अंतर्राष्ट्रीय
09-Jul-2025
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वॉशिंगटन(ईएमएस)। अमेरिका में छिपी एक आर्थिक अपराधी जल्द ही भारत की सरजमी पर होगी। जी हां, सीबीआई ने आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर को अमेरिका में अपनी कस्टडी ले लिया है। सीबीआई की टीम बुधवार रात तक उसे लेकर भारत पहुंचेगी। मोनिका कपूर 26 साल से फरार चल रही थी। अमेरिकी कोर्ट ने उसके प्रत्यपर्ण को हरी झंडी दी है। मोनिका कपूर पर 16 फर्जी लाइसेंस से करोड़ों की हेरा-फेरी का मामला है और उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हुआ था। यह कांड आज से 26 साल पुराना है। बता दें यह मामला साल 1999 का है। आरोप है कि मोनिका कपूर और उसके दो भाई राजन और राजीव खन्ना ने मिलकर फर्जी एक्सपोर्ट डॉक्यूमेंट तैयार किए। इन नकली कागजों की मदद से इन्होंने भारत सरकार से 16 ‘रिप्लेनिशमेंट लाइसेंस’ हासिल किए। इनमें से 14 लाइसेंस इन्होंने एक दूसरी कंपनी को बेच दिए, जिसने इनका इस्तेमाल कर के बिना किसी कस्टम ड्यूटी के सोना आयात किया। इस हेराफेरी की वजह से भारत सरकार को करीब 6.8 लाख डॉलर यानी लगभग 5.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। दरअसल, करीब 26 साल पुरानी करोड़ों की धोखाधड़ी की जांच अब फिर से सुर्खियों में है। मोनिका कपूर नाम की आरोपी पर फर्जी दस्तावेजों से एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट में करोड़ों का घोटाला करने का आरोप है। उसके खिलाफ दिल्ली की अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था और अब वो ‘प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर’ घोषित हो चुकी है।इस मामले की जांच 1999 में डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने शुरू की थी। सितंबर 1999 में कपूर से पूछताछ भी हुई थी। फिर 2002 में यह केस सीबीआई को सौंपा गया। 2003 में दिल्ली की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कपूर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। इसके बाद 2004 में इस केस में चार्जशीट दाखिल हुई। जब कई बार नोटिस देने के बाद भी मोनिका कपूर जांच या कोर्ट में पेश नहीं हुई, तो फरवरी 2006 में कोर्ट ने उसे ‘प्रोक्लेम्ड ऑफेंडर’ अपराधी घोषित कर दिया। भारत सरकार ने कपूर की तलाश में इंटरपोल से भी मदद मांगी, और 2003 में इंटरपोल ने कपूर के नाम रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया। वीरेंद्र/ईएमएस/09जुलाई2025 -----------------------------------