:: मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में पुरुषों की प्रताड़ना पर परिचर्चा; विशेषज्ञों ने की लिंग तटस्थ कानूनों की मांग :: इंदौर (ईएमएस)। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के समसामयिक अध्ययन केंद्र में पुरुषों की प्रताड़ना-महिलाओं द्वारा कानूनी अधिकारों का दुरुपयोग विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में समाज और कानून के असंतुलित पहलुओं पर गंभीर चिंतन किया गया। विषय प्रवर्तन करते हुए केंद्र की मंत्री डॉ. मीनाक्षी स्वामी ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि वर्तमान में महिलाओं द्वारा अपने कानूनी अधिकारों का दुरुपयोग करने के प्रकरण बढ़ते जा रहे हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि इसके कारण पुरुष प्रताड़ित होकर आत्महत्या तक करने को मजबूर हो रहे हैं। उन्होंने इस असंतुलित सामाजिक स्थिति के निराकरण के उपायों पर तुरंत चिंतन की आवश्यकता जताई। मुख्य वक्ता डॉ. संतोष पाटीदार ने प्रताड़ना से जुड़े कानूनों की जानकारी देते हुए देश में लिंग तटस्थ (Gender Neutral) कानून बनाए जाने की पुरजोर वकालत की, ताकि समाज में पुरुष और महिला दोनों को समान सुरक्षा मिल सके। संस्था पौरुष के संस्थापक अशोक दशोरा ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि मूल अधिकारों में अनुच्छेद 15(3) का भी दुरुपयोग हो रहा है, जिससे महिला के पक्ष में बने कानून अक्सर पुरुष विरोध में खड़े हो जाते हैं। उन्होंने बालकों को सुसंस्कार देने की जरूरत पर भी बल दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता और लेखक विनय झेलावत ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि महिला सुरक्षा कानूनों की संरचना पारिवारिक संरचना को बचाने के लिए हुई थी, लेकिन अब इनका दुरुपयोग परिवारों के विघटन के लिए होने लगा है। उन्होंने बताया कि अधिकांश पारिवारिक विवादों में दी जाने वाली विधिक सलाह में परिवार के अधिकतर सदस्यों को उलझाने की प्रवृत्ति काम करती है, जिससे कई प्रकरणों को आपराधिक मामले का स्वरूप देकर पूरे परिवार को उलझा दिया जाता है। उन्होंने मुकदमों में लगने वाले लंबे समय को भी पारिवारिक तनाव का मुख्य कारक बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता घनश्याम यादव ने कानूनी असंतुलन की ओर ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि एक महिला, घरेलू हिंसा, दहेज, तलाक, भरण पोषण और बच्चों की कस्टडी जैसे पाँच प्रकरणों में पुरुष को उलझाकर रोज न्यायालय के चक्कर लगवा सकती है, जबकि पुरुष कानूनी रूप से केवल तलाक का मुकदमा ही लगा सकता है। उन्होंने पुरुषों के पक्ष में कानून बनाकर समाज में संतुलन लाने की आवश्यकता पर बल दिया। अतिथियों का स्वागत व स्मृति चिन्ह हरेराम बाजपेयी, डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, अनिल भोजे, राकेश शर्मा, अरविन्द ओझा, राजेश शर्मा ने भेंट किए। स्वागत भाषण अरविंद जवलेकर ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मीनाक्षी स्वामी ने किया तथा आभार उमेश पारीख ने व्यक्त किया। इस गंभीर परिचर्चा में शहर के गणमान्य नागरिक और बुद्धिजीवी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। प्रकाश/24 नवम्बर 2025