छिंदवाड़ा (ईएमएस)। वर्ष 2024 के बीतते-बीतते जिले में राजनीति के अखाड़े में जो उठापटक की शुरुआत हुई वह पूरे 2025 में भी नजर आई। खुला विरोध तो नहीं देखा गया लेकिन खेमेबाजी और वर्चस्व की लड़ाई के दृश्य कई बार सार्वजनिक होते जरूर दिखे। संगठनात्मक दृष्टि से देखें तो छिंदवाड़ा के लए यह साल उपलब्धियों भरा माना जा सकता है। जनवरी में कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे शेषराव यादव फुलफ्लेश अध्यक्ष बनाए गए। उनके नेतृत्व में जिले में सदस्यता अभियान में छिंदवाड़ा ने खासी उपलब्धि हासिल की और 4 लाख से ज्यादा सदस्य बनाए। मंडलों में पद पाने के लिए खूब खेमेबाजी और शिकवा शिकायतों का दौर भी चला। प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर के पार्टी पदाधिकारियों ने छिंदवाड़ा आकर समझाईश दी और फटकार भी लगाई। जिला कार्यकारिणी में पद पाने के लिए भी ऐसी ही खींचतान दिखी। प्रदेश अध्यक्ष के लगातार दौरों और संगठन के पदाधिकारियों ने यहां आकर मामला संभाला। साल 2025 में पार्टी ने पदाधिकारियों और नेता कार्यकर्ताओं को जमीनी स्तर तक सक्रिय रखा । जिला अध्यक्ष शेषराव यादव खासे पूरे जिले पर फोकस रखते हुए दिखे। पार्टी कार्यालय में उनकी लगातार उपस्थिति और जिले के लगातार दौरे उनकी सक्रियता को दिखाते रहे। केंद्र और प्रदेश संगठन ने छिंदवाड़ा को महत्वपूर्ण मानते हुए इसे संभाग बनाते हुए यहंा पार्टी को और मजबूत करने की कोशिश की। इसे 2028 के विधानसभा चुनाव की तैयारी बताया जा रहा है। सांसद की पदयात्राएं और शिविर चर्चा में 2025 में सांसद बंटी विवेक साहू की पदयात्राएं और ग्रामीण क्षेत्रों के दौरे भी चर्चा में रहे। छिंदवाड़ा से खंडवा दादाधुनीवाले धाम, जाम सांवली सौंसर और रामेश्वर धाम चौरई तक की उनकी पदयात्राएं खास रहीं। ग्रामीण क्षेत्रों में उनके दौरे, आम लोगों से मुलाकातें और स्वास्थ्य शिविरों से उन्होंने पूरे जिले में अपनी खासी उपस्थिति दर्ज कराई। भोपाल और दिल्ली के दौरों और मंत्रियों-नेताओं से मुलाकातों ने भी खासी चर्चा पाई। केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियेां के लगातार जिले के दौरों ने छिदंवाड़ा को खासा सुर्खियों में रखा। उखड़ी सियासी जमीन को फिर से जमाने में लगी कांग्रेस लोकसभा चुनाव के बाद जिले में कांग्रेस की जो सियायी जमीन उधड़ी उसे फिर से जमाने की कोशिश 2025 में भी पार्टी करती दिखी। जिले में कांग्रेस अभी भी कमलनाथ के आसपास ही घूमती दिख रही है। भाजपा के मुकाबले जिले मे बुरी तरह पिछड़ी पार्टी में बदलाव की बयार का इंतजार कांग्रेस करते दिखे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पहली बार अध्यक्ष के लिए कांग्रेस में दावेदारी की हिम्मत छिंदवाड़ा में कुछ कार्यकर्ताओं ने दिखाई। हालांकि अध्यक्ष विश्वानाथ ओकटे ही रिपीट हुए। संगठन सृजन को लेकर भाजपा का मुकाबला करती दिखी और सदस्यता बढ़ाने को लेकर प्रयास करती दिखी लेकिन रिजल्ट नहीं दिखा। युवा विंग युकां में भी ऐसे ही हालात दिखे। सदस्यता से ज्यादा सीधे जनता से जुड़ने की कोशिश करते कांग्रेसी दिखे लेकिन पहले की संख्या और मैदान में तेवर न कार्यकर्ताओं के दिखे न पदाधिकारियों के। भाजपा नेताओं के बयान पर सिर्फ अखबारों में प्रतिक्रिया या फिर पत्रकार वार्ताओं के जरिए विरोध कांगे्रस की राजनीतिक को कमजोर करता दिखा। कई मुद्दे मिले कुछ को लेकर मैदान में कांग्रेस के जनप्रतिनिधि उतरे भी लेकिन ज्यादातर बेअसर दिखे। संगठन को लेकर कमलनाथ अब बढ़ती उम्र के साथ कम सक्रिय नजर आ रहे हैं ऐसे में नकुलनाथ अब जिले में कांग्रेस की कमान संभालते साल भर दिखे। आंदोलन प्रदर्शन की अगुआई भी उन्होंने की। किसानों के मुद्दों पर खासी आक्रामक दिखी कांग्रेस खाद कि किल्लत हो या फिर मक्का का समर्थन मूल्य कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर छिंदवाड़ा में खासी आक्रामक दिखी। साल के बीच में प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, उमंग सिंघार के साथ बड़ा आंदोलन जिला मुख्यालय पर कांग्रेस ने किया। लंबे समय बाद कांग्रेस तीख विरोध करती दिखी। पिछले दिनों जिले मे किसानों के मुद्दों पर ही छिंदवाड़ा-पांढुर्णा की विधानसभाओं में भी नकुलनाथ के नेतृत्व में रैली प्रदर्शन करते हुए उन्होंने कांग्रेस के विपक्ष के रूप में जिंदा रहने का संदेश भी दिया। ईएमएस/मोहने/ 29 दिसंबर 2025