नए साल में अपना अनुभव को शेयर कर क्या पाया क्या खोया और कैसी अनुभूति हुई उसी पर मेरी एक दास्तान है पहले तो ईएमएस चैनल को शुक्रिया अदा करता हूँ ढेरों ब्लॉग को पब्लिश किया अधिकांश भगवान राम से जुड़ी थी जो सच्चाई के मार्ग पर ले जाने की प्रेरणा देता है इस साल कहीं बाहर नहीँ निकल सका लेकिन अपने घर पर गया जो मन को सकून दिया जब आप काम से थक जायें तो थोड़ा घुमने से सेहत ठीक रहता है इससाल अपनी कार से अटल सेतु, समुद्र के अंदर अंडरग्राउंड टनल का फैमली के साथ एन्जॉय किया इस साल महाकुम्भ जो प्रयागराज में लगा नहीँ जा पाया क्योंकि मैं भीड़-भाड़ भरी जगह से डर और घबराहट होती है लेकिन मेरा पूर्ण विश्वास है कि भगवान राम से बड़ा ना तो क़ोई यज्ञ है नाही कुम्भ इसलिए वहाँ जाकर आपके पाप धूल जायेंगे तो ऐ आपकी गलत फहमी है पाप एक बुरा कर्म है जिसमें सबसे बड़ा और विकृत कार्य है किसी की हत्या करना लेकिन आप में उसके बाद भी उसकी कराहने की आवाज़ सुनाई देगी उसके बाद है किसी का बलात्कार या दुष्कर्म करना इसमें भी आप बच नहीं सकते क्योंकि अदालत है और वहाँ से बचें तो आपके अंतरात्मा की आवाज़ आपको जीने नहीं देगी फिर आप महा कुम्भ में भगवान को याद ना कर वही घिनौनी हरकत नजर आएगी और डर रहेगा इससे आपको शांति नहीं मिलेगी और आप रोग का शिकार होंगे अतः भ्रम में बिल्कुल नहीं रहिये की क़ोई बचा सकता है उसकी सज़ा कम हो सकती है त्याग और तप से स्नान से नहीं क़ोई चीज यहाँ चमत्कार नहीं करती या तो ऐ आपके आँखों का धोखा है या विज्ञान का कमाल संघर्ष से ही आपको ताकत मिलती है इस साल मेरी उपलब्धि रही कि मैं आई आई टी रूडकी में अखिल भारतीय स्तर पर इंजीनियरिंग के शोध पत्रों में प्रथम स्थान प्राप्त किया लेकिन वही एक दुर्घटना भी हुई कि गर्म पानी से गलती से चेहरे पर गिरा और पेन हुआ लेकिन प्रभु राम ने पग पग पर साथ दिया और हमेशा हमें नए कार्य को करने हेतु मार्गदर्शन देते है अतः नए साल में कुछ बातों को ध्यान दे,गलत कार्य के इन लक्षणों को भी याद रखें। 1... प्रभु को भूल जाना,जगत तथा विषय भोग में ऐसा मस्त हो जाना की परमार्थ की चिंता ही न रहे। 2...समय के महत्व को न समझना।उसे आमोद प्रमोद, अनावश्यक चर्चा में व्यर्थ नष्ट करना। 3...अपनी बुद्धि बल , सौंदर्य, विद्वत्ता,कला को अन्य सबसे बड़ा मानने का अभिमान। 4...जो लोग अलग जाकर एकांत में, ध्यान ना कर कुछलोग मिलकर किसी के व्यक्तिगत विषय पर गुप्त चर्चा कर रहे हों, उनमें जाकर बैठ जाना। 5... अपने से बड़े लोगों का उपहास उड़ाना। 6...अपनी आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना अधिक खर्च कर देना 7... सभी में किसी विशिष्ट ऊंची जगह बैठने की कोशिश करना। : आज एक सुंदर विचार आया है लिख रही हू कि जिस इंसान को आदत पड़ जाती है इधर उधर बकवास करने की उसको कभी भी अपने खुद के अंदर प्रभु के दर्शन नही होते और जिसके खुद का ह्रदय ही जाग्रत नही है वो भला दुसरो को क्या सम्मान देगा। ईएमएस / 31 दिसम्बर 25