सीहोर (ईएमएस)। मुनिश्री अक्षय सागर जी महाराज ने श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आयोजित धर्म सभा में महान ग्रंथ छह ढाला का वाचन करते हुए प्रवचन के दौरान श्रद्धालुओं को समझाते हुए बताया कि सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान में अंतर क्या है। सम्यग्ज्ञान सम्यग्दर्शन के साथ होता है। तों भी भिन्न अर्थात अलग समझना चाहिए क्योंकि उन दोनों के लक्षण क्रमशः श्रध्दा या श्रध्दान करना और जानना है। तथा सम्यक सम्यग्दर्शन कारण है। और ज्ञान अर्थात सम्यग्ज्ञान कार्य है। यह भी दोनों में अंतर निर्बाध है । जैसे युगपत अर्थात एक साथ होने पर भी जिस प्रकार प्रकाश या उजेला दीपक की ज्योति से होता है। मुनिश्री ने विस्तार से प्रकाश डालते हुए भावार्थ उदाहरण सहित बताया कि यद्यपि सम्यग्दर्शन के साथ ही सम्यग्ज्ञान होता है तो भी दोनों में भेद है दोनों जुदे जुदे अर्थात अलग अलग है। क्योंकि सम्यग्दर्शन का लक्षण श्रध्दान करना और सम्यग्ज्ञान का लक्षण जानना है। सम्यग्दर्शन कारण है और सम्यग्ज्ञान कार्य है। दोनो के एक साथ होने पर भी दोनों में भेद है। जैसे एक साथ होने पर भी उजाला दीपक से ही उत्पन्न होता है। सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान का सम्बन्ध जिस प्रकार दीपक और प्रकाश एक साथ होते हैं। उसी प्रकार सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान एक साथ ही प्रगट होते हैं फिर भी इन दोनों में लक्षण आदि की अपेक्षा से भिन्नता पायी जाती है। सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान में लक्षण तथा कार्य कारण की अपेक्षा से अन्तर है सम्यग्दर्शन श्रध्दा स्वरुप है और सम्यग्ज्ञान जानना। सम्यग्दर्शन कारण और सम्यग्ज्ञान कार्य है। तत्पश्चात धर्म सभा समापन पर जिनवाणी स्तुति श्रावक श्राविकाओ ने गायन कर मां जिनवाणी को नमन किया। दिगम्बर जैन संत आहार चर्या विधी अनुसार आहार चर्या विधी के लिए श्रावक श्राविकाओ ने नियमानुसार शोले के शुद्ध कप़ड़े पहनकर मुनिश्री तथा ऐलक श्री पड़गाहन विधी अर्थात आहार चर्या हेतु मन शुद्धि वचन शुद्धि से विनती ,आग्रह करते हुए पडगाहन विधि से आहार चर्या विधी विधान से संपन्न कर धर्म लाभ अर्जित किया। इससे पूर्व प्रातः मुनिश्री अक्षय सागर जी महाराज के परम सानिध्य में श्रद्धालुओं ने भगवान की प्रतिमा के अभिषेक ऐलक श्री उपशम सागर जी महाराज के मुखारविंद अखंड शांति धारा नित्य नियम पूजा अर्चना धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कर धर्म लाभ अर्जित किया। दोपहर में स्वाध्याय धार्मिक शिक्षण कक्षा में श्रद्धालुओ ने ज्ञानार्जन किया। संध्या को मुनिश्री के सानिध्य में गुरु भक्ति संगीतमय महाआरती, भजन कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण किया। .../ 15 अक्टूबर/2025