सरकारी आयात शुल्क में कटौती, मौसमी मांग और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बदलाव से बाजार की चाल प्रभावित हुआ नई दिल्ली (ईएमएस)। देश के तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह दामों में उथल-पुथल देखने को मिली। कुछ तिलहन और तेलों के भाव में सुधार हुआ तो कुछ में गिरावट दर्ज की गई। सरकारी आयात शुल्क में कटौती, मौसमी मांग और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बदलाव ने बाजार की चाल को प्रभावित किया। इस बीच किसानों और व्यापारियों के लिए दामों में संतुलन बना पाना चुनौतीपूर्ण रहा। सरसों दाने के दाम में 25 रुपये की बढ़त रही और यह 7,125–7,175 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं, सरसों तेल के भाव में गिरावट आई। दादरी तेल 125 रुपये घटकर 14,750 रुपये प्रति क्विंटल और पक्की व कच्ची घानी तेल क्रमशः 2,470–2,570 और 2,470–2,505 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। सरसों तिलहन के ऊंचे भाव के बावजूद आयात शुल्क में कटौती और कमजोर लिवाली के कारण सरसों तेल के दाम दबाव में रहे। सोयाबीन दाना और लूज के थोक भाव में 150 रुपये की बढ़त हुई, क्रमशः 4,700–4,750 और 4,400–4,500 रुपये प्रति क्विंटल पर। सोयाबीन तेल (दिल्ली, इंदौर, डीगम) स्थिर रहे। घरेलू दाम अभी भी एमएसपी से नीचे हैं और आयातित सोयाबीन लागत से कम पर बिकने के कारण दाम स्थिर बने। मूंगफली तिलहन 275 रुपये की बढ़त के साथ 6,175–6,550 रुपये प्रति क्विंटल पर और मूंगफली तेल गुजरात थोक 14,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। बिनौला तेल के दाम 150 रुपये बढ़कर 12,550 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंचे। जाड़े में मूंगफली की मांग और गुजरात में बिनौला तेल की सस्ती उपलब्धता इसकी वजह रही। सीपीओ का दाम 25 रुपये घटकर 11,300 रुपये प्रति क्विंटल और पामोलीन दिल्ली 13,075, एक्स-कांडला 12,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जाड़े में तेल जमने और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट, साथ ही आयात शुल्क में कटौती, पाम तेल की कीमतें घटाने का मुख्य कारण रहे। सरकार ने आयात शुल्क में कटौती की: सीपीओ 70, पामोलीन 182 और सोयाबीन डीगम 42 रुपये प्रति क्विंटल। विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को एमएसपी के अनुरूप दाम देने से घरेलू उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। सतीश मोरे/16नवंबर