राज्य
21-Dec-2025
...


-नाम नहीं तो नाराज़गी पक्की! -कार्ड में नाम गायब, स्कूल में हंगामा -स्कूल में राजनीति की क्लास, छात्राएं बनीं गवाह झाबुआ (ईएमएस)। जिले के थांदला अनुविभागीय मुख्यालय स्थित पीएम श्री कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित स्नेह सम्मेलन उस समय विवाद का केंद्र बन गया, जब आमंत्रण पत्र में अपना नाम नहीं देखकर क्षेत्रीय विधायक वीर सिंह भूरिया नाराज़ हो गए। स्नेह और सौहार्द के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम देखते ही देखते तकरार और तल्खी का मंच बन गया। विद्यालय में तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव के तहत स्नेह सम्मेलन का आयोजन किया गया था। शनिवार को इसके शुभारंभ अवसर पर स्कूल प्रशासन ने महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया सहित कई भाजपा नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को आमंत्रित किया था। आयोजन के लिए बाकायदा आमंत्रण पत्र भी छपवाए गए, लेकिन इन कार्डों में क्षेत्रीय विधायक का नाम न होने से मामला गरमा गया। आमंत्रण पत्र में नाम न देख विधायक वीर सिंह भूरिया कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ सीधे विद्यालय पहुंच गए। वहां उन्होंने विद्यालयीन स्टाफ और विशेष रूप से प्राचार्य मंगल सिंह नायक को छात्राओं और स्टाफ के सामने खरी-खोटी सुनाई। विधायक ने सवाल किया कि एक चुने हुए जनप्रतिनिधि की अनदेखी आखिर किस आधार पर की गई। “छात्राओं से पूछा—पहचानती हो या नहीं?” विधायक ने कार्यक्रम में मौजूद छात्राओं से संवाद करते हुए पूछा कि क्या वे उन्हें जानती हैं। छात्राओं ने एक स्वर में उन्हें विधायक के रूप में पहचान लिया। इसके बाद विधायक ने प्राचार्य को फटकार लगाते हुए कहा कि एक प्रशासनिक अधिकारी को इतनी समझ होनी चाहिए कि वह जनप्रतिनिधियों की अवहेलना न करे। “कलेक्टर तक पहुंचेगा मामला” आक्रोशित विधायक ने चेतावनी दी कि वे इस पूरे प्रकरण की शिकायत जिला कलेक्टर से करेंगे। उनका कहना था कि यह सिर्फ उनका व्यक्तिगत अपमान नहीं, बल्कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि की अवहेलना है। “आमंत्रण की राजनीति पर सवाल” बाद में मीडिया से बातचीत में विधायक वीर सिंह भूरिया ने कहा कि वे तो स्कूल की छात्राओं से संवाद करने पहुंचे थे, लेकिन आमंत्रण पत्र में नाम न होना प्रशासनिक रवैये पर सवाल खड़ा करता है। उन्होंने यह भी कहा कि कैबिनेट मंत्री को बुलाया जाना उचित है और प्रशासनिक अधिकारियों के आमंत्रण पर भी उन्हें आपत्ति नहीं, लेकिन अन्य भाजपा नेताओं को किस आधार पर बुलाया गया, यह समझ से परे है। यह पूरा घटनाक्रम शिक्षा के मंच पर राजनीति के प्रवेश का उदाहरण बन गया है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस तंज और तल्खी से भरे मामले पर क्या रुख अपनाता है और स्नेह सम्मेलन दोबारा स्नेह की राह पर लौट पाता है या नहीं।