देवभूमि उत्तराखंड के साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन सन 2025 में भी हिंदी के लिए सक्रिय रहे,साथ ही उनकी आध्यात्मिक सक्रियता भी बनी रही। उनकी हरदिन लिखी जा रही कविता ने जहां मन मोहे रखा वही नेपाल-भारत द्वारा संयुक्त साहित्य संगठन के माध्यम से विश्व हिंदी कविता प्रतियोगिता में श्रीगोपाल नारसन को सम्मान मिलना बड़ी उपलब्धि है।उनके द्वारा वर्तमान में उपभोक्ता कानून पर एक पुस्तक लाई जा रही है। विविधताओं का शहर रुड़की उनकी पुस्तक सन 2023 में प्रकाशित हो चुकी है।अपने अभी तक के साहित्यिक जीवन मे 22 पुस्तकें लिख चुके श्रीगोपाल नारसन को हिंदी की अंतरराष्ट्रीय पुरातन संस्था विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर बिहार ने हिंदी साहित्य में विशेष सेवा,सारस्वत साधना व कलात्मक सोच के लिए रामधारी सिंह दिनकर सम्मान से विभूषित किया था। उन्हें न्यायमूर्ती राजेश टण्डन व न्यायमूर्ति यू सी ध्यानी ने मानवाधिकार संरक्षण रत्न सम्मान 2023 से भी विभूषित किया है।उत्तराखंड के साहित्यकार श्रीगोपाल नारसन की प्रकाशित पुस्तकों मे नया विकास,मीडिया को फांसी दो,खामोश हुआ जंगल, प्रवास,तिनका तिनका संघर्ष, पदचिन्ह, चैक पोस्ट ,श्रीमद्भागवत गीता शिव परमात्मा उवाच,दादी जानकी, आबू तीर्थ महान ,विविधताओं का शहर रुड़की, ईश्वरीय गुलदस्ता आदि शामिल है। उनके साहित्यिक योगदान पर भी 3 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है,जिनमे श्रीगोपाल नारसन और उनका साहित्य व श्रीगोपाल नारसन का आध्यात्मिक चिंतन ,श्रीगोपाल की आध्यात्म काव्यधाराशामिल है।श्रीगोपाल नारसन के शब्दकोश में खाली समय शब्द नहीं है,क्योंकि वे कभी खाली रहते ही नही ।बड़े सवेरे 4 बजे उठकर रात्रि 11 बजे तक की उनकी दैनिक दिनचर्या में कभी कोई खाली समय नही होता। पीड़ित उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने के लिए वकालत के क्षेत्र में सक्रिय श्रीगोपाल नारसन ब्रह्माकुमारीज के माध्यम से आध्यात्मिक सेवा कार्य भी करते है। इसके बाद जो भी समय उन्हें मिलता है , उस समय का सदुपयोग श्रीगोपाल नारसन साहित्य सृजन कर अपने जीवन को सार्थक बना रहे हैं।जीवन से जुड़े अनेक विषयों पर काव्य की रचना करना भी उनकी दिनचर्या में शामिल है। उन्हें डॉ आंबेडकर फैलोशिप सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ का सर्वोच्च भारत गौरव सम्मान ,भारत नेपाल साहित्यिक मैत्री सम्मान ,मानसश्री सम्मान व हाल ही में मिला सृजन समन्वय सम्मान 2025 आदि शामिल है। आज के समय मे जहां लोग एक-दूसरे से केवल स्वार्थसिद्धि हेतु ही बात करते हैं , वहीं वह हर सुबह अनेक माध्यमों से चाहे वह फेसबुक हो, मैसेंजर हो या फिर व्हाट्सएप ,इंस्टाग्राम व ट्यूटर आदि पर ही निस्वार्थ परमात्मा से जुड़े प्रेरणादायक व परोपकार की भावना से ओतप्रोत आध्यात्मिक सन्देश मौलिकता के साथ भेजते है श्रीगोपाल नारसन, जो देवभूमि उत्तराखंड के अभियंता नगरी रुड़की के निवासी है और साथ साथ ही मुख्यमंत्री के प्रवक्ता भी रहे है।उनकी गिनती वरिष्ठ साहित्यकार के रूप में होती हैं।देश की आजादी के अमर शहीद जगदीश प्रसाद वत्स के भांजे श्रीगोपाल नारसन ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रकोष्ठ द्वारा तीन दशक पूर्व संचालित किए गए चरित्र निर्माण शिविरों में सक्रिय भूमिका निभाई, साथ ही राजकीय महाविद्यालय देवबंद के छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में उन्होंने अपनी राजनीतिक शुरुआत की। मां शारदे की अनुकम्पा से श्रीगोपाल नारसन एक सरल व्यक्तित्व के धनी तो हैं ही साथ ही इनमें सादगी,विन्रमता, धैर्य,ईमानदारी, कर्मठता, अपनत्व की भावना भी कूट-कूट कर भरी हैं।श्रीगोपाल नारसन को उत्तराखंड की शान व साहित्य से लेकर धार्मिक,राजनीतिक आदि समस्त ज्ञान का भंडार व बहुमुखी प्रतिभा के धनी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी। व्यवसाय से उपभोक्ता राज्य आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में विगत 35 वर्षों से उपभोक्ता जनजागरूकता के क्षेत्र में अपनी राष्ट्र व्यापी भूमिका वे निभा रहे है।श्रीगोपाल नारसन उपभोक्ता कानून की गहन जानकारी रखते हैं और आकाशवाणी , प्रिंट मीडिया के साथ ही जगह-जगह जाकर जागो ग्राहक जागो की अलख जगाना उनकी नियमित कार्य शैली का हिस्सा है ,ताकि लोग अपने उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूक होकर शोषण व उत्पीड़न से स्वयं को बचा सके।उनका दैनिक ट्रिब्यून में उपभोक्ता कानून पर नियमित कॉलम आता है। अनेक शिक्षण संस्थान उन्हें अपने यहां अतिथि प्रवक्ता के रूप में आमंत्रित करते हैं, जिससे कानून की जानकारी स्कूल कॉलेज के छात्र व छात्राओं को आसानी से मिल सके। वे निस्वार्थ भाव से कानून की सेवा करने के कारण ही विभिन्न शिक्षण संस्थाओं व विधिक सेवा प्राधिकारण के शिविरो में उपभोक्ता कानून विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। जीवन से जुड़े अनेक विषयों पर काव्य की रचना करना उनकी सबसे बड़ी खूबी है।एक बेबाक वक्ता के रूप में टीवी चैनलों पर बहस करते हुए वे बहुत ही संयमित, मर्यादित रूप से , सदव्यवहार के धनी श्रीगोपाल नारसन साफ गोई से अपनी बात को रखते हैं।कानफोड़ू टीवी डिबेट को वे अच्छा नही मानते।दूसरे का सम्मान करते हुए अपनी बात मजबूती से रखना उन्हें अच्छी तरह आता है। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी एक वरिष्ठ पत्रकार के रूप में उनकी गिनती होती है।देश विदेश की अनेक पत्र और पत्रिकाओं में उनके लेख आए दिन प्रकाशित होते रहे हैं। उन्हें अनेक सम्मानो से विभूषित किया जा चुका है।जिनमे डॉ आंबेडकर फैलोशिप सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ का सर्वोच्च भारत गौरव सम्मान ,भारत नेपाल साहित्यिक मैत्री सम्मान आदि शामिल है।श्री गोपाल नारसन वर्तमान में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर,बिहार के प्रतिकुलपति भी हैं।जो उनके हिंदी प्रेम व अथक परिश्रम का परिचायक हैं। अंतर्राष्ट्रीय सिद्धार्थ साहित्य कला सिद्धार्थनगर उत्तर प्रदेश द्वारा उनको अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किया गया हैं। खेलों के क्षेत्र में भी उन्हें बचपन से ही रुचि रही है तथा विद्यार्थी जीवन से ही वे एक अच्छे खिलाड़ी रहे। श्रीगोपाल नारसन ने पांच किमी पैदल चाल में राज्य स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त किया हुआ है।दौड़ व तैराकी में भी इनकी भागेदारी रही हैं। उत्तराखंड व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक सक्रिय समाज सेवी के रूप में उनकी अच्छी खासी पहचान है।प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के मीडिया विंग के आजीवन सदस्य के रूप में वे रूहानियत की राह पर भी उतने ही चलते नज़र आते है,जितने आमजन के चेहरे पर मुस्कान लाने की मुहिम में वे जुटे है।तभी तो जिस प्रकार साहित्य से आध्यत्मिकता व सामाजिकता के सफर में वे निरन्तर कार्य कर अपनी एक विशिष्ट पहचान बना चुके हैं,उसी प्रकार राजनीति क्षेत्र में भी उनकी पहचान कम नही है।उत्तराखंड में तिवारी शासनकाल में वे बीस सूत्रीय कार्यक्रम के राज्य सदस्य रहे और श्रेष्ठतम अवदान के लिए उन्हें मुख्यमंत्री ने सरकारी स्तर पर सम्मानित किया था।वे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के भी प्रवक्ता रहे है,साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के साहित्यिक मित्र भी है।उनकी गिनती दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्य व देश हित की सोच रखने वालों में होती है। ईएमएस / 29 दिसम्बर 25