* रेलवे जीएम ने विशेष ट्रेन में 65 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों के साथ 2 घंटे तक कोरबा स्टेशन का किया निरीक्षण * शाम सवा 5 बजे के बाद बिलासपुर के लिए हुए रवाना कोरबा (ईएमएस) ये क्या है, इतनी कम ऊंचाई प्रवेश द्वार की। क्या यात्री सिर झुकाकर प्रवेश करेंगे, जिसके सिर पर बोझा होगा, वे कैसे करेंगे। इतनी कम ऊंचाई में सिर नहीं टकराएगा क्या। इसे फिर से बनाओ, कैसे ऊंचाई बढ़ेगी देखो। मुख्य गेट पर इतना छोटा शेड, इसकी चौड़ाई कम क्यों की गई है। अभी इसमें खामियां दिख रही हैं, आगे क्या होगा। मुख्य गेट पर पार्किंग ऐसा किसी स्टेशन पर होता है क्या, इसे तो खुला रखना चाहिए था, ताकि यात्रियों को स्टेशन आने और बाहर निक्लने में सुविधा हो। उक्त कथन दपूमरे बिलासपुर के जीएम तरुण प्रकाश ने उनके लिए कहे, जो अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत कोरबा में काम करा रहे है। जीएम तरुण बुधवार को स्पेशल ट्रेन से दोपहर 3.15 बजे कोरबा रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 2 पर पहुंचे, जहां से वे लिफ्ट से होते हुए एफओबी पर आकर कुछ देर तक लिफ्ट को देखते रहे। यहां से वे सेकेंड एंट्री की ओर पहुंचकर मौका-मुआयना किए, जहां कोल साइडिंग के साथ अनारक्षित बुकिंग काउंटर पर मौजूद सुविधाओं को देखने के बाद प्लेटफार्म नंबर-1 पर आए। यात्री प्रतीक्षालय और वहां मौजूद सुविधाओं को देखने के बाद मुख्य प्रवेश द्वार पर आए। प्रवेश द्वार पर पहुंचते ही सवाल दागने लगे। यह सवाल गत रेलवे के शक्ति यूनिट द्वारा अमृत भारत योजना के तहत कराए जा रहे कार्यों को लेकर था। निरीक्षण के दौरान उनके साथ एजीएम विजय साहू, डीआरएम राजमल खोईवाल, प्रधान मुख्य वाणिज्य प्रबंधक प्रवीण पाण्डेय समेत रेलवे के विभिन्न विभागों के 65 से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों की टीम थी। जीएम ने ग्राम बालपुर, कोथारी, मड़वारानी, सरगबुंदिया, उरगा, गेवरारोड स्टेशन का भी निरीक्षण किया। निरीक्षण के बाद सवा पांच बजे के बाद वे बिलासपुर के लिए रवाना हो गए। * प्रवेश द्वार को लेकर मंथन करने लगे अधिकारी मुख्य द्वार से जीएम पिटलाइन और यार्ड रिमॉडलिंग कार्य को देखने चले गए। उनके वहां से जाते ही गति शक्ति यूनिट के अधिकारी मंथन करने लगे। उनका मंथन इस बात को लेकर था कि प्रवेश द्वार की ऊंचाई कैसे बढ़ाई जा सकती थी। काफी देर तक चर्चा के बाद अधिकारी स्वयं मुख्य द्वार पर पहुंचकर ऊंचाई नापते रहे और क्या किया जा सकता है, इसका समाधान ढूंढ़ते रहे। अब देखना यह होगा कि डेढ़ साल प्रवेश द्वार को दिया गया नया लुक को सुधरवाया जाता है या फिर नहीं। * नई ट्रेन या विस्तार पर नहीं दिए सकारात्मक जवाब नई ट्रेन चलाने और बिलासपुर में रुकने वाली ट्रेनों को कोरबा तक विस्तार देने के साथ ही फेस्टिवल स्पेशल ट्रेन चलाने की बात पर जीएम ने कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया। यही नहीं, ग्राम बालपुर से सारागांव बाइपास पर रायगढ़ को कोरबा से जोड़ने के सवाल पर भी उन्होंने देखने की बात कहकर बचने की कोशिश करते रहे। उल्टा स्पेशल ट्रेन के सवाल पर उन्होंने यात्री क्षमता गिना दिए, लेकिन उन्होंने यह जानने की कोशिश नहीं की कि स्पेशल ट्रेन जो चलाई गई थी, उसकी टाइमिंग यात्रियों के लिए उचित थी भी या नहीं। * देश की कोयला जरूरत पूरी करना प्राथमिकता जीएम तरुण प्रकाश ने कहा की कोरबा कोयला हब के रूप में जाना जाता है, जहां से देश भर के संयंत्रों की कोल जरूरतें पूरी होती है। इस दिशा में रेल कॉरिडोर के साथ नई रेल परियोजनाओं पर मंथन किया जा रहा है। आगे चलकर कोल डिस्पैच से होने वाली बाधाएं दूर हो जाएंगी। इसी दिशा में उरगा से गेवरारोड के बीच बायपास लाइन बिछाई गई है, जिससे काफी हद तक कोरबा शहर के बीच चलने वाली ट्रेनों का दबाव कम हो जाएगा। रेल कॉरिडोर से यह समस्या नहीं के बराबर रह जाएगी। 16 अक्टूबर / मित्तल