राज्य
29-Dec-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। लाल किला ब्लास्ट की पीड़िता रीता, जो परिवार का हाथ बटाने के लिए नौकरी करती थी, अब खुद को बोझ महसूस कर रही है। 10 नवंबर के धमाके में उसकी आंख और पैर जख्मी हो गए थे, घाव अब तक नहीं भरे और आंखों से धुंधला दिखता है। सरकार से गंभीर घायलों के लिए 2 लाख की घोषणा के बावजूद उसे केवल 20 हजार रुपये मिले। एक संस्था ने मुआवजे की राशि बढ़ाने की मांग की है। सैलरी मिलनी शुरू हुई तो यह सोचकर उसे अच्छा लगने लगा कि भाई के साथ मिलकर पिता का बोझ कम कर रही है। पर यह सुखद एहसास केवल तीन महीने तक ही चल पाया। 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए ब्लास्ट ने सब कुछ बदल दिया। घटना में कृष्णा विहार की रहने वाली रीता की आंख और दाहिना पैर जख्मी हुआ। पैर के घाव अब तक भरे नहीं हैं। आंखों से भी धुंधला दिखाई देता है। जो बेटी पिता के बोझ को कम करने चली थी, अब खुद को परिवार पर भार समझने पर विवश है। अजीत झा/देवेन्द्र/नई दिल्ली/ ईएमएस/29/ दिसंबर/2025