चुनाव आयोग द्वारा बीती 25 जून से बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है जहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है। इस प्रक्रिया का विपक्षी ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस’ यानी इंडी गठबंधन विरोध कर रहा है। विपक्ष इस मसले पर कानूनी लड़ाई भी लड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट में विपक्ष की 9 राजनीतिक पार्टियों ने याचिका दाखिल की है, जिस पर सर्वोच्च अदालत 10 जुलाई को सुनवाई करेगा। वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने नौ जुलाई बिहार में चक्का जाम करने का निर्णय किया है। विपक्ष की राजनीति और बॉडी लैंग्वेज से ऐसा आभास हो रहा है मानो मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण से उसका बना बनाया खेल बिगड़ गया है। फिलवक्त बिहार में विपक्ष की राजनीति का चक्का जाम दिखाई दे रहा है। निर्वाचन आयोग देश में अवैध रूप से बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार से आकर जो लोग रह रहे हैं, जिन्होंने मतदाता सूची में नाम दर्ज करवा लिया है। वैसे लोगों को मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू की है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जो भी अवैध रूप से बिहार आकर बस गए हैं, उनका वोट विपक्ष को जाता है। यही कारण है कि इंडिया गठबंधन के घटक दल हो या ओवैसी, इनको इस बात का डर सता रहा है कि मतदाता सूची से यदि इनका नाम कट गया तो उनका राजनीतिक रूप से नुकसान होगा। बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं, जबकि पांच राज्यों- असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं। बांग्लादेश और म्यांमार से आने वाले अवैध प्रवासियों के खिलाफ विभिन्न राज्यों में की जा रही कार्रवाई के मद्देनजर यह कवायद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पश्चिम बंगाल और असम दोनों ही राज्यों में एनआरसी बड़ा मुद्दा है क्योंकि इन राज्यों में बांग्लादेशी घुसपैठियों और शरणार्थियों की बड़ी संख्या है। इसी वजह से पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस बहुत बेचैन है। बिहार के सीमांचल के इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठियों का मामला वर्षों से सामने आ रहा है। पिछले 30 वर्षों में पूरे सीमांचल का समीकरण बदल गया है। किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया में अल्पसंख्यकों की आबादी 40 फीसदी से 70 फीसदी तक हो चुकी है। यही कारण है कि वर्षों से इस इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठियों की रोक की मांग उठती रही है। कई इलाकों से हिंदुओं के पलायन की भी खबर उठी थी। केंद्र सरकार ने जब पूरे देश में एनआरसी लागू करने की बात कही थी तो बिहार में इस इलाके से भी विरोध के सुर उठे थे। जाति आधारित सर्वेक्षण आंकड़ों के अनुसार बिहार में करीब 17.70 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं, बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर अहम भूमिका अदा करते हैं। इन इलाकों में मुस्लिम आबादी 20 से 40 प्रतिशत या इससे भी अधिक है। बिहार की 11 सीटें हैं, 10 से 30 फीसदी के बीच मुस्लिम मतदाता हैं। जानकारों का मानना है कि चुनिंदा क्षेत्रों में अगर एक निश्चित मात्रा में नाम कट जाएं तो मुकाबला कमजोर हो जाएगा। वहीं ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहाद उल मुस्लिमीन यानी एआईएमआईएम ने भी विपक्ष के सामने संकट पैदा कर दिया है। एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तर उल ईमान ने लालू प्रसाद को चिट्ठी लिख कर कहा कि एमआईएम को महागठबंधन में शामिल किया जाए। राजद की ओर से पहली प्रतिक्रिया में पार्टी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इसके लिए मना कर दिया है। असल में एआईएमआईएम ने राजद और कांग्रेस दोनों को उलझा दिया है। ये दोनों पार्टियां कहती रही हैं कि ओवैसी की पार्टी भाजपा की बी टीम है और हर बार राजद, कांग्रेस को हराने के लिए चुनाव लड़ती है। लेकिन इस बार उन्होंने अपनी ओर से तालमेल की पहल की है। अगर राजद, कांग्रेस तालमेल के लिए तैयार नहीं होते हैं तो फिर कैसे एमआईएम पर भाजपा की बी टीम होने का आरोप लगाएंगे! राजद और कांग्रेस की स्थिति सांप छछूंदर वाली हो गई है। इंडी गठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ एनडीए को टक्कर देने के लिए दो तरफा योजना बना रहा है। इसके तहत वह कल्याणकारी योजनाओं के वादों के साथ-साथ सामाजिक न्याय का एक बड़ा मुद्दा भी पेश करेगा। विपक्ष रोजगार की तलाश में गरीब बिहारियों के बड़े पैमाने पर पलायन को रोकने के उपाय के रूप में विशेष रोजगार सृजन योजनाओं की पेशकश करने के लिए भी काम कर रहा है। विपक्षी गठबंधन को उम्मीद है कि वह स्थानीय भावनाओं को भी प्रभावित करने के लिए एक अभियान चलाकर यह दावा कर सकेगा कि बिहार में कुछ नौकरशाहों के माध्यम से एक दिल्ली गिरोह छद्म सरकार चला रहा है, वह भी ऐसे समय में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की शारीरिक फिटनेस पर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन विपक्ष के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि बिहार चुनाव में उसका चेहरा कौन होगा? विपक्ष अभी अपना चेहरा तय नहीं कर पाया है। राजद तेजस्वी को भावी मुख्यमंत्री और विपक्ष के चेहरे के तौर पर पेश कर रहा लेकिन गठबंधन में इस पर कोई सहमति नहीं है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि इस मुद्दे पर सहमति बनना मुश्किल है। गठबंधन का कोई भी दल अपनी दावेदारी कम नहीं करना चाहता। ऐसे में विपक्ष भले ही ऊपरी तौर पर ताकतवर दिखने के लिए एकजुटता दिखा रहा है, लेकिन अंदरखाने विपक्ष के चेहरे यानी सीएम प्रत्याशी के नाम को लेकर भारी उथल पुथल मची है। सत्तारूढ पक्ष की ओर से साफ किया जा चुका है कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरेग। और चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नीतीश कुमार बैठेंगे। बिना चेहरे के चुनाव मैदान मे उतरने से विपक्ष का पलड़ा कमजोर होना तय है, क्योंकि इस से यह मैसेज जायेगा कि विपक्ष एकजुट नहीं है। बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष खासकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और जन सुराज के संयोजक जिन मुद्दों को आधार बनाकर बिहार सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके हर मुद्दे की लगातार हवा निकाल रहे हैं। चाहे बिहार की सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति लागू करने की बात हो या सामाजिक पेंशन की राशि में बढ़ोत्तरी का मुद्दा। यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष से दो कदम आगे चल रहे हैं। चुनाव में अभी लगभग तीन महीने का वक़्त है, तब तक राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा ये अभी कह पाना मुश्किल है। फिलवक्त बिहार मे विपक्ष की राजनीति उलझी और फंसी हुई दिख रही है। चुनाव आयोग की कार्रवाई से विपक्ष की हताशा भी सामने आ चुकी है। ऐसा लग रहा है मानो विपक्ष की सारी उम्मीदें मतदाता सूची पर ही टिकी हुई थी। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में पुनरीक्षण शुरू करके उसका बना बनाया काम बिगाड़ दिया हो। कानून और नियमों के तहत चुनाव आयोग साफ सुथरी मतदाता सूची बनाना चाह रहा है। इससे भला किसी को क्या परेशानी हो सकती है। लेकिन विपक्ष ने इस प्रक्रिया का विरोध कर अपनी मंशा साफ कर दी है। आशंका इस बात की भी है कि कहीं विपक्ष अपनी संभावित हार को देखते हुए चुनाव आयोग और सरकार पर आरोप मढ़ने की नीयत से पेशबंदी तो नहीं कर रहा। हालांकि इन सबके बीच एक बात तो तय है कि बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष उन तमाम मुद्दों को जरूर टेस्ट करना चाहेगा जो आने वाले समय में देश और खासकर विपक्ष की राजनीति पर असर डाल सकते हैं। (स्वतंत्र पत्रकार) (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 9 जुलाई /2025