राज्य
16-Dec-2025
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जबलपुर (ईएमएस)। मध्य प्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण की नई नीति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस पूरी कर ली गई है। साथ ही सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व से जुड़ा डाटा भी कोर्ट में पेश किया गया। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को अपेक्षाकृत अधिक प्रमोशन दिए गए हैं, जिसके चलते एससी एवं एसटी वर्ग के कर्मचारी उच्च पदों पर पदस्थ हैं। वहीं अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को कम या देरी से प्रमोशन दिए गए, जिससे उनके नाम ग्रेडेशन सूची में नीचे चले गए। याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी कहा गया कि आरबी राय प्रकरण में वर्ष 2016 में हाई कोर्ट ने वर्ष 2002 तक किए गए सभी प्रमोशन निरस्त करने और नए सिरे से ग्रेडेशन सूची जारी करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी, जहां यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए गए थे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बहस संभव नहीं : वैद्यनाथन मंगलवार को महाधिवक्ता प्रशांत सिंह की ओर से अनुरोध किया गया कि मामले की सुनवाई शीतकालीन अवकाश के बाद रखी जाए। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने दलील दी कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बहस करना संभव नहीं है, इसलिए अगली तारीख दी जाए। कोर्ट द्वारा समय पूछे जाने पर वैद्यनाथन ने कहा कि उन्हें करीब एक घंटे का समय लगेगा। मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा एवं न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगल पीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अगली सुनवाई की तारीख 18 दिसंबर तय कर दी। -क्या है मामला उल्लेखनीय है कि भोपाल निवासी डॉ. स्वाति तिवारी सहित अन्य द्वारा दायर याचिकाओं में मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वर्ष 2002 के नियमों को हाई कोर्ट ने आरबी राय प्रकरण में समाप्त कर दिया था। इसके बावजूद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले के बीच केवल शब्दों में मामूली बदलाव कर वही नियम पुनः लागू कर दिए, जो अनुचित है। सुप्रीम कोर्ट में इस प्रकरण पर अभी सुनवाई लंबित है और यथास्थिति के आदेश प्रभावी हैं।