क्षेत्रीय
27-Nov-2025
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आज केन्द्रीय श्रमिक संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देशव्यापी मजदूर-किसान विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। इसी क्रम में पटना में मजदूरों और किसानों ने प्रतिरोध मार्च निकाला और जिला पदाधिकारी को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। पांच वर्ष पूर्व, 26 नवंबर 2020 को केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने चार श्रम संहिताओं के खिलाफ के औद्योगिक हड़ताल और किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ ऐतिहासिक किसान आंदोलन की शुरुआत की थी। इन मज़दूर-विरोधी और किसान-विरोधी नीतियों ने देश के किसानों और मजदूरों को बड़े पूंजीपतियों और कॉर्पोरेट घरानों के समर्थन में चलने वाली केन्द्र सरकार के खिलाफ एकजुट कर दिया। तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ देश के किसानों ने 13 महीने लम्बी अभूतपूर्व ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी, जिसमें 750 के करीब किसान शहीद हुए। किसानों और मजदूरों की एकजुटता ने ही मोदी सरकार को तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने और चार श्रम संहिताओं को पांच वर्षों तक लागू न करने को मजबूर किया था। इसके बावजूद, केन्द्र सरकार ने 21 नवंबर से देश में चार मजदूर-विरोधी श्रम संहिता लागू कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा को दिए गए लिखित आश्वासन से भी मोदी सरकार मुकर गई। आज केन्द्र सरकार की जनविरोधी विनाशकारी नीतियों के कारण एक तरफ किसान बढ़ती लागत और घटती आय के कारण कर्ज और आत्महत्या के शिकार हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मजदूर बेरोजगारी, महंगाई और शोषण के शिकार हैं। इन किसान-विरोधी, मज़दूर-विरोधी, जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ देश के मजदूर और किसान आज पटना के गांधी मैदान में सैंकड़ों की संख्या में इकट्ठा हुए। 12:30 बजे क्रांतिकारी नारे लगाते हुए मार्च गांधी मैदान के गेट नं 10 से जिला समाहरणालय कि ओर बढ़ा। समाहरणालय के समक्ष के सभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता केन्द्रीय श्रमिक संगठनों की तरफ से सूर्यकर जितेंद्र और संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से राजेन्द्र पटेल ने किया। सभा को अखिलेश पांडेय, कौशलेन्द्र वर्मा, गणेश शंकर सिंह, रणविजय कुमार, अनामिका कुमारी, सौजन्य, बीरेन्द्र ठाकुर, शिव कुमार विद्यार्थी, गोपाल शर्मा, इंद्रदेव राय, मुन्ना चौहान, सुभाष यादव, जय प्रकाश, रामबली प्रसाद, डी पी यादव। केन्द्रीय श्रमिक संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा के एक आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने अतिरिक्त जिला पदाधिकारी से मिलकर संयुक्त ज्ञापन पत्र सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में गज़नफ़र नवाब, गणेश शंकर सिंह, आर एन ठाकुर, श्री नंदन मंडल, सरोज चौबे, मणिकांत पाठक, रामबॄक्ष राम, और ऋषि आनंद शामिल थे। सभा की समाप्ति पर चार श्रम संहिता की प्रतियां जलाई गई।