जन आंदोलन से निपटने की नई रणनीति नईदिल्ली (ईएमएस)। केंद्र सरकार जन आंदोलनो से निपटने के लिए नई रणनीति बनाने जा रही है। इसके लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को एक प्रश्नावली भेजी है। इस प्रश्नावली में 50 साल में हुए जन आंदोलन की जानकारी मांगी गई है। आंदोलन का वर्ष, स्थान, कारण, कौन आयोजक था, कौन फंडिंग कर रहा था, प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों की संख्या क्या थी। आंदोलन की संरचना, विचारधारा, आंदोलन कितने समय तक चला, उस दौरान कोई हिंसक घटनाएं हुई है, तो उनका विवरण, घायल और मरने वालों का विवरण, शारीरिक एवं संपत्ति का नुकसान इत्यादि के संबंध में जानकारी मांगी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के माध्यम से यह प्रश्नावली सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों को भेजी गई है। इस जानकारी के बाद केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जन आंदोलणों से निपटने की नई रणनीति केंद्र सरकार बनाने जा रही है। पिछले 50 वर्षों में 1974-75 में सबसे बड़ा जन आंदोलन जेपी आंदोलन हुआ था। 1975 से 77 के बीच में आपातकाल के दौरान कोई बड़े आंदोलन तो नहीं हुए। गुप्त आंदोलन बहुत सारे चलते रहे हैं। 1980 में पंजाब का खालिस्तान आंदोलन चल रहा था। उस समय उसको नियंत्रित करने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ था। 1979 से 85 के बीच असम आंदोलन चरम पर था। 1990 में राम मंदिर आंदोलन और मंडल आंदोलन, का असर देश के कई राज्यों में देखने को मिला। कमंडल और मंडल आंदोलन लगातार कई राज्यों में चल रहा था। 1985 में नर्मदा आंदोलन भी काफी लंबे समय तक चला। 2011 में भ्रष्टाचार के विरोध में अन्ना आंदोलन चला। जिसकी बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया देश भर में हुई। 2012 में निर्भया आंदोलन को लेकर देशभर में प्रदर्शन हुए। 2019-20 में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर कई राज्यों में प्रदर्शन हुए। 2020-21 में किसान आंदोलन के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हुई थी। इन सभी बड़े आंदोलन से सरकार सबक लेते हुए अगले आंदोलनो से निपटने के लिए नई गाइडलाइन तैयार करने की तैयारी कर रही है। एसजे/ 29 दिसम्बर /2025