राष्ट्रीय
24-Nov-2025


:: छिंदवाड़ा घटना के बाद सख्ती : नकली दवाओं के विक्रेताओं पर होगी कठोर कार्रवाई, प्रशासन का कड़ा रुख :: इंदौर (ईएमएस)। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में जन-स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। संचालनालय आयुष, भोपाल के निर्देश पर, जिले में अमानक (Sub-standard) पाई गईं सात प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियों के क्रय-विक्रय पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह प्रतिबंध ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 और नियम 1945 की धारा 33 ई ई के तहत लगाया गया है। जिला आयुष अधिकारी डॉ. हंसा बारिया ने इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. बारिया ने बताया कि यह कार्रवाई पिछले दिनों छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप से 22 बच्चों की दुखद मौत और बिछुआ में पांच माह की एक बच्ची की मृत्यु की घटना के बाद शुरू हुई। इस त्रासदी के बाद, स्थानीय जिला प्रशासन ने एलोपैथिक और आयुर्वेदिक दोनों प्रकार की दवाओं की गुणवत्ता की गहन जाँच कराई, जिसकी रिपोर्ट में ये सात दवाइयां अमानक पाई गईं। प्रतिबंधित दवाओं में डाबर इंडिया लिमिटेड, साहिबाबाद, उत्तर प्रदेश द्वारा निर्मित कफ कुठार रस (बैच नंबर SB00066) और लक्ष्मी विलास रस (नारदीय) (बैच नंबर SB000656) शामिल हैं। इनके अलावा, श्री धनवतरी हर्बल्ला, सोलन (हिमाचल प्रदेश) की प्रवाल पिष्टी (बैच नंबर PPMB077) और मुक्ता शुक्ति (बैच नंबर MSBD059) तथा श्री शर्मा आयुर्वेद मंदिर, दतिया (मध्य प्रदेश) की गिलोय सत्व (बैच नंबर 005P-1) और कामदुधा रस (बैच नंबर 25117002P-1) भी प्रतिबंधित सूची में हैं। जाँच रिपोर्ट के बाद, जिला आयुष अधिकारी ने इंदौर जिले के सभी मेडिकल स्टोर्स संचालकों को तत्काल प्रभाव से इन प्रतिबंधित दवाओं का स्टॉक हटाकर संबंधित कंपनियों को वापस भेजने के सख्त आदेश जारी किए हैं। जारी आदेश में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि प्रतिबंधित औषधियों में से कोई भी औषधि जनसामान्य के बीच उपयोगार्थ पाई जाती है, या उसके कारण जनहानि होती है, तो इसके लिए विक्रेता सीधे तौर पर जिम्मेदार होगा। साथ ही, मेडिकल स्टोर संचालकों के विरूद्ध औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 एवं नियमावली 1945 के तहत कठोरतम कानूनी कार्यवाही की जायेगी। प्रकाश/24 नवम्बर 2025