नई दिल्ली (ईएमएस)। भारत की सीमा पर एक ओर चीन, दूसरी ओर पाकिस्तान की गंदी नजर है। पूरी दुनिया इन दोनों देशों की करतूत को जानती है। पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए ऐशगाह है, और चीन की विस्तार और हड़प नीति के बारे में सभी वाकिफ है। पाकिस्तान की दशकों से एक ही नीति हैं, कि आतंकवादियों के जरिये भारत को अस्थिर करे। हालांकि, अब वक्त और हालात दोनों बदल चुके हैं। भारत किसी भी तरह के आतंकवादी हमलों का मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार है। पहलगाम अटैक के बाद इंडियन आर्म्ड फोर्सेज की ओर से लांच ऑपरेशन सिंदूर इसका जीता जागता उदाहरण है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता एवं मजबूत करने की मुहिम शुरू कर दी है। इसी कड़ी में नेवी की म्यान में एक ऐसा वेपन है, जो पलक झपकते ही दुश्मनों का खात्मा करने में सक्षम है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे ‘पाताल लोक’ से टारगेट पर फायर किया जा सकता है। मतलब यह कि इस अल्ट्रा मॉडर्न बैलिस्टिक मिसाइल को सबमरीन (पनडुब्बी) से दागा जा सकता है। इस तकनीक के साथ ही भारत उन गिनेचुने देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जिसके पास जल-थल और नभ से फायर करने वाली मिसाइल तकनीक है। हम बात कर रहे हैं नेवी की महारथी मिसाइल के-4 की। इस मिसाइल को सबमरीन से लांच किया जा सकता है। पानी के अंदर से ही टारगेट को लॉक कर तबाह किया जा सकता है। बता दें कि के-4 मिसाइल का विशाखापत्तनम तट के पास पनडुब्बी आईएनएस अरिघात से परीक्षण हुआ था। अफसरों ने बताया कि यह किसी पनडुब्बी से दागी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) का पनडुब्बी से किया गया पहला परीक्षण था। सॉलिड फ्यूल से चलने वाली मिसाइल का पिछले कुछ वर्षों में पानी के भीतर से दागे जाने वाले प्लेटफॉर्म से कम से कम पांच बार ट्रायल हो चुका है। मिसाइल का परीक्षण लगभग उसकी पूरी मारक क्षमता तक किया गया। भारत ने ब्रह्मोस के नए वैरिएंट का परीक्षण किया है, जिसकी रेंज 800 किलोमीटर है। बताया जा रहा है कि ब्रह्मोस मिसाइल के एक और वर्जन पर काम चल रहा है, जिसके बाद इसकी रेंज 1500 किलोमीटर तक हो जाएगी। 800 किलोमीटर मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस मिसाइल को विभिन्न मोर्चों पर तैनात भी किया जा रहा है। दूसरी तरफ, के-4 एसएलबीएम मिसाइल 3500 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। यह बैलिस्टिक मिसाइल परमाणु आयुध ले जाने में भी कैपेबल है। इस तरह फिलहाल के-4 एसएलबीएम पाकिस्तान को घुटनों पर लाने वाली ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से ज्यादा रेंज तक मार करने में सक्षम है। सबमरीन से मार करने में सक्षम के-4 एसएलबीएम हाइपरसोनिक रफ्तार से टारगेट की ओर मूव करने में कैपेबल है। हालांकि, के-4 एसएलबीएम की स्पीड के बारे में जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, पर माना जा रहा है कि यह मैक 5 या उससे ज्यादा की रफ्तार से मूव करने में सक्षम है। इसका मतलब यह हुआ कि के-4 एसएलबीएम कम से कम 6200 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से दुश्मन पर अटैक कर सकती है। दूसरी तरफ, ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल अधिकतम मैक 3 यानी 3700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अटैक कर सकती है। आशीष/ईएमएस 19 दिसंबर 2025