क्षेत्रीय
27-Dec-2025


संदेह के घेरे में है वन परिचित अधिकारी तेजगढ़ दमोह (ईएमएस)। दमोह मध्य प्रदेश तेजगढ़ रेंज के अंतर्गत दो साल में दो तेंदुए की मौत संदेह के घेरे में /भारत सरकार और मध्य प्रदेश शासन वन्यजीवों के लिए अनेक योजनाएं चला रहे हैं लेकिन दमोह जिले में सभी योजनाएं अदृश्य रूप में चल रही हैं मानो इनको कोई अदृश्य शक्ति चला रही है क्योंकि यह योजनाएं जमीन में कहीं भी दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती हैं लेकिन सरकार के द्वारा इन योजनाओं को चलाया जा रहा है और इन योजनाओं के लिए एक लंबा बजट शासन के द्वारा वन विभाग को दिया जाता है तेजगढ़ रेंज के अंतर्गत बंशीपुर ग्राम के जंगल में जिस जगह पर तेंदुआ मृत पाया गया वह स्थान बंशीपुर से लगभग 3 किलोमीटर दूर था यहां पर पहुंचना दुर्गम था एवं चार पहिया वाहन और दोपहिया वाहन पर नहीं पहुंच सकते थे और वहां पर रेंजर नीरज पांडे का कहना है की मोबाइल नेटवर्क भी नहीं था यह सब बातें अपने आप में कई गंभीर सवाल पैदा करती हैं एवं मौके पर मौजूद वन मंडल अधिकारी ईश्वर राम हरि जरांडे उप वन मंडल अधिकारी प्रतीक दुबे रेंजर नीरज पांडे वन्य कमी वेटरनरी डॉक्टर पंकज चौबे जबेरा और डॉक्टर हरिकांत बिलवार मौजूद थे रेंजर नीरज पांडे के द्वारा बताया गया कि तेंदुए की मौत भूख और बीमारी के चलते हुई है यहां पर सवाल यह है कि जब विभाग में बन्य जीवों की गणना का काम चल रहा था लेकिन मृत तेंदुए की जानकारी विभाग को चरवाहे के द्वारा दी गई थी तब क्या वहां पर पदस्थ बीट गॉड कहां पर गए थे क्या जंगल में लगातार गस्त नहीं की जा रही है और यदि भविष्य में अन्य तेंदुए या चीते अभ्यारण में लाएं जाते हैं तो क्या वह सुरक्षित रहेंगे क्योंकि सागोनी रेंज में लगभग एक वर्ष पूर्व एक तेंदुए को ग्रामीणों के द्वारा डंडे से मारा गया था और वन विभाग के द्वारा उक्त मामले को कागजों में में दवा दिया गया था तेजगढ़ रेंज में दो वर्ष में यह दूसरे तेंदुए की मृत्यु हुई क्या यह अपने आप में गंभीर सवाल नहीं है भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश शासन के द्वारा बन्य जीवो को बचाने के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन यह योजनाएं दमोह जिले में धरातल पर नजर नहीं आती हैं तेंदुए जो की संरक्षण वन्य प्राणी की श्रेणी में आते हैं फिर ऐ योजनाएं अदृश्य रूप से कहां पर संचालित हो रही है इसका जवाब दमोह जिले के वन मंडल अधिकारी ईश्वर राम हरि जरांडे से लेकर दमोह जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के पास भी नहीं है अब सवाल उठ रहा है की इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा या फिर ऐसे ही बेजुबान जानवर देख रेख के अभाव में बे मोत मरते रहेंगे और वन मंडल अधिकारी इन सब बातों को नजर अंदाज करते हुए चुप चाप तमाशा देखते वन मंडल अधिकारी अपनी मनमानी करते हुए बीटगार्डो और वनपालो को आफिस में बेठाए हुए हैं वन मंडल दमोह में ना तो किसी रेंजर को अवैध उत्खनन अवैध अतिक्रमण अवैध कटाई दिखती है यह तो बस ऑफिस में बैठे-बैठे वानिकी वा अन्य कार्यों का मोटा कमीशन का खेल खेल रहे इनको जंगल से कुछ भी लेना-देना नहीं हैं समय रहते वन विभाग अधिकारीयों को जिम्मेदारी तय करना अति आवश्यक है की इन सब का जिम्मेदार कौन है और यदि कोई जिम्मेदार है तो उस पर कार्यवाही होना अति आवश्यक है नहीं तो इन कर्मचारियों और अधिकारियों के होसले लगातार बढ़ते रहेंगे और ऐसे ही बन्य जीव अकाल मृत्यु का शिकार होते रहेंगे दमोह जिले में 2 वर्ष में तीन तेंदुए की मौत होना अपने आप में कई गंभीर सवाल पैदा करता है अब देखना होगा की खबर प्रकाशन के बाद प्रशासन क्या कार्यवाही करता है ईएमएस/ मोहने/ 27 दिसंबर 2025