नई दिल्ली,(ईएमएस)।केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में अगले सप्ताह 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जाएगी। यमन के एक नागरिक की हत्या के आरोप में वहां की अदालत ने यह फैसला सुनाया था। जिस पर पिछले साल 2024 में यमन के राष्ट्रपति ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी थी। वहीं, इस पूरे मामले पर विदेश मंत्रालय कड़ी निगरानी रखे हुए है। जिसमें वह न केवल यमन में अधिकारियों के साथ संपर्क में बना हुआ है। बल्कि निमिषा के परिवार के भी लगातार संपर्क में है। जिसका उद्देश्य उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करना है। 2018 से ही नर्स का परिवार अपनी बेटी की रिहाई के लिए संघर्ष कर रहा है। निचली अदालत (ट्रायल कोर्ट) के फैसले के खिलाफ उन्होंने यमन के सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की थी। लेकिन 2023 में उनकी अपील खारिज हो गई और शीर्ष अदालत ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। निमिषा ने वर्ष 2008 में नर्सिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने गृह राज्य केरल में ही नौकरी की शुरुआत की। इसके तीन साल बाद 2011 में टॉमी थॉमस नामक शख्स के साथ उनकी शादी हुई। इसके अगले साल 2012 में दोनों पति-पत्नी यमन चले गए। जहां निमिषा ने वहां राजधानी सना के एक अस्पताल में नर्स की नौकरी की शुरुआत की। 2014 में आर्थिक तंगी की वजह से प्रिया के पति और एक बेटी भारत वापस लौट आए। लेकिन निमिषा ने यमन में ही अपना कामकाज जारी रखा। इसी बीच यमन में गृहयुद्ध छिड़ गया। जिसकी वजह से भारत ने नए वीजा जारी नहीं किए और निमिषा का परिवार वापस यमन नहीं जा सका और न ही वो भारत आ सकी। गलत साबित हुआ क्लिनिक खोलने का निर्णय इन सबके बीच 2015 में निमिषा ने यमन में ही अपना क्लिनिक खोलने का फैसला किया। जिसके लिए यमन के किसी स्थानीय नागरिक से भागीदारी के कानूनी प्रावधान का पालन करना अनिवार्य था। इसी के साथ मामले में तलाल अब्दो महदी नामक शख्स की एंट्री हुई। जिसके साथ मिलकर निमिषा ने यमन में अपना क्लिनिक खोला। तलाल महदी ने नर्स की शादी की एक तस्वीर चुरा कर उसमें छेड़छाड़ की और फिर निमिषा को अपनी पत्नी बताकर उन्हें डराना, धमकाना और शारीरिक शोषण करना शुरू किया। निमिषा की मां प्रेमा कुमारी का दावा था कि महदी ने निमिषा के क्लिनिक के मालिकाना हक वाले दस्तावेजों में भी हेरफेर किया। वीरेंद्र/ईएमएस/09जुलाई2025