व्यापार
17-Dec-2025


मुंबई (ईएमएस)। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 91.14 पैसे के स्तर तक पहुंच कर 91.1 पेसे पर बंद हुआ। यदि डॉलर इस तेजी के साथ नहीं गिरा हुआ होता। तो भारतीय रुपए की डॉलर के मुकाबले क्या हालत होती, इसे आसानी से समझा जा सकता है। करंसी मार्केट के विशेषज्ञों का कहना है। डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरावट कम है। जिसके कारण भारतीय मुद्रा डालर के मुकाबले अपना अस्तित्व बनाकर रख पा रही है। यदि डॉलर में इतनी तेज गिरावट नहीं होती, तो भारतीय रुपया वैश्विक स्तर पर कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहता। भारतीय रिजर्व बैंक रूप्ये को सपोर्ट नहीं कर रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अर्थव्यवस्था में नगदी के स्तर को बढ़ाने की नीति पर काम कर रहे हैं। भारत में रुपए का, डॉलर के मुकाबले कमजोर होना। इस बात का संकेत है। पेट्रोलियम, खाने के तेल और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के दाम आने वाले महीनो में महंगे होंगे। जो भी समान भारत में आयात हो रहा है। उसमें 13 से 14 फ़ीसदी की तेजी देखने को मिलेगी। अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 13 से 14 फ़ीसदी गिर चुके हैं। इसका लाभ भारत को मिल रहा है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है, डॉलर मुद्रा की गिरावट के कारण भारत के रुपए को अप्रत्यक्ष रूप से अभी सपोर्ट जरूर मिल रहा है। यह सपोर्ट ज्यादा दिनों तक नही मिलेगा। देश की अर्थव्यवस्था के लिए यह एक खतरनाक संकेत हैं। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है, आयात के मुकाबले हमारा निर्यात बहुत कम है। व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। विदेशी मुद्रा को लेकर जो संकट भारत में पैदा हो रहा है। वह भविष्य में भारत की मुश्किलों को बढ़ाएगा। इसको लेकर अर्थशास्त्री और कारोबारी चिंतित हैं। एसजे/ 17 ‎दिसम्बर /2025