:: किडनी रोग से जूझ रहे मुकेश के लिए फरिश्ता बने कलेक्टर शिवम वर्मा; नियमों की औपचारिकता छोड़ तत्काल स्वीकृत की इलाज की राशि :: इन्दौर (ईएमएस)। प्रशासनिक मशीनरी अक्सर नियमों की कठोरता के लिए जानी जाती है, लेकिन जब नेतृत्व संवेदनशील हो, तो यही व्यवस्था जीवनदायिनी बन जाती है। इंदौर कलेक्टर कार्यालय की जनसुनवाई में एक ऐसा ही भावुक दृश्य उभरा, जिसने यह साबित कर दिया कि सरकार की चौखट पर केवल न्याय ही नहीं, जीवन की आस भी मिलती है। यह कहानी 11 वर्षीय मुकेश (परिवर्तित नाम) की है, जिसके लिए प्रशासनिक तत्परता किसी वरदान से कम साबित नहीं हुई। मुकेश के पिता नितिन पेशे से ड्राइवर हैं। वह दिन-रात मेहनत कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं, लेकिन नियति ने उनके सामने ऐसी चुनौती पेश की जो उनके सामर्थ्य से बाहर थी। मुकेश की दोनों किडनियां खराब हो चुकी थीं और उसे जीवित रहने के लिए नियमित डायलिसिस की सख्त जरूरत थी। इसके लिए शरीर में परमाकेथ (विशेष कैथेटर) इम्प्लांट करना अनिवार्य था, जिसकी लागत एक ड्राइवर के लिए नामुमकिन थी। नितिन जब जनसुनवाई में पहुंचे, तो उनकी आंखों में अपने बच्चे को खोने का डर साफ झलक रहा था। जैसे ही यह मामला कलेक्टर शिवम वर्मा के समक्ष आया, उन्होंने इसे केवल एक सरकारी आवेदन नहीं माना। बच्चे की नाजुक स्थिति देख उन्होंने तत्काल मानवीय निर्णय लिया और रेडक्रॉस के माध्यम से 20,000 रुपये की त्वरित सहायता प्रदान की। इसके साथ ही, सर्जरी के लिए 16,500 रुपये की अतिरिक्त राशि भी मौके पर ही मंजूर की गई। कलेक्टर के इस स्पॉट डिसीजन ने न केवल आर्थिक मदद दी, बल्कि एक टूटते परिवार को संबल भी प्रदान किया। :: प्रशासन और समाज के मेल से मिली संजीवनी :: कलेक्टर की इस पहल ने समाज के सेवाभावी लोगों को भी प्रेरित किया। इस अभियान में समाजसेवी जय्यू जोशी और रितेश बाफना भी आगे आए और उनके सहयोग से निजी अस्पताल में मुकेश का आवश्यक इम्प्लांट सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस सामूहिक प्रयास का सुखद परिणाम यह है कि अब मासूम मुकेश का डायलिसिस एमवाई अस्पताल में पूर्णतः नि:शुल्क शुरू हो चुका है। यह घटना केवल एक बच्चे के इलाज की खबर नहीं है, बल्कि प्रशासन के प्रति जनता के अटूट विश्वास की जीत है। कलेक्टर शिवम वर्मा की इस पहल ने संदेश दिया है कि इंदौर प्रशासन का ध्येय केवल व्यवस्था चलाना नहीं, बल्कि अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के आंसू पोंछना भी है। मुकेश के परिवार के लिए यह सहायता सरकारी मदद से कहीं बढ़कर, उनके चिराग के लिए मिली एक नई जिंदगी है। प्रकाश/27 दिसम्बर 2025