इन्दौर/नई दिल्ली (ईएमएस) उच्चतम न्यायालय देहली में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की युगल पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के एक महत्वपूर्ण फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई उपरांत कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए दिए अपने निर्णय में कहा कि हॉस्टल भी रहने की सुविधा प्रदान करता है, इसलिए इसे आवासीय उपयोग की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी आवासीय परिसर को ऐसे संस्थान को लीज पर देने पर, जो उसे छात्रों या कामकाजी पेशेवरों के लिए हॉस्टल के रूप में उपयोग करता है पर जीएसटी नहीं लगेगा। कोर्ट ने कहा कि ऐसी संपत्तियों का मूल उपयोग आवासीय ही रहता है और इस पर कर लगाने से आवासीय उपयोग पर दी गई छूट का उद्देश्य विफल हो जाएगा। युगलपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि यदि इस प्रकार की लीज पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया गया, तो इसका सीधा असर छात्रों और युवा पेशेवरों पर पड़ेगा, जबकि कानून की मंशा ही उनकी लागत को कम करना है। उच्चतम न्यायालय के इस निर्णय के बाद होस्टल एवं इसी तरह की गतिविधियों के संचालित करने वालों तथा इनके उपयोग करने वालों को बड़ी राहत मिली है। आनन्द पुरोहित/ 06 दिसंबर 2025