लेख
31-Dec-2025
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(01 जनवरी जन्मदिवस विशेष) शिक्षा, कृषि, श्रमिक और युवाओं, महिलाओं, आमजनों की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ आम आदमी की तरह सहज, सरल-शैली, व्यक्तित्व व कृत्तिव और अस्तित्व। जन-रागात्मकता से युक्त ठेठ देशी अंदाज में अपनी बात रखने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री, पूर्व राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग अध्यक्ष, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक गौरीशंकर बिसेन का बचपन से ही गांव की माटी व शहरों की गलियों से गहरा नाता रहा। शोषित, वंचित और पीड़ितों को ठगते निरंकुश-तंत्र के खिलाफ अपनाते बगावती तेवर ने ही अंतस में विद्यमान नेतृत्व क्षमता को जगाने में मुख्य भूमिका निभाई। सही मायनों में ये छोटे-छोटे लोगों के बडे-बडे कामों को अमलीजामा पहनाने के कारण ही आम लोगों के खास हैं। अपने धुन के पक्के जन-जन के गौरी भाऊ ने सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास अर्जित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कालजयी, अटल पथ के फक्कड़ पथिक, गौरी भाऊ राजनैतिक अस्पृश्यता के दौर में सर्व समाज और सर्वदल में सर्वग्राही बने हुए हैं। तभी तो सभी सर्वमन से कहते हैं, जननायक, गौरी भाऊ यथा दूजा कोई नहीं। ब्याज जीरो, किसान हीरो फलस्वरूप, साफगोई नीति, नैतिकता और शुचिता की राजनीति के अजातशत्रु गौरी भाऊ को वर्ष 2008 में प्रदेश के मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान ने हर घर नल, हर घर जल और ब्याज जीरो, किसान हीरो की परणिति के बोध से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के साथ-साथ सहकारिता विभाग के मंत्री का दायित्व सौंपा था। इस जवाबदेही को जनहित में सफलता पूर्वक निभाने के उपरांत आप 2013 में कृषक कल्याण व कृषि विकास मंत्री के तौर पर खेती को लाभ का धंधा बनाने के अभिप्राय जी- जान से जुटे रहे। परिलच्छित, देश के राष्ट्रपति ने प्रदेश को पांचवी बार ‘कृषि कर्मण अवार्ड‘ से सम्मानित किया। अभिभूत देश में प्रदेश की कृषि की विकास दर क्षितिज पर आसिन होना श्री बिसेन के लक्ष्यभेदी अभियान का प्रतिफल हैं। 2023 में मां नर्मदे की सेवा करने का अवसर नर्मदा घाटी विकास मंत्री का दायित्व उन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सौंपा था। जनसरोकार की गाथा अपने कार्यकाल के दौरान गौरीशंकर बिसेन ने एक स्वप्नदृष्टा की सराहनीय भूमिका निभाते हुए जिले और प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। अविरल, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, सिंचाई, पेयजल, आवागमन, ब्रॉडगेज व्यपवर्तन, समेत अनेकानेक ग्रामीण विकास और नगरीय विकास के कार्यों में उन्होंने अपनी अनूठी छाप छोड़ी। बतौर बालाघाट में मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति, बालाघाट नगर और लेडेंझरी में सीएम राइस स्कूल की स्थापना, महापुरुषों व वीर-वीरांगना की आदमकद प्रतिमाएं, मुरझड, वारासिवनी में कृषि महाविद्यालय, शासकीय कमला नेहरू कन्या महाविद्यालय में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम, बालाघाट नगर और लालबर्रा क्षेत्र के हर घर में नल, 3 किलोमीटर पर हाईस्कूल और 5 किलोमीटर में हायर सेकेंडरी स्कूल, लालबर्रा में स्नातक महाविद्यालय, गंगा नदी पर छिंदलई, ददिया और कुम्हारी घाट पर उच्च स्तरीय पुल का निर्माण, जागपुर घाट और कनकी घाट पर प्रस्तावित उच्च स्तरीय पुल, बालाघाट जिला चिकित्सालय में ट्रामा सेंटर की स्थापना, ऑक्सीजन प्लांट, सीटी स्कैन सहित अन्य उपकरणों की उपलब्धता, बिस्तरों का विस्तारीकरण, जगह-जगह उप स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ केंद्रों की स्थापना, खेल मैदान, जलाशयों का निर्माण, सरेखा, गर्रा, भटेरा चौकी रेलवे क्रॉसिंग पर रेलवे ब्रिज निर्माण की स्वीकृति सहित प्रत्येक गांव को दोनों ओर से पक्की सड़क से जोड़ने जैसे जनसरोकार की गाथा अविरल है। अद्वितीय प्रतिनिधित्व लिहाजा, 01 जनवरी 1952 को बालाघाट जिले के ग्राम लेंडेझरी में जन्में मध्यमवर्गीय किसान चतुर्भुज बिसेन और माता सुशिला बिसेन के सुपुत्र गौरीशंकर बिसेन ने एमएससी की उपाधि विशेष श्रेणी में हासिल की। आप 25 मई 1975 को बोरगांव, गोंदिया निवासी रामभाऊ ठाकुर के घर 1 मई 1957 को जन्मीं उनकी सुशील, संस्कारित पुत्री, सौकां रेखा बिसेन संग वैवाहिक बंधन में आबद्ध हुए। आपने शासकीय सेवा को न चुनते हुए, जनसेवा को अपना धेय्य माना। चैतन्य, 1970 के दशक में उत्पन्न राजनीतिक हालातों में जनसंघ और बाबू जयप्रकाश नारायण के विचारों से प्रभावित होकर समग्र क्रांति जनांदोलन में अपनी शक्ति को निरंकुशता के खिलाफ प्रदर्शन में झोंक दिया। समकालिन जनप्रिय इस युवा संघर्षशील नेता ने नेतृत्व को अपनी प्रतिभा का एहसास कराया। सिलसिलेवार, गौरी भाऊ अपने कुशल उत्तरदायित्व निर्वहन, उत्कृष्ट कार्य व मिलनसारिता से मान्य नेतृत्व को प्राप्त करते हुए लगातार फतेह हासिल की। सन् 1985, 1990, 1993, 2003, 2008, 2013 और 2018 में बालाघाट विधानसभा से विधायक चुने गए। 1998 एवं 2004 में आपने बालाघाट लोकसभा क्षेत्र सहित विभिन्न महत्वपूर्ण समितियों का सर्वस्पर्शी, अद्वितीय प्रतिनिधित्व किया। आयामों की बयांर अगुवाई में बालाघाट जिले ही नहीं अपितु सारे सुबे में जन कल्याण और विकास मूलक आयामों की बयांर बहीं, जिसकी गाथा अगाथ हैं। वहीं विभिन्न संगठनों के दायित्व को निभाते हुए जनता-जर्नादन की समस्याओं को प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर उठाकर अपनी अद्भूत संगठन क्षमता का विलक्षण परिचय भी दिया। पदचिन्हों पर आरूढ़ आपकी जीवनसंगिनी श्रीमती रेखा बिसेन ने दो बार जिला पंचायत बालाघाट के अध्यक्ष के दायित्व को अतुलनीय निभाया। वात्सल्य और मातृत्व की प्रतिमूर्ति भाभी रेखा बिसेन, भाऊ गौरीशंकर बिसेन की जन यात्रा में भाग्य रेखा बनी। अनुकरणीय उनकी पुत्री डां पायल बिसेन और इंजीनियर मौसम बिसेन जनकल्याण के महाभियान में प्राण प्राण से जुटी हुई है। अभिष्ठ, प्रदेश के चतुर्दिक विकास के अभिप्राय गौरीशंकर बिसेन सांगोपांग भाव से गत पांच दशक से प्रयासरत हैं। ऐसे मर्मस्पर्शी, प्रयोगधर्मी और कर्मयोगी का राष्ट्र, प्रदेश, जिला को समर्पित समर्पण सदा-सर्वदा अविस्मरणीय रहेंगा। आपके, अपने गौरी भाऊ को जन्मदिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं..! ईएमएस/31/12/2025