राज्य
27-Nov-2025
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अनाहत से आहत तकः नाद की रचनात्मक यात्रा पर संगोष्ठी का आयोजन पतंजलि विश्वविद्यालय में गूंजी नादयात्रा परंपरा, शोध और रचनात्मक का संगम संगीत की चेतना को छूती नादयात्राः पतंजलि विश्वविद्यालय में अनूठा आयोजन हरिद्वार (ईएमएस)। पतंजलि विश्वविद्यालय के मानविकी एवं प्राच्य विद्या संकाय के अंतर्गत प्रदर्शन कला विभाग द्वारा 26 नवम्बर को नादयात्र- अनाहत से आहत की ओर विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान-श्रृंखला का सफलता पूर्वक आयोजन किया गया। योग तथा मानविकी एवं प्राच्य विद्या संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो- द्धडॉ-ऋ साध्वी देवप्रिया के मार्गदर्शन में यह सम्पूर्ण कार्यक्रम सफल एवं ज्ञानवर्धक रहा। प्रो- द्धडॉ-ऋ साध्वी देवप्रिया ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि ष्नाद की अनाहत से आहत की ओर यात्रष् संगीत के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक एवं कलात्मक सभी आयामों को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण साधना है। उन्होंने इस आयोजन के लिए विभाग को हार्दिक बधाई दी। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉ- अर्चना तिवारी ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप-प्रज्वलन एवं विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत कुल-गीत से हुआ, जिसे प्रदर्शन कला विभाग के संगीत प्रशिक्षक एवं समन्वयक चंद्रमोहन मिश्र के निर्देशन में तैयार किया गया था। कार्यक्रम में विभाग की मुख्य संयोजक डॉ- अल्का गिरि द्धभरतनाट्यम, सहायक प्राध्यापकऋ तथा अश्वनी श्रीवास्तव द्धकथक, सहायक प्राध्यापकऋ की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस व्याख्यान-श्रृंखला में प्रथम वक्ता के रूप में डॉ- सरिता पाठक यजुर्वेदी ने भारतीय संगीत परंपरा में शास्= पक्ष एवं प्रयोग पक्ष का संबंध तथा सृजनात्मकता का आधार विषय पर वक्तव्य दिया। उन्होंने नाट्य शास्= के अर्न्तगत जातियों, अभिनय, वाद्य-तत्वों, स्वर-प्रकृति, गायन-शैलियों तथा राग भैरव में आहत नाद की एक बंदिश प्रस्तुत की। कार्यक्रम के दूसरे वक्ता डॉ- अनया थत्ते ने फाउंडेशन ऑफ म्यूजिक रिसर्च फॉर बिग्नर्स विषय के अंतर्गत संगीत-अनुसंधान की मूल रूपरेखा, प्राथमिक एवं द्वितीयक स्रोतों तथा शोध की प्रारंभिक प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम के तीसरे व अंतिम वक्ता डॉ. ज्योति सिंह ने भारतीय संगीत शास्= एवं वैश्विक संगीत परंपराः परिवर्तन एवं तकनीक विषय पर व्याख्यान देते हुए नाट्य शास्=, बृहदेशी, संगीत-रत्नाकर, मार्गी-देशी परंपरा, वाद्य-तं=ीकरण, गंधर्व ध्यान, पाश्चात्य संगीत रूपों एवं विभिन्न देशों की संगीत परंपराओं पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। अंत में डॉ- सत्येन्द्र मित्तल निदेशक-दूरस्थ शिक्षा ने अपने गरिमामयी उद्बोधन में राग के आध्यात्मिक एवं मनोवैज्ञानिक लाभों का उल्लेख करते हुए इस एक दिवसीय व्याख्यान-श्रृंखला के सफल आयोजन पर विभाग को धन्यवाद दिया। उन्होंने विद्यार्थियों एवं प्रदर्शन कला विभाग के समस्त सदस्यों का उत्साहवर्धन करते हुए कार्यक्रम के मूल्यवान शैक्षणिक योगदान की सराहना की। इस विशेष आयोजन में विश्वविद्यालय के कुसचिव डॉ- निर्विकार, परीक्षा नियं=क प्रो- एके सिंह, संकायाध्यक्ष-शिक्षण एवं शोध डॉ- ऋत्विक बिसारिया, कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव, छा= कल्याण संकायाध्यक्ष डॉ- विनय शर्मा, डॉ- वैशाली गौड़, डॉ- विपिन दुबे, डॉ- गौतम आर- सहित विश्वविद्यालय के समस्त संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, अधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। (फोटो-24) शैलेन्द्र नेगी/ईएमएस/27 नवम्बर 2025