राज्य
26-Dec-2025


* गोंडल में 40 गांवों के किसानों से संवाद, ‘ज़हरमुक्त भारत: गाय-गांव-कृषि यात्रा’ को किया रवाना राजकोट (ईएमएस)| राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज राजकोट जिले के गोंडल तालुका के वोराकोटड़ा गांव के समीप स्थित गिर गौ जतन संस्थान में 40 गांवों के किसानों से संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने प्राकृतिक कृषि के महत्व को समझाते हुए किसानों से ज़हरमुक्त खेती अपनाने का आह्वान किया। साथ ही राज्यपाल ने ‘ज़हरमुक्त भारत: गाय, गांव, कृषि यात्रा’—गोंडल से सोमनाथ तक की पदयात्रा को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्राकृतिक कृषि परिसंवाद में किसानों को संबोधित करते हुए राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि रासायनिक खेती छोड़ने से उत्पादन घटने का भय किसानों में रहता है, लेकिन उनके सहित अनेक किसानों के अनुभव बताते हैं कि प्राकृतिक कृषि से उत्पादन घटता नहीं, बल्कि गुणवत्ता के साथ बढ़ता है। इसके अलावा प्राकृतिक खेती में लागत भी अत्यंत कम होती है। राज्यपाल ने आज सुबह लुनीवाव गांव में प्राकृतिक फार्म के दौरे का उल्लेख करते हुए कहा कि प्राकृतिक पद्धति से एक बीघा में 20 से 22 मन चने का उत्पादन हो रहा है, जिसमें पोषक तत्व भरपूर होते हैं। लुनीवाव में एक किसान केवल एक गाय के माध्यम से 16 बीघा भूमि में प्राकृतिक खेती कर रहा है। उन्होंने बताया कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से भूमि बंजर होकर पत्थर जैसी कठोर बन जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि ज़हरीले उर्वरकों से उगे अनाज के सेवन से शरीर में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां उत्पन्न होती हैं। यह ज़हर अब भूगर्भ जल में भी उतर चुका है, जिसके कारण कई स्थानों पर पानी पीने योग्य नहीं रहा है। आईसीआर के एक शोध में सामने आया है कि गेहूं और चावल में 45 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट हो चुके हैं। ऐसे अनाज से पेट तो भरता है, लेकिन पोषण नहीं मिलता। प्राकृतिक कृषि का महत्व समझाते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह सूक्ष्म जीवाणुओं पर आधारित खेती है। देशी गाय के 30 दिन के गोबर से 30 एकड़ भूमि के लिए खाद तैयार की जा सकती है। देशी गाय के एक ग्राम गोबर में लगभग 300 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु होते हैं, जबकि 10 किलो गोबर में 30 लाख करोड़ सूक्ष्म जीवाणु पाए जाते हैं। जब इसमें गुड़ और बेसन मिलाया जाता है, तो इन सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या असंख्य हो जाती है और खेत में छिड़काव करने से भूमि की उर्वरता बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय प्राकृतिक मिशन की शुरुआत की है। आज राज्य में लगभग आठ लाख किसान प्राकृतिक कृषि अपना चुके हैं। राज्यपाल ने किसानों से अपील की कि वे गांवों में समूह बनाकर गुजरात सरकार द्वारा निःशुल्क दी जाने वाली प्राकृतिक कृषि की प्रशिक्षण योजना का लाभ लें और ज़हरमुक्त खेती अपनाएं, ताकि आने वाली पीढ़ी को शुद्ध भोजन मिल सके। राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती से हवा शुद्ध होगी, धरती सोने जैसी उर्वर बनेगी, स्वास्थ्य बेहतर होगा, किसानों की आय बढ़ेगी और देश की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। इस अवसर पर उन्होंने किसानों को प्राकृतिक कृषि अपनाने की शपथ भी दिलाई। साथ ही कृषि सखी, किसान मित्र और आत्मा के कर्मचारियों को प्राकृतिक कृषि को मिशन के रूप में आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने गिर गौ जतन संस्थान द्वारा आयोजित ‘ज़हरमुक्त भारत: गाय, गांव, कृषि यात्रा’—गोंडल से सोमनाथ तक की पदयात्रा का शुभारंभ किया और विश्वास व्यक्त किया कि इस पदयात्रा के माध्यम से लोगों में प्राकृतिक कृषि और गाय के संरक्षण के प्रति जागरूकता और अधिक बढ़ेगी। सतीश/26 दिसंबर