राष्ट्रीय
29-Dec-2025


* उच्च उत्पादकता, आधुनिक तकनीक और सरकारी योजनाओं से कच्छ–सौराष्ट्र तैयार, वीजीआरसी 2026 में वैश्विक मंच पर प्रस्तुति गांधीनगर (ईएमएस)| प्रगतिशील नीतियों, आधुनिक कृषि पद्धतियों तथा किसानों की सक्रिय भागीदारी के परिणामस्वरूप गुजरात का बागवानी क्षेत्र राज्य के कृषि विकास का शक्तिशाली इंजन बना है। यह सकारात्मक प्रगति राजकोट में आयोजित होने वाली वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस (वीजीआरसी) कच्छ एवं सौराष्ट्र 2026 से पूर्व राज्य के लिए उत्साहजनक पृष्ठभूमि प्रस्तुत करती है, जहाँ कच्छ एवं सौराष्ट्र की कृषि एवं बागवानी उपलब्धियों को विशेष रूप से प्रस्तुत किया जाएगा। भिंडी बुवाई तथा उत्पादन में गुजरात प्रथम स्थान पर गुजरात सरकार के बागवानी निदेशक के अनुसार वर्ष 2023-24 के दौरान भिंडी के बुवाई क्षेत्रफल तथा कुल उत्पादन में गुजरात ने देशभर में पहला स्थान प्राप्त किया है। राज्य में लगभग 93,955 हेक्टेयर क्षेत्र में भिंडी की बुवाई हुई थी, जिसके फलस्वरूप 11.68 लाख टन उत्पादन दर्ज हुआ था। इस कुल आँकड़े में कच्छ-सौराष्ट्र क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कच्छ-सौराष्ट्र का राज्य के कुल भिंडी बुवाई क्षेत्र का लगभग 15 प्रतिशत तथा कुल उत्पादन का लगभग 13 प्रतिशत हिस्सा है। वर्ष 2024-25 के दौरान कच्छ-सौराष्ट्र के 12 जिलों में 14,000 हेक्टेयर क्षेत्र में भिंडी की बुवाई हुई, जिससे लगभग 1.5 लाख टन उत्पादन प्राप्त हुआ है। सब्जी उत्पादन में राज्य का उल्लेखनीय योगदान वर्ष 2024-25 के दौरान भारत के कुल सब्जी उत्पादन में गुजरात का योगदान 7.66 प्रतिशत रहा। उसी अवधि में कच्छ-सौराष्ट्र क्षेत्र ने 2,32,584 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती कर 47,91,504 मैट्रिक टन सब्जी उत्पादन हासिल किया है। प्रति हेक्टेयर 20.60 मैट्रिक टन उत्पादकता किसानों की बढ़ती कार्यक्षमता, सुधारी गईं कृषि पद्धतियों तथा मजबूत कृषि ढाँचे की प्रतिबिंब है। बागवानी फसलें : कृषि विकास का आधारस्तंभ उच्च उत्पादकता तथा अधिक आय के कारण बागवानी फसलें राज्य के कृषि विकास में अभिन्न अंग बन गई हैं। राज्य सरकार के सक्रिय कदमों तथा किसान अनुकूल नीतियों के फलस्वरूप आज बागवानी फसलें गुजरात के कुल कृषि क्षेत्र के लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र में लगाई जाती हैं, जो उनके बढ़ते महत्व को दर्शाता है। केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं से मजबूत आधार गुजरात का बागवानी विभाग एमआईडीएच/एनएचएम (एकीकृत बागवानी विकास के लिए मिशन/राष्ट्रीय बागवानी मिशन) जैसी केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के साथ अनेक राज्य स्तरीय प्रोत्साहक योजनाएँ सफलतापूर्वक लागू कर रहा है। इन योजनाओं के तहत क्षेत्र आधारित क्लस्टर विकास, संरक्षित खेती, कटाई के बाद की ढाँचागत सुविधाएँ, कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वच्छ प्लांट सामग्री पहल तथा क्षमता निर्माण कार्यक्रम शामिल हैं। एमआईडीएच अंतर्गत किसानों तथा एफपीओ को हाईटेक बागवानी, पॉलीहाउस, पैकहाउस, ग्रैडिंग-पैकिंग लाइन, प्रशिक्षण, बाजार कनेक्टिविटी तथा प्रदर्शनियों के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। वीजीआरसी 2026 : कच्छ एवं सौराष्ट्र की उपलब्धियों का मंच यह मजबूत प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण समय पर आया है, जब गुजरात जनवरी-2026 के दूसरे सप्ताह में राजकोट में कच्छ एवं सौराष्ट्र के लिए वाइब्रेंट गुजरात रीजनल कॉन्फ्रेंस (वीजीआरसी) कच्छ एवं सौराष्ट्र का आयोजन करने की तैयारी कर रहा है। कॉन्फ्रेंस के साथ वाइब्रेंट गुजरात रीजनल एग्जीबिशन (वीजीआरई) जनवरी-2026 के दौरान उसी स्थान पर आयोजित होगा। वीजीआरसी राज्य सरकार की संतुलित क्षेत्रीय विकास के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट करेगी, जबकि कच्छ-सौराष्ट्र क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उपलब्धियाँ दर्शाने तथा निवेश के लिए नए मार्ग खोलने का एक समर्पित प्लेटफॉर्म प्रदान करेगी। वीजीआरसी 2026 भारत तथा विदेश के नीति निर्माताओं, उद्योग नेताओं, वैश्विक विशेषज्ञों, नवीनताओं तथा हिस्सेदारों को एक साथ लाएगी। केन्द्रित क्षेत्रीय सत्रों, प्रदर्शनियों तथा सहयोगी मंचों द्वारा वीजीआरसी इस बात पर प्रकाश डालेगी कि कच्छ एवं सौराष्ट्र कृषि प्रगति तथा टिकाऊ विकास के आगामी चरण का नेतृत्व करने के लिए किस प्रकार सज्ज है। सतीश/29 दिसंबर