क्षेत्रीय
13-Dec-2025
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कोरबा (ईएमएस) सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया की अनुसांगिक कंपनी एसईसीएल बिलासपुर के अधीन कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की मेगा परियोजना की खदानों से प्रभावित ग्राम नराईबोध के ग्रामीणों ने 12 दिसंबर सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक 4 घंटे ग्राम नराईबोध और भठोरा फेस को पूरी तरह से बंद कर दिया। यह विरोध प्रदर्शन मुख्य रूप से पुनर्वास से जुड़ी बसाहट, रोजगार, उचित मुआवजा और वैकल्पिक रोजगार जैसी ज्वलंत समस्याओं को लेकर किया गया था। * विरोध का कारण और लंबित मांगें ग्रामीणों का आरोप लगाते हुए कहना है कि एसईसीएल परियोजना के कारण उनकी पैतृक भूमि और आजीविका प्रभावित हुई है, लेकिन प्रबंधन द्वारा पुनर्वास मुआवजा और प्रभावित परिवारों को रोजगार देने के वादे लंबे समय से पूरे नहीं किए जा रहे हैं। अपनी मांगों की अनदेखी से निराश होकर ग्रामीणों ने शांतिपूर्ण तरीके से खदानों के संचालन को रोककर अपना विरोध दर्ज कराया। खदान बंदी के कारण कोयला उत्पादन और परिवहन पूरी तरह ठप्प रहा। * ​प्रबंधन का हस्तक्षेप और त्रिपक्षीय वार्ता का आश्वासन आंदोलन की गंभीरता और ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए एसईसीएल प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने ग्रामीणों से लंबी चर्चा की और उनकी मांगों के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया। * ​प्रमुख सहमति बिंदु एसईसीएल प्रबंधन ने ग्रामीणों की समस्याओं पर विचार करने के लिए 18 दिसंबर गुरुवार को एक त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित करने का ठोस आश्वासन दिया है। ​इस वार्ता में एसईसीएल प्रबंधन प्रभावित ग्रामीण प्रतिनिधि और जिला प्रशासन के अधिकारियों के शामिल होने की संभावना है। पुनर्वास की बकाया बसाहट उचित मुआवजा वितरण और प्रभावितों के लिए स्थायी/वैकल्पिक रोजगार के अवसरों पर होगा। एसईसीएल प्रबंधन से ठोस आश्वासन और आगामी त्रिपक्षीय वार्ता की तारीख मिलने के बाद ग्रामीणों ने आंदोलन समाप्त कर दिया और खदानों का संचालन फिर से शुरू हो सका। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई है कि 18 दिसंबर की बैठक में उनकी वर्षों पुरानी समस्याओं का स्थायी और संतोषजनक समाधान निकलेगा।