-सीपीआर के प्रति जागरूक किया गया -आकस्मिक मौतों को कम करने प्राथमिक उपचार और आपातकालीन सेवाओं के महत्व को समझाया गया शिवपुरी (ईएमएस)। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में श्रीमंत राजमाता विजया राजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय, चिकित्सालय शिवपुरी में अधिष्ठाता डॉ डी.परमहंस के मार्गदर्शन में 13 से 17 अक्तूबर तक सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) जागरूकता कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम प्रतिभागियों को जीवनरक्षक तकनीक का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया। इस अभियान का उद्देश्य युवाओं को आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाना है। कार्यक्रम के दौरान डीन डॉक्टर डी.परमहंस ने अचानक होने वाली मौतों में वृद्धि के कारणों पर प्रकाश डाला। साथ ही यह भी कहा कि सूझबूझ से हम सीपीआर तकनीक का उपयोग करके किसी की जान बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन बचाने के लिए सीपीआर के उपयोग के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाना आवश्यक है। स्वस्थ जीवन जीने में प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के नोडल डॉक्टर अनंत राखोंडे का कहना था कि हमने इस कार्यक्रम में चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा केवल हाथों से सीपीआर का प्रदर्शन किया गया, जिसमें हृदय संबंधी आपात स्थिति के दौरान किसी की जान बचाने के लिए किए जा सकने वाले सरल चरणों को प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सीपीआर के प्रति जागरूकता फैलाना। एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉक्टर शिल्पा अग्रवाल का कहना था कि आकस्मिक मौतों की संख्या कम करने में प्राथमिक उपचार और आपातकालीन सेवाओं के महत्व को समझाया। उन्होंने हृदयाघात के लक्ष्णों बताया। उन्होंने तीन चरणों में सीपीआर तकनीक का प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि हृदयाघात की स्थिति में पीड़ित को निम्नलिखित चरणों का पालन करना चाहिए। रोगी को किसी समतल सतह पर लिटाएँ, फिर पीड़ित के दोनों कंधों पर थपथपाकर उसकी प्रतिक्रिया जाँचें और ज़ोर से पूछें कि क्या वह ठीक है। प्रतिक्रिया न होने पर ईमरजैंसी हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करें। पीड़ित साँस नहीं ले रहा हो, तो 100 से 120 प्रति मिनट की दर से छाती पर दबाव डालें। किसी अन्य व्यक्ति की मदद से तब तक सीपीआर जारी रखें जब तक कि पीड़ित सामान्य रूप से साँस लेना शुरू न कर दे, जीवन के लक्षण न दिखाए या आपातकालीन चिकित्सा सहायता न आ जाए। उन्होंने आगे कहा कि सीपीआर तकनीक के दौरान एईडी ( ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर ) किट लेना उचित है और मशीन पर दिए गए निर्देशों के अनुसार शॉक ट्रीटमेंट देने के लिए मशीन का उपयोग करना चाहिए। कार्यक्रम में डीन डॉक्टर डी.परमहंस, ई एन टी विभागाध्यक्ष डॉक्टर धीरेंद्र त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष डॉक्टर अनंत राखोंडे, विभागाध्यक्ष डॉक्टर शिल्पा अग्रवाल, सहा. पीआरओ राहुल अष्ठाना सहित कॉलेज के समस्त वरिष्ठ सीनीयर, जूनियर डॉक्टर्स, पैरामेडिकल छात्र -छात्राऐं उपस्थित हुए। रंजीत गुप्ता/ईएमएस/13/10/2025