राज्य
06-Dec-2025
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::पुलिस लापरवाही पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर मध्यप्रदेश की चरमराई कानून व्यवस्था पर कांग्रेस का बड़ा हमला, मुख्यमंत्री, डीजीपी और पुलिस कमिश्नर से तत्काल कार्रवाई की मांग:: इन्दौर (ईएमएस) सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदौर पुलिस की जांच प्रक्रिया पर की गई कठोर टिप्पणी ने भाजपा शासन की कानून व्यवस्था का असली चेहरा उजागर कर दिया है। 165 मामलों में केवल दो गवाह पेश करने की बात ने यह सिद्ध कर दिया कि प्रदेश की पुलिस अब अपराध पर नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक आकाओं को बचाने के लिए सक्रिय है। ‘पॉकेट गवाह’ जैसी गंदी प्रवृत्ति को संरक्षण देना और केसों को मनमानी ढंग से कमजोर करना न्याय व्यवस्था का सीधा अपमान है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अमित चौरसिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी कि— “दुर्भाग्य है कि तुम उस कुर्सी पर बैठे हो, तुम्हें वहाँ नहीं होना चाहिए” पर कहा कि यह केवल एक टीआई पर नहीं, बल्कि पूरी पुलिस और शासन प्रणाली पर सीधा अविश्वास है। यह टिप्पणी दरअसल मुख्यमंत्री मोहन यादव और गृहमंत्री के रूप में उनकी प्रशासनिक विफलता की चार्जशीट है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि इंदौर की यह घटना कोई अपवाद नहीं है। पुरे प्रदेश मे कानून व्यवस्था चरमराई हुई है और मुख्यमंत्री मौन है। सागर में दलित युवक की हत्या, मुरैना में फर्जी मुठभेड़, रीवा में महिला से दुर्व्यवहार और कटनी में हिरासत में मौत जैसी घटनाएं यह बताती हैं कि पुलिस “लोकसेवक” नहीं, “दलसेवक” बन चुकी है। अपराधियों को संरक्षण, निर्दोषों को प्रताड़ना — यह भाजपा शासन की नई पहचान बन गई है। हाल ही प्रकाशित खबरों मे सामने आया की सागर के कई थाने अपराधी चला रहे है और थानो से नशा का कारोबार चल रहा है। अमित चौरसिया ने कहा, “जब सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़े कि ‘आप ज़िंदगी से खेल रहे हैं’, तब ये सवाल उठता है — क्या मध्यप्रदेश की सरकार अब कानून के राज पर नहीं, ‘राजनीति के कानून’ पर चल रही है?” मुख्यमंत्री खुद इंदौर के प्रभारी मंत्री और गृहमंत्री हैं, फिर भी इतने बड़े प्रकरण पर न तो उन्होंने कमिश्नर को तलब किया और न ही किसी अधिकारी पर कार्रवाई की। यह उनकी असंवेदनशीलता का चरम उदाहरण है। कांग्रेस ने राज्य सरकार से तत्काल निम्न कार्यवाही की माँग की है — - मुख्यमंत्री, DGP और इंदौर पुलिस कमिश्नर तत्काल संज्ञान लेकर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें। - इंदौर पुलिस कमिश्नर को तलब कर पूरी जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। - DGP स्वयं उच्चस्तरीय जांच कर 30 दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत करें। - संबंधित टीआई सहित पूरे चेन ऑफ कमांड पर विभागीय व दंडात्मक कार्रवाई हो। - कमिश्नरी सिस्टम की स्वतंत्र समीक्षा के लिए न्यायिक आयोग गठित किया जाए। - मुख्यमंत्री व गृहमंत्री इस गंभीर मामले पर सार्वजनिक बयान देकर भविष्य की कार्ययोजना पेश करें। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा राज में पूरा पुलिस तंत्र ‘न्याय के संरक्षक’ की बजाय ‘अपराध के साझीदार’ की तरह काम कर रहा है। जब थानों में केस रफादफा किए जाते हैं, जब अपराधी राजनीतिक संरक्षण में घूमते हैं, जब पीड़ित को न्याय नहीं डर मिलता है तब लोकतंत्र शर्मसार होता है। अमित चौरसिया ने कहा कि “यह मामला केवल एक थाने या एक अधिकारी का नहीं, यह सड़ी हुई व्यवस्था की चेतावनी है। भाजपा सरकार की नाकामी अब जनता के भरोसे का अंत कर रही है। जब शासन मौन और न्यायालय आक्रोशित हो, तब यही साबित होता है कि मध्यप्रदेश वास्तव में अघोषित आपातकाल में जी रहा है। आनन्द पुरोहित/ 06 दिसंबर 2025