(रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के 74वें जन्मदिवस - 10 जुलाई, 2025) भारत के राजनीतिक आकाश पर जिन व्यक्तित्वों ने अपनी सादगी, दृढ़ता, राष्ट्रभक्ति और कर्मठता से अमिट छाप छोड़ी है, उनमें राजनाथ सिंह का नाम शीर्ष पर आता है। राजनाथ सिंह आज देश के रक्षा मंत्री के रूप में भारत की सुरक्षा नीति, सामरिक रणनीति और आत्मनिर्भर रक्षा तंत्र के मजबूत स्तंभ बन चुके हैं। उनका राजनीतिक जीवन एक प्रेरणा की तरह है-जहां संघर्ष है, सिद्धांत हैं, और राष्ट्रहित सर्वाेपरि है। उनकी लोकप्रियता एवं राजनीतिक कद यूं ही शिखरों पर आरुढ़ नहीं हुआ है, भारत के नवनिर्माण की उनकी प्रभावशाली शैली इसका कारण है। एक तरफ उन्होंने भारत की आजादी के अमृतकाल में रक्षा क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भरता बल्कि निर्यातक की भूमिका निर्मित की है, वही दूसरी ओर स्वराज्य, नये भारत-विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाये हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में चीन के पोर्टे सिटी किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को बेनकाब करते हुए संयुक्त घोषणापत्र में हस्ताक्षर करने से मना कर न केवल पाकिस्तान और चीन को नये भारत का कड़ा संदेश दिया, बल्कि दुनिया को भी जता दिया कि भारत आतंकवाद को पोषित एवं पल्लवित करने वाले देशों के खिलाफ अपनी लड़ाई निरन्तर जारी रखेगा। राजनाथ सिंह जैसे साहसी, निर्भीक एवं कद्दावरी नेताओं के कारनामों को दुनिया देख रही है, भारत अब पुराने वाले भारत नहीं रहा, जिसे दबाया जा सकता है। यह नया भारत है, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई करवटें ले रहा है। इसका नवनिर्माण हो रहा है। आज पूरी दुनिया में भारत की विश्वसनीयता है, राजनाथ सिंह ने स्वदेशी रक्षा उत्पादों की दृष्टि से दुनिया में इस विश्वसनीयता को निर्मित किया है। भारत के रक्षा उत्पाद दुनियाभर में निर्यात हो रहे हैं, उनकी गुणवत्ता, प्रभावशीलता एवं पूर्णता में दुनिया का विश्वास बढ़ रहा है, जो एक क्रांतिकारी उपलब्धि है। ‘मेक इन इंडिया’ दुनिया में परचम फहरा रहा है, सफलता की नई कहानी लिख रहा है। राजनाथ सिंह ने चीन और पाकिस्तान जैसे बाहरी खतरों के विरुद्ध रणनीतिक दृष्टिकोण ही नहीं अपनाया, बल्कि भारतीय रक्षा तंत्र को भी आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कार्य किए हैं। रक्षा उत्पादन नीति के अंतर्गत उन्होंने कई विदेशी उपकरणों की आयात पर रोक लगाई और 100 से अधिक रक्षा सामग्रियों को ‘निषिद्ध सूची’ में डालते हुए भारत में ही निर्माण को प्राथमिकता दी। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बल देते हुए उन्होंने स्वदेशी फाइटर जेट तोप, और ड्रोन तकनीक को प्रोत्साहित किया। देश के निजी उद्योगों को भी उन्होंने रक्षा क्षेत्र में निवेश के लिए प्रेरित किया और डीआरडीओ के साथ साझेदारी के नए मॉडल लागू किए। ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में उनकी दूरदृष्टि ने भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने का मार्ग दिया है। हाल ही में 2000 करोड़ के ड्रोन प्रोत्साहन पैकेज के अंतर्गत उन्होंने न केवल सैन्य उपयोग के लिए बल्कि कृषि, ट्रैफिक प्रबंधन और आपदा राहत जैसे क्षेत्रों के लिए भी ड्रोन विकास को गति दी है। पाकिस्तान के संदर्भ में उनका रुख अत्यंत स्पष्ट रहा है-“बातचीत तब ही संभव है जब आतंकवाद बंद हो और पाकिस्तान अपने गुनाह स्वीकार करे।” उन्होंने यह भी कहा कि यदि पाकिस्तान से कोई संवाद होगा, तो वह केवल पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर होगा। यह उनके नेतृत्व की स्पष्टता, साहसिकता और रणनीतिक स्थिरता को दर्शाता है। राजनाथ सिंह ने भारत की सामरिक नीतियों को केवल आक्रामकता ही नहीं दी, बल्कि संतुलन भी प्रदान किया है। उनका कहना है, “हम शांति के पक्षधर हैं, लेकिन यदि कोई हमें ललकारेगा, तो हम उसे जवाब देना जानते हैं।” यह भावना ही आज के भारत को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रही है। उनकी दूरदर्शिता और राष्ट्रप्रेम ने उन्हें देश के सर्वाेच्च नेताओं की श्रेणी में स्थापित किया है। राजनाथ सिंह का व्यक्तित्व विनम्रता, नीतिपरक दृढ़ता और संतुलित संवाद का उदाहरण है। वे विरोधी विचारों का सम्मान करते हैं लेकिन राष्ट्रहित से समझौता नहीं करते। इसी विचारधारा को उन्होंने रक्षा मंत्री बनने के बाद अपनी कार्यशैली में उतारा। बीते वर्षों में भारत जिन आतंकी चुनौतियों का सामना कर रहा है, उसमें राजनाथ सिंह का रुख न केवल स्पष्ट रहा है बल्कि निर्णायक भी। कोई आंख तरेर कर तो देखें! पर ललकार की मुद्रा में वे कठोर जबाव देते हैं। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद केंद्र सरकार ने जिस तत्परता और आक्रामकता से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया, वह भारत की बदली हुई सैन्य सोच का प्रतीक है। राजनाथ सिंह ने चीन एवं पाक के दोगलेपन पर यह स्पष्ट किया कि “शांति केवल एक भ्रम है, हमें हर पल युद्ध जैसी तैयारी में रहना होगा।” इस अभियान में भारतीय वायुसेना और नौसेना की संयुक्त कार्रवाई ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी अड्डों को ध्वस्त कर यह संदेश दे दिया कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं, प्रति-प्रहार की नीति पर चलेगा। उन्होंने यह भी उजागर किया कि इस बार की कार्रवाई में स्वदेशी हथियारों और ड्रोनों की प्रमुख भूमिका रही, जो उनकी ‘आत्मनिर्भर भारत’ रक्षा नीति की बड़ी सफलता है। जो नवनिर्माण की रफ्तार एवं नई कड़ी है। रक्षा मंत्री ने गर्व से बताया कि भारतीय सेना अब आयात पर निर्भर नहीं, बल्कि स्वदेशी तकनीक से आतंकवाद को जवाब दे रही है। उनका मानना है कि सुरक्षा केवल सीमाओं की रक्षा नहीं है, बल्कि राष्ट्र के आत्मबल और तकनीकी सामर्थ्य को विकसित करना भी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि आज के तकनीकी युग में, कंप्यूटर सूचना प्रौद्योगिकी, उपग्रह संचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रगति वैश्विक अर्थव्यवस्था को बदल रही है। भारत ने इन नवाचारों को अपनाते हुए गतिशील आर्थिक परिदृश्य का निर्माण किया है। रक्षा मंत्री के रूप में राजनाथ सिंह आधुनिक युद्धकला में तेज गति से बदलाव कर रहे हैं एवं रक्षा में करिश्मा दिखा रहे हैं। उन्होंने युवाओं की प्रतिभा को सामने लाने के लिए रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) और प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) जैसी योजनाएं शुरू की हैं, जिसके माध्यम से उनके साथ-साथ देश के सपने भी साकार हो सकते हैं। भारत के पास विकास और सुरक्षा को लेकर एक विशिष्ट दृष्टिकोण है, जिसने रक्षा में आत्मनिर्भरता को एक प्रमुख राष्ट्रीय लक्ष्य बनाया है। राजनाथ सिंह के सफल नेतृत्व में भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है, जिसके दूरगामी प्रभाव होंगे। राजनाथ सिंह ने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों से बदलते समय के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उच्च-स्तरीय तकनीकों पर नियंत्रण हासिल करने का आह्वान किया है, जिसका उद्देश्य उन्नत, अग्रणी और अत्याधुनिक नवाचार के क्षेत्र में भारत की स्थिति को और मजबूत करना है। भारत पहले कुछ कारणों से आधुनिक हथियारों और तकनीक के मामले में पीछे रह गया था, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व एवं दूरदर्शी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के नये मंजिले-नये रास्तों की रफ्तार के साथ भारत अभूतपूर्व गति से रक्षा में आत्मनिर्भरता की ओर तीव्र गति से अग्रसर है। सिंह ने रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नई सोच एवं स्वदेशी उत्पाद को प्राथमिकता दी है। उनके नेतृत्व में देश में एक ऐसा डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स तैयार हो रहा है, जो केवल भारत की जरूरतों को नहीं, बल्कि दुनिया में रक्षा निर्यात की संभावनाओं को भी मजबूत करेगा। राजनाथ सिंह के पांच दशक के सार्वजनिक एवं राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ाव के साथ हुई। छात्र राजनीति से लेकर मुख्यमंत्री, पार्टी अध्यक्ष, गृह मंत्री और फिर रक्षा मंत्री जैसे शीर्ष पदों तक पहुंचना उनके संगठनात्मक कौशल, राजनीतिक कर्मठता, प्रशासनिक नवाचार और वैचारिक प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उनके 74वें जन्मदिवस पर यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि राजनाथ सिंह जैसे नेता ही भारत को एक सुरक्षित, आत्मनिर्भर और सामर्थ्यवान राष्ट्र बनाने की दिशा में नेतृत्व दे रहे हैं। संस्कृति के अग्रदूत राजनाथ सिंह की दृष्टि में केवल वर्तमान नहीं, बल्कि भविष्य भी सन्निहित है। उनकी ईमानदारी, सादगी और राष्ट्रप्रेम आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगा। यह जन्मदिवस केवल एक व्यक्ति का उत्सव नहीं, बल्कि भारत की रक्षा-संस्कृति, नीति और विचारधारा के सशक्त होने का प्रतीक है। ईएमएस / 09 जुलाई 25