन सभी तकनीकी और श्रमप्रधान कार्यों का संचालन कर पाएंगे ? विभागीय कर्मचारी स्वयं कह रहे हैं कि ऑनलाइन खरीदी प्रणाली हाई-टेक और जटिल है, जिसे सम्हालने में अनुभव की आवश्यकता होती है। कोरबा जिले में वर्ष 2025-26 के लिए 31 लाख 19 हजार 640 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एग्रिस्टैक पोर्टल में पंजीकृत लगभग 49 हजार किसानों से धान खरीदी की जाएगी। मार्कफेड को 15,598 गठान बारदाने का लक्ष्य दिया गया है, जिनमें से लगभग 13 हजार गठान समितियों में पहुंच चुके हैं। पहले दिन की बोहनी उपार्जन केंद्र सोनपुरी से होगी, जहां एक किसान का ऑनलाइन टोकन भी कट चुका है। जैसे-जैसे खरीदी शुरू होने की घड़ी नज़दीक आ रही है, प्रशासन के सामने चुनौती और गंभीर हो रही है। RAEO और SADO के पीछे हटने के बाद धान खरीदी की वैकल्पिक व्यवस्था अधर में लटक गई है। यदि तुरंत समाधान नहीं निकला, तो किसान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था, देरी और संभावित तालाबंदी की मार झेल सकते हैं। जिले में आज से खरीदी तो शुरू हो जाएगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है की क्या बिना अनुभव वाले अस्थायी प्रभारी धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया सुचारू चला पाएंगे, या फिर किसानों को इस बार भारी परेशानी सहनी पड़ेगी ?सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल के बीच धान खरीदी अभियान आज से होगा शुरू * वैकल्पिक व्यवस्था पर संशय गहराया * 45 उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी की जताई जा रही आशंका * किसानों में बढ़ी चिंता * सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल से बिगड़ा समीकरण कोरबा (ईएमएस) छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित कोरबा जिले में समर्थन मूल्य पर 15 नवंबर से धान खरीदी अभियान की शुरुआत हो रही है, लेकिन खरीदी का आगाज होते ही प्रदेशभर में सहकारी समिति कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल ने सरकार और जिला प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। कोरबा जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विभागीय कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है, मगर जिम्मेदारी मिलते ही ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (RAEO) और कृषि विकास अधिकारी (SADO) ने ड्यूटी से मुक्त करने का आग्रह करते हुए जिला प्रशासन को संयुक्त ज्ञापन सौंप दिया है। अधिकारी संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि वे धान खरीदी अभियान में “स्वयं को पृथक” रखेंगे। इस कदम ने वैकल्पिक व्यवस्था की पूरी जड़ हिला दी है। यदि समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो 65 में से 45 से अधिक उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी के हालात बन सकते हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ के 2058 सहकारी समितियों के कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 12 नवंबर से बेमियादी हड़ताल पर हैं। प्रबंधक, विक्रेता, डेटा एंट्री ऑपरेटर, चौकीदार और हमाल के भी काम छोड़ देने से धान खरीदी व्यवस्था चरमरा गई है। अनुभवहीन कर्मचारियों को अचानक उपार्जन केंद्रों पर बैठाने की व्यवस्था पर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। ऑनलाइन पोर्टल संचालन, किसान पंजीयन, गुणवत्ता परीक्षण, तौल-पर्ची, भुगतान मैपिंग जैसे कार्य अत्यधिक तकनीकी और अनुभव आधारित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ घंटों की ट्रेनिंग से यह काम संभाल पाना कठिन है। जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष संजय कुमार सोनवानी के नेतृत्व में लगभग 50 RAEO और SADO ने कलेक्टोरेट पहुंचकर ड्यूटी से मुक्त करने का ज्ञापन सौंपा। संघ ने तर्क दिया हैं कि कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा प्रबंधकीय ड्यूटी नहीं लगाने का निर्देश पहले ही जारी किया गया है। कृषि विभाग के RAEO/SADO इस समय रबी फसल लक्ष्यों की पूर्ति, आदान सामग्री वितरण, पीएम फसल बीमा, फसल कटाई प्रयोग, पीएम किसान सम्मान निधि, भू-सत्यापन, ई-केवाईसी, भूमि सीडिंग, मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण और एग्रिस्टैक कार्यों में पूरी तरह व्यस्त हैं। इसलिए उपार्जन केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी का अतिरिक्त भार देना व्यवहारिक नहीं है। जिला प्रशासन ने केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी की नियुक्ति तो कर दी है, लेकिन विक्रेता (फड़ प्रभारी), डेटा एंट्री ऑपरेटर, बारदाना प्रभारी, हमाल इन सभी पदों पर पृथक आदेश जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में यक्ष प्रश्न खड़ा है कि क्या “उधार के प्रभारी” इन सभी तकनीकी और श्रमप्रधान कार्यों का संचालन कर पाएंगे ? विभागीय कर्मचारी स्वयं कह रहे हैं कि ऑनलाइन खरीदी प्रणाली हाई-टेक और जटिल है, जिसे सम्हालने में अनुभव की आवश्यकता होती है। कोरबा जिले में वर्ष 2025-26 के लिए 31 लाख 19 हजार 640 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एग्रिस्टैक पोर्टल में पंजीकृत लगभग 49 हजार किसानों से धान खरीदी की जाएगी। मार्कफेड को 15,598 गठान बारदाने का लक्ष्य दिया गया है, जिनमें से लगभग 13 हजार गठान समितियों में पहुंच चुके हैं। पहले दिन की बोहनी उपार्जन केंद्र सोनपुरी से होगी, जहां एक किसान का ऑनलाइन टोकन भी कट चुका है। जैसे-जैसे खरीदी शुरू होने की घड़ी नज़दीक आ रही है, प्रशासन के सामने चुनौती और गंभीर हो रही है। RAEO और SADO के पीछे हटने के बाद धान खरीदी की वैकल्पिक व्यवस्था अधर में लटक गई है। यदि तुरंत समाधान नहीं निकला, तो किसान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था, देरी और संभावित तालाबंदी की मार झेल सकते हैं। जिले में आज से खरीदी तो शुरू हो जाएगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है की क्या बिना अनुभव वाले अस्थायी प्रभारी धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया सुचारू चला पाएंगे, या फिर किसानों को इस बार भारी परेशानी सहनी पड़ेगी ?सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल के बीच धान खरीदी अभियान आज से होगा शुरू * वैकल्पिक व्यवस्था पर संशय गहराया * 45 उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी की जताई जा रही आशंका * किसानों में बढ़ी चिंता * सहकारी कर्मचारियों की हड़ताल से बिगड़ा समीकरण कोरबा (ईएमएस) छत्तीसगढ़ प्रदेश सहित कोरबा जिले में समर्थन मूल्य पर 15 नवंबर से धान खरीदी अभियान की शुरुआत हो रही है, लेकिन खरीदी का आगाज होते ही प्रदेशभर में सहकारी समिति कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल ने सरकार और जिला प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। कोरबा जिले के 41 समितियों के 65 उपार्जन केंद्रों पर वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विभागीय कर्मचारियों को जिम्मेदारी सौंप दी गई है, मगर जिम्मेदारी मिलते ही ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी (RAEO) और कृषि विकास अधिकारी (SADO) ने ड्यूटी से मुक्त करने का आग्रह करते हुए जिला प्रशासन को संयुक्त ज्ञापन सौंप दिया है। अधिकारी संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि वे धान खरीदी अभियान में “स्वयं को पृथक” रखेंगे। इस कदम ने वैकल्पिक व्यवस्था की पूरी जड़ हिला दी है। यदि समाधान जल्द नहीं निकाला गया, तो 65 में से 45 से अधिक उपार्जन केंद्रों में तालाबंदी के हालात बन सकते हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। छत्तीसगढ़ के 2058 सहकारी समितियों के कर्मचारी अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर 12 नवंबर से बेमियादी हड़ताल पर हैं। प्रबंधक, विक्रेता, डेटा एंट्री ऑपरेटर, चौकीदार और हमाल के भी काम छोड़ देने से धान खरीदी व्यवस्था चरमरा गई है। अनुभवहीन कर्मचारियों को अचानक उपार्जन केंद्रों पर बैठाने की व्यवस्था पर बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। ऑनलाइन पोर्टल संचालन, किसान पंजीयन, गुणवत्ता परीक्षण, तौल-पर्ची, भुगतान मैपिंग जैसे कार्य अत्यधिक तकनीकी और अनुभव आधारित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ घंटों की ट्रेनिंग से यह काम संभाल पाना कठिन है। जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ कृषि स्नातक शासकीय कृषि अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष संजय कुमार सोनवानी के नेतृत्व में लगभग 50 RAEO और SADO ने कलेक्टोरेट पहुंचकर ड्यूटी से मुक्त करने का ज्ञापन सौंपा। संघ ने तर्क दिया हैं कि कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा प्रबंधकीय ड्यूटी नहीं लगाने का निर्देश पहले ही जारी किया गया है। कृषि विभाग के RAEO/SADO इस समय रबी फसल लक्ष्यों की पूर्ति, आदान सामग्री वितरण, पीएम फसल बीमा, फसल कटाई प्रयोग, पीएम किसान सम्मान निधि, भू-सत्यापन, ई-केवाईसी, भूमि सीडिंग, मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण और एग्रिस्टैक कार्यों में पूरी तरह व्यस्त हैं। इसलिए उपार्जन केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी का अतिरिक्त भार देना व्यवहारिक नहीं है। जिला प्रशासन ने केंद्र प्रबंधक/नोडल अधिकारी की नियुक्ति तो कर दी है, लेकिन विक्रेता (फड़ प्रभारी), डेटा एंट्री ऑपरेटर, बारदाना प्रभारी, हमाल इन सभी पदों पर पृथक आदेश जारी नहीं किए गए हैं। ऐसे में यक्ष प्रश्न खड़ा है कि क्या “उधार के प्रभारी” इन सभी तकनीकी और श्रमप्रधान कार्यों का संचालन कर पाएंगे ? विभागीय कर्मचारी स्वयं कह रहे हैं कि ऑनलाइन खरीदी प्रणाली हाई-टेक और जटिल है, जिसे सम्हालने में अनुभव की आवश्यकता होती है। कोरबा जिले में वर्ष 2025-26 के लिए 31 लाख 19 हजार 640 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एग्रिस्टैक पोर्टल में पंजीकृत लगभग 49 हजार किसानों से धान खरीदी की जाएगी। मार्कफेड को 15,598 गठान बारदाने का लक्ष्य दिया गया है, जिनमें से लगभग 13 हजार गठान समितियों में पहुंच चुके हैं। पहले दिन की बोहनी उपार्जन केंद्र सोनपुरी से होगी, जहां एक किसान का ऑनलाइन टोकन भी कट चुका है। जैसे-जैसे खरीदी शुरू होने की घड़ी नज़दीक आ रही है, प्रशासन के सामने चुनौती और गंभीर हो रही है। RAEO और SADO के पीछे हटने के बाद धान खरीदी की वैकल्पिक व्यवस्था अधर में लटक गई है। यदि तुरंत समाधान नहीं निकला, तो किसान खरीदी केंद्रों में अव्यवस्था, देरी और संभावित तालाबंदी की मार झेल सकते हैं। जिले में आज से खरीदी तो शुरू हो जाएगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है की क्या बिना अनुभव वाले अस्थायी प्रभारी धान खरीदी की पूरी प्रक्रिया सुचारू चला पाएंगे, या फिर किसानों को इस बार भारी परेशानी सहनी पड़ेगी ?