क्षेत्रीय
09-Jul-2025
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समान काम-समान वेतन सहित कई मांगों को लेकर श्रमिक संगठनों ने की आवाज बुलंद रैली निकालकर कलेक्टोरेट पहुंचे श्रमिक संगठन नारेबाजी के बीच राष्ट्रपति के नाम जिला प्रशासन को सौंपा ज्ञापन गुना (ईएमएस)।केंद्र सरकार की नीतियों, श्रम कानूनों में संशोधनों और निजीकरण की नीति के खिलाफ बुधवार को देशभर में श्रमिक संगठनों द्वारा बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल का गुना जिले में असर अपेक्षाकृत कम रहा। हड़ताल के समर्थन में श्रमिक संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया, लेकिन आम जनजीवन सामान्य रूप से चलता रहा। समूचे बाजार खुले रहे और अधिकांश विभागों में कामकाज प्रभावित नहीं हुआ। बैंकों की बात करें तो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा और कई अन्य बैंक पूरी तरह खुले रहे, जबकि कुछ बैंकों जैसे पीएनबी और पंजाब एंड सिंध बैंक में निचले स्तर के कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए, वहीं अधिकारी वर्ग ने नियमित कार्य किया। एलआईसी कार्यालयों में भी आंशिक असर देखा गया, लेकिन बीएसएनएल, डाक विभाग और रेलवे जैसे केंद्रीय संस्थान हड़ताल से पूरी तरह अछूते रहे। हालांकि, एनएफएल और गेल जैसे प्रतिष्ठानों में हड़ताल का असर देखा गया। इस दौरान सीटू के नेतृत्व और संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा के तत्वावधान में डाक बंगले से कलेक्टोरेट तक रैली निकाली गई। रैली के बाद राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें श्रमिकों से जुड़ी कई प्रमुख मांगें रखी गईं। ज्ञापन में मुख्य रूप से समान काम के बदले समान वेतन की मांग को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई, जिसका उल्लेख सर्वोच्च न्यायालय के 2016 के फैसले में भी किया गया है। संगठनों ने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपए प्रतिमाह किए जाने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सार्वभौमीकरण कर 1 रुपए किलो की दर से 35 किलो अनाज और जरूरी वस्तुएं उपलब्ध कराने की मांग की। इसके साथ ही सरकार से मांग की गई कि खाली पड़े सरकारी पदों पर तत्काल भर्ती की जाए, श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी संशोधन वापस लिए जाएं और सभी असंगठित श्रमिकों को 10,000 रुपए मासिक पेंशन के साथ सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान किए जाएं। ज्ञापन में यह भी मांग रखी गई कि रणनीतिक क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के निर्णय वापस लिए जाएं, सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री और विनिवेश की प्रक्रिया रोकी जाए। साथ ही ठेकाकरण नीति को समाप्त कर सभी कर्मचारियों को स्थाई किया जाए और फिक्स टर्म एम्प्लॉयमेंट कानून को रद्द किया जाए। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मुद्दों पर भी ज्ञापन में विस्तार से चर्चा की गई। जिला प्रशासन से मांग की गई कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को आईसीडीएस कार्यों के अलावा अन्य कार्यों, विशेषकर निर्वाचन संबंधी ड्यूटी में न लगाया जाए, क्योंकि इससे बच्चों और माताओं की देखरेख जैसे महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इसके साथ ही उन्हें कर्मचारी का दर्जा देने, 28,000 रुपए मासिक वेतन और न्यूनतम 10,000 रुपए मासिक पेंशन देने की मांग की गई। संयुक्त मोर्चा के प्रतिनिधियों ने चेताया कि यदि सरकार ने श्रमिकों की जायज मांगों की अनदेखी की, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। सीटू के जिला अध्यक्ष गिरीश कश्यप, मनोहर मोरोज, आंगनवाड़ी यूनियन अध्यक्ष किरण तिवारी सहित बड़ी संख्या में श्रमिकों, योजना कर्मियों और कर्मचारियों ने भाग लिया। -  सीताराम नाटानी (ईएमएस)