अंतर्राष्ट्रीय
27-Dec-2025


करांची,(ईएमएस)। भारत ने दिसंबर 2025 में आईएनएस अरिघात से के-4 पनडुब्बी से लांच होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जिससे दुनिया में अपनी परमाणु ताकत का प्रदर्शन किया। के-4 मिसाइल, जिसे डीआरडीओ ने स्वदेशी तकनीक से तैयार किया है, करीब 3,500 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है और इसमें 2 टन तक का परमाणु या पारंपरिक वारहेड लग सकता है। यह दो चरणों में ठोस ईंधन से ऑपरेट होती है और 12 मीटर लंबी तथा 17–20 टन वजनी है। एडवांस्ड इनर्शियल गाइडेंस और एनएवीआईसी/ जीपीएस सपोर्ट की वजह से इसकी सटीकता 10 मीटर से कम बताई गई है। के-4 मिसाइल की सफलता भारत की न्यूक्लियर ट्रायड और समुद्री सेकंड-स्ट्राइक क्षमता को मजबूत करती है। पाकिस्तान के पूर्व ब्रिगेडियर और आर्म्स कंट्रोल एडवाइजर डॉ.जाहिर काजमी ने के-4 मिसाइल को पाकिस्तान के लिए गंभीर खतरे के रूप में देखा। उनका मानना है कि के-4 भारत को समुद्र के भीतर सुरक्षित दूरी से परमाणु हमला करने की क्षमता देती है, जिससे भारत किसी संकट की स्थिति में ज्यादा जोखिम लेने और पारंपरिक लड़ाई में अधिक आक्रामक कदम उठाने में सक्षम होगा। डॉ.काजमी ने लिखा कि भारत अब अपनी परमाणु छतरी के नीचे पारंपरिक लड़ाई में पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने की नीति अपना सकता है। डॉ.काजमी के अनुसार, पाकिस्तान की चिंता केवल के-4 मिसाइल तक सीमित नहीं है। भारत की समुद्री परमाणु शक्ति का विस्तार और 2030 तक 6 परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (एसएसबीएनएस) और 6 परमाणु हमलावर पनडुब्बियों (एसएसएनएस) की तैनाती की योजना चिंता को और बढ़ाती है। एस4-क्लास पनडुब्बियां, जिसमें आईएनएस अरिधमान शामिल है, जल्द ही ऑपरेशनल होने वाली हैं। भारतीय नौसेना की रणनीति भी पिछले कुछ वर्षों में बदल चुकी है। 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 में बालाकोट स्ट्राइक और मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने समुद्र में आक्रामक भूमिका निभाई। ऑपरेशन सिंदूर के समय भारतीय नौसेना ने अरब सागर में एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रमादित्य, ब्रह्मोस मिसाइल से लैस विध्वंसक और पीई-8आई समुद्री निगरानी विमानों की तैनाती की थी, जिससे पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी बज गई। के-4 की तैनाती का मतलब है कि भारत अब लगातार समंदर में अपनी परमाणु हमला करने की क्षमता बनाए रख सकता है। इसके चलते पाकिस्तान को डर है कि भारत की बढ़ती समुद्री परमाणु ताकत पूरे हिंद महासागर क्षेत्र को अस्थिर कर सकती है। के-4 की रेंज न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि चीन के अधिकांश हिस्सों को भी कवर करती है। इसके साथ ही भारत की अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और क्वाड जैसे मंचों के साथ बढ़ती समुद्री सहयोग भी पाकिस्तान के लिए चिंता का कारण बनती है। आशीष दुबे / 27 दिसंबर 2025