उत्तर प्रदेश में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ती संख्या लंबे समय से आंतरिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने के लिए चुनौती रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस गंभीर समस्या को देखते हुए राज्य के 17 प्रमुख नगर निकायों को तुरंत प्रभाव से व्यापक सत्यापन और सूचीकरण अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। सरकार का मानना है कि अवैध रूप से भारत में घुसपैठ करने वाले लोगों की उपस्थिति न सिर्फ सुरक्षा जोखिम बढ़ाती है, बल्कि कई बार अपराध, जालसाजी, फर्जी पहचान और संसाधनों पर असमान दबाव जैसे खतरे भी उत्पन्न करती है। इसी वजह से प्रदेश स्तर पर चलाया जा रहा यह अभियान निर्णायक कदम माना जा रहा है।रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियां क्यों चिंता का विषय है?पिछले एक दशक में देश के कई राज्यों में अवैध प्रवासियों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। इनमें सबसे अधिक रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिक शामिल हैं। कई बार ये लोग फर्जी कागज़ात के सहारे नागरिक सुविधाएं प्राप्त कर लेते हैं और संवेदनशील क्षेत्रों में आश्रय भी बना लेते हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने पहले भी रिपोर्ट दी है कि विभिन्न मामलों में अवैध घुसपैठिए आपराधिक गतिविधियों, मानव तस्करी और फर्जी दस्तावेज़ बनवाने वाले नेटवर्क से जुड़े पाए गए हैं।यही कारण है कि उत्तर प्रदेश, खासकर पश्चिमी यूपी, काशी क्षेत्र और आगरा-मथुरा बेल्ट में उनका सत्यापन बेहद आवश्यक हो गया है। सरकार का निर्णय सुरक्षा सुदृढ़ीकरण के व्यापक उद्देश्य से जुड़ा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी नगर आयुक्तों, डीएम, कमिश्नर और रेंज के आईजी को स्पष्ट आदेश दिया है कि अवैध रूप से रह रहे संदिग्ध व्यक्तियों की एक संगठित सूची तैयार की जाए और उसे तत्काल पुलिस तथा खुफिया एजेंसियों के साथ साझा किया जाए। यह सूची दो चरणों में तैयार की जानी है। प्राथमिक सत्यापन जहां व्यक्ति की पहचान, निवास स्थान और दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच की जाएगी। गहन जांच एवं कार्रवाई होगी।इसमें पुलिस व खुफिया विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि संबंधित व्यक्ति देश का वैध नागरिक नहीं है तो उसके विरुद्ध कानून के अनुसार कार्रवाई हो। सरकार के अनुसार इस अभियान का उद्देश्य न केवल घुसपैठ पर रोक लगाना है, बल्कि प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा को नए स्तर पर मजबूत करना भी है।सफाईकर्मी के रूप में संदिग्ध पहचान एक महत्वपूर्ण कारण है।नगर निकायों के पास मौजूद रिकॉर्ड के अनुसार, बड़ी संख्या में सफाईकर्मियों की नियुक्ति पिछले वर्षों में ठेके के माध्यम से हुई है। कई बार ठेका एजेंसियां श्रमिकों के कागजात की गहराई से जांच नहीं करतीं, जिसके चलते कुछ संदिग्ध लोग भी सफाईकर्मी के रूप में नौकरी पा जाते हैं। क्योंकि सफाईकर्मी शहर के हर इलाके में आते-जाते हैं और कई महत्वपूर्ण स्थानों तक पहुंच रखते हैं, इसलिए सुरक्षा एजेंसियों ने इस श्रेणी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई है। आगरा में अभियान की शुरुआत 5000 सफाईकर्मियों का सत्यापन किया जा रहा है। आगरा नगर निगम ने इस सरकारी निर्देश पर सबसे तेज़ कार्रवाई करते हुए 5000 से अधिक सफाईकर्मियों की पहचान और सत्यापन प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रत्येक सफाईकर्मी का पूरा डेटा, फोटो सहित, पुलिस को सौंपा गया है। स्थानीय थानों में विशेष टीमें बनाई गई हैं जो 15 दिनों में सत्यापन प्रक्रिया पूरी करेंगी।जिन लोगों के दस्तावेजों में असंगतियां पाई जाएंगी, उनके खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई होगी।नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, यह कदम न सिर्फ सुरक्षा के दृष्टिकोण से आवश्यक है, बल्कि शहर की प्रशासनिक पारदर्शिता को भी मजबूत करेगा।17 नगर निकायों में एक साथ अभियान का विस्तारकिया गया है।सरकार ने जिन 17 निकायों को निर्देश भेजे हैं, उनमें लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मेरठ, नोएडा, गाज़ियाबाद, आगरा, अलीगढ़, सहारनपुर समेत सभी बड़े शहर शामिल हैं। इन शहरों में प्रवासन दर अधिक है और कुछ स्थानों पर पहले भी संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिली है।उम्मीद है कि इन नगर निकायों में अगले दो सप्ताह में सभी सफाईकर्मियों, अस्थायी मजदूरों और किराएदारों की पहचान प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।प्रक्रिया की पारदर्शिता और समयबद्धता पर विशेष जोरदिया गया है। मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि यह अभियान किसी समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरी तरह सुरक्षा और कानून-व्यवस्था पर केंद्रित है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रक्रिया के दौरान किसी भी व्यक्ति के साथ अनावश्यक दुर्व्यवहार न हो।सभी जांच निष्पक्ष और दस्तावेज़ आधारित हों। जहां भी संदेह हो, पुलिस व स्थानीय निकाय संयुक्त रूप से निर्णय लें।सरकार ने प्रत्येक निकाय को 15 दिन की समयसीमा दी है ताकि कार्रवाई तेज़ी से और प्रभावी तरीके से पूरी हो सके।अभियान के माध्यम से मिलने वाले व्यापक लाभ को गौण नही समझा जा सकता है। आंतरिक सुरक्षा मजबूत होगी अवैध घुसपैठ पर नियंत्रण के बाद संवेदनशील क्षेत्रों में संभावित आपराधिक गतिविधियों का खतरा कम होगा।नगर निकायों की कार्यप्रणाली पारदर्शी बनेगी। सभी कर्मचारियों का प्रामाणिक डेटा तैयार होने से भविष्य में फर्जी नियुक्तियों और अनियमितताओं पर लगाम लगेगी।कानून-व्यवस्था में सुधार जिन शहरों में अवैध प्रवासी अधिक संख्या में रहते हैं, वहां अपराधों में अचानक वृद्धि देखी जाती है। सत्यापन से यह प्रभाव कम होगा।राष्ट्रीय हित और सुरक्षा को बढ़ावा देना पहली प्राथमिकता है।यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों के अनुरूप है, जहां देश की सीमाओं के भीतर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की पहचान स्पष्ट और प्रमाणित होनी चाहिए।स्थानीय समाज में विश्वास बढ़ेगा।नागरिकों को यह भरोसा मिलेगा कि सरकार उनके हितों और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।चुनौतियां भी कम नहीं है।हालांकि सरकार के इस कदम की व्यापक सराहना हो रही है, लेकिन चुनौतीपूर्ण पहलू भी मौजूद हैं। कई अवैध घुसपैठिए फर्जी पहचान पत्र बना चुके हैं। कई लोग ठेका एजेंसियों के माध्यम से वर्षों से कार्यरत हैं, जिससे उनकी जांच और कठिन हो जाती है। सत्यापन के दौरान राजनीतिक और सामाजिक दबाव भी सामने आ सकते हैं। इन चुनौतियों के बावजूद सरकार का रुख साफ है।कानून व्यवस्था सर्वोपरि, सुरक्षा से कोई समझौता नहीं।उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संदिग्ध रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ शुरू किया गया यह तेज़ और व्यापक अभियान प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा को एक नए स्तर पर मजबूत करने वाला कदम है। अवैध घुसपैठ लंबे समय से देश की एक गंभीर समस्या रही है, जिसका समाधान तभी संभव है जब राज्य स्तर पर ठोस और नियमित सत्यापन की व्यवस्था हो।सफाईकर्मियों से लेकर अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों तक, हर व्यक्ति की पहचान सुनिश्चित करना न केवल कानून व्यवस्था की मजबूती के लिए आवश्यक है, बल्कि यह राष्ट्रीय हित में भी है। आगरा में 5000 सफाईकर्मियों का सत्यापन इसका प्रारंभिक नमूना है, और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पूरे प्रदेश में माहौल अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और व्यवस्थित होगा। सरकार का यह कदम स्पष्ट संदेश देता है कि उत्तर प्रदेश में अवैध घुसपैठ अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी और कानून का राज ही सर्वोच्च रहेगा। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) ईएमएस / 10 / 12 / 2025