क्षेत्रीय
11-Dec-2025
...


* गेवरा बस्ती प्रभावितों ने शहर के पास मांगी जगह कोरबा (ईएमएस) सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया की अनुसांगिक कंपनी एसईसीएल बिलासपुर के अधीन कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की कुसमुंडा खदान मेगा परियोजना के लिए गेवरा बस्ती के अधिग्रहण की जारी प्रक्रिया मुआवजे की फाइल को एसईसीएल से मंजूरी मिलने के बाद ही आगे बढ़ेगी। बस्ती के विस्थापन पर प्रभावित भू-विस्थापित ने शहर के नजदीक बसाहट की मांग रखी है। दूसरे ग्रामो का भू-विस्थापन कर पहले गेवरा बस्ती के प्रभावितों के लिए चिन्हित स्थान पर बसाने से खदान प्रभावितों ने बसाहट पर निर्णय लेने डीआरआरसी की बैठक रखने मांग की गयी हैं। 2013 में गेवरा बस्ती का अधिग्रहण किया गया है। एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना के लिए अधिग्रहित गेवरा बस्ती का ड्रोन सर्वे कराकर मुआवजे की फाइल कंपनी मुख्यालय को भेजी गई है। दो महीने बाद भी मंजूरी नहीं मिली है। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया में लेटलतीफी से भू-विस्थापितों के रोजगार की आस अधूरी है। एसईसीएल ने गेवरा बस्ती की 1243.557 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है। 2913 प्रभावितों को लगभग 299.29 करोड़ रुपए का मुआवजा बंटेगा। कंपनी मुख्यालय से मंजूरी न मिलने से विस्थापन व अन्य प्रक्रिया अटकी हुई है। इस बीच गेवरा बस्ती के खदान प्रभावितों ने एसईसीएल कुसमुंडा एरिया जीएम के नाम ज्ञापन दिया है। बताया गया है कि फरवरी 2015 में इंदिरा स्टेडियम में जनसुनवाई हुई थी। इसमें वैशाली नगर खम्हरिया के पास बसाहट देने गेवरा बस्ती के प्रभावितों को आश्वस्त किया गया था। इस जगह पर ग्राम खोडरी को और गेवरा परियोजना के जरहाजेल गांव को जरहाजेल व बरमपुर के डंपिंग को समतल कर बसाने की तैयारी है। इससे उनकी चिंता बढ़ गई है। * ग्राम खोडरी की जमीन पर खनन शुरू एसईसीएल कुसमुंडा ने ग्राम खोडरी की जमीन पर खनन शुरू कर दिया है, जो गेवरा बस्ती के नजदीक है। इससे भी खनन से भविष्य में होने वाली परेशानी के मद्देनजर जल्द से जल्द भू-विस्थापन की मांग प्रबंधन के समक्ष रखी है। ग्राम खोडरी के प्रभावितों को विस्थापित कर कुसमुंडा फोरलेन सड़क के किनारे वैशाली नगर के पास बसाहट स्थल चिन्हित किया है। * बसाहट नहीं लेने पर राशि देने का प्रावधान कोयला खदानों के जमीन का अधिग्रहण करने पर ग्रामो के बसाहट की चुनौती रहती है। कई बार प्रभावितों को चिन्हित स्थल पर आपत्ति दर्ज कराते हैं, इस कारण भी विस्थापन की प्रक्रिया में देरी होती है। बसाहट नहीं लेने पर अलग से राशि देने का भी एसईसीएल ने प्रावधान किया है। शहर के नजदीक अब जमीन नहीं होने की चिंता से गेवरा बस्ती के प्रभावितों ने मांग की है और जनसुनवाई के दौरान एसईसीएल के आश्वासन की याद दिलाई है। गेवरा परियोजना से प्रभावित नराईबोध व भिलाई बाजार के ग्रामीणों को भी कुसमुंडा फोरलेन किनारे ही बसाने की तैयारी है।