लेख
17-Dec-2025
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(17 दिसम्बर यौन कर्मियों के खिलाफ़ हिंसा समाप्त करने का अंतर्राष्ट्रीय दिवस) भारत में यौनकर्मियों के साथ हिंसा की स्थिति एक गंभीर मानवाधिकार और सामाजिक-कानूनी मुद्दा है, जो मुख्य रूप से उनके काम से जुड़े सामाजिक कलंक, कानूनी अस्पष्टता और पुलिस उत्पीड़न के कारण और भी जटिल हो जाता है। यौनकर्मी अक्सर कई प्रकार से हिंसा का अनुभव करते हैं, जिनमें ग्राहक, अंतरंग साथी और पुलिस अधिकारी शामिल हैं। एक अध्ययन में पाया गया कि 98% यौनकर्मियों ने अपने अंतरंग साथियों द्वारा गंभीर हिंसा की सूचना दी, जबकि 76% ने ग्राहकों द्वारा हिंसा का अनुभव किया। यौनकर्मियों को गंभीर सामाजिक कलंक और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। समाज द्वारा उन्हें अनैतिक माने जाने के कारण, हिंसा होने पर अक्सर उन्हें ही दोषी ठहराया जाता है और समझा जाता है कि वे इस हिंसा की हकदार हैं। यह कलंक उन्हें स्वास्थ्य सेवा, आवास और कानूनी सुरक्षा जैसे बुनियादी अधिकारों तक पहुँचने से रोकता है। हिंसा के अधिकांश मामले पुलिस में रिपोर्ट नहीं किए जाते, क्योंकि यौनकर्मियों को पुलिस पर भरोसा नहीं होता और उन्हें गिरफ्तारी या और अधिक उत्पीड़न का डर रहता है। स्वास्थ्य सुविधाओं में भी उनके साथ भेदभाव और दुर्व्यवहार किया जाता है। उन्हें उचित चिकित्सा देखभाल से वंचित किया जा सकता है, या गोपनीय जानकारी उजागर की जा सकती है, जिससे वे स्वास्थ्य सेवाओं की तलाश करने से हतोत्साहित होती हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कई फैसलों में यह माना है कि यौनकर्मियों को भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा और आजीविका के साथ जीने का अधिकार है। 2022 में, सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों को यौनकर्मियों के मानवाधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाने का आदेश दिया और कहा कि सहमति से यौन कार्य करने वाले वयस्कों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। भारत सहित पूरी दुनिया में यौन वर्कर्स को हिंसा का सामना करना पड़ता है, अभी भी किसी के प्रति हिंसा होना मानवता पर कलंक है l यही कारण है कि प्रत्येक 17 दिसंबर को, दुनिया भर के यौनकर्मियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाती है l यह दिन यौनकर्मियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए आवश्यक कार्रवाई पर प्रकाश डालने के लिए मनाया जाता है। विभिन्न कानूनों, सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के कारण यौनकर्मियों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याएं अक्सर प्रत्येक क्षेत्र के अनुसार भिन्न होती हैं, लेकिन सभी यौनकर्मियों द्वारा सामना की जाने वाली एक सामान्य समस्या हिंसा के प्रति उनकी असुरक्षा और हिंसा का अनुभव बिल्कुल एक समान है। ये समस्या वैश्विक स्तर पर है l कोविड-19 ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया था और दुनिया भर की यौनकर्मियों ने महामारी के दौरान जीविका चलाने के संघर्ष के दौरान हिंसा की खबरों में जमकर बढोत्तरी देखी गई है, यौनकर्मियों को हिंसा का खतरा रहता है क्योंकि यौन कार्य को अपराध की श्रेणी में रखा गया है, एचआईवी से पीड़ित यौनकर्मियों, नशीली दवाओं का सेवन करने वाली यौनकर्मियों, ट्रांसजेंडर यौनकर्मियों, प्रवासी यौनकर्मियों और अन्य हाशिए पर रहने वाले यौनकर्मियों के लिए हिंसा का खतरा और भी बढ़ जाता है। यौनकर्मियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर, एनएसडब्ल्यूपी ने सेक्स वर्कर्स स्पीक आउट वीडियो वॉल परियोजना शुरू की थी जिसमें 17 वीडियो से शुरू होकर, इस परियोजना में अंततः 100 वीडियो थे जिनमें यौनकर्मी, यौन कार्य, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एवं अधिकार (एसआरएचआर) और शारीरिक स्वायत्तता के बारे में खुलकर बोलते नज़र आए थे l आज दुनिया भर में, यौनकर्मी 17 दिसंबर को ऑनलाइन कार्यक्रमों, व्यक्तिगत स्मारक सभाओं और सामूहिक कार्रवाइयों के माध्यम से इस मुद्दे को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की मांग कर रहे हैं। यौनकर्मियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर, हम सभी यौनकर्मियों से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने का आग्रह करते हैं, कि आपको बुनियादी अधिकारों को समझना चाहिए। विशेष रूप से कानून लागू करने वाली संस्थाओं को यौनकर्मियों की मदद की गुहार पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। पुलिस को ऐसे व्यवहार नहीं करने चाहिए जिससे यौनकर्मी पुलिस को बुलाने से हिचकें, अन्यथा यौनकर्मी हमेशा अपराधियों का निशाना बनती रहेंगी l सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यौनकर्मियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए और पुलिस को सहमति से किए जाने वाले यौन कार्य में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए l यौन कार्य को अपराध घोषित करना उन्हें हाशिए पर धकेलना और देश में उनके नागरिक अधिकारों से वंचित करना है। लंबे समय से, और आज भी, उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, सुरक्षा और समाज में सम्मानजनक जीवन जीने की स्वतंत्रता से वंचित रखा गया है । यौन वर्कर्स पर हो रही हिंसा मानवता पर कलंक है, एक इंसान का फ़र्ज है सभी जीवो के प्रति दया भाव रखना l (लेखक पत्रकार हैं) (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) .../ 17 ‎दिसम्बर /2025