“राजनीति के एक युग का हुआ अवसान” * स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल शामिल होंगे अंतिम यात्रा में शामिल कोरबा (ईएमएस) छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष व अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य में बनवारी भैया के नाम से आम अवाम में स्थान बनाने वाले स्व. बनवारी लाल अग्रवाल का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ मोतीसागर पारा के मुक्तिधाम में किया जाएगा। यहां उन्हें ससम्मान सलामी दी जाएगी। इसके पूर्व तिरंगा ध्वज में लिपटे उनके पार्थिव देह की अंतिम यात्रा दोपहर करीब 3 बजे दुरपा रोड, कोरबा स्थित निवास से अंतिम दर्शन के पश्चात प्रारम्भ होगी। निधन का समाचार मिलते ही परिजनों, शुभचिंतकों, राजनीतिक दलों के लोगों, प्रभुद्धजनो, व्यवसाईयों, सहित नगरजनों का उनके निवास पर पहुंच उनके अंतिम दर्शन हेतु होड़ है। * सिद्धांतवादी नेता स्मृति शेष बनवारी लाल अग्रवाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध और एक सिद्धांतवादी भाजपा नेता थे। छत्तीसगढ़ राज्य गठित होने के बाद वे राज्य के पहले विधानसभा उपाध्यक्ष बने थे। उनका जाना प्रदेश व भाजपा की राजनीति के एक युग का अवसान की भांति है। * संक्षिप्त जीवन यात्रा बनवारी लाल अग्रवाल का जन्म पिता स्व. श्रीधर अग्रवाल 1 मई, 1947 जन्म स्थान ग्राम-जपेली, जिला-कोरबा में हुआ था। वे एम.एस.सी., बी.एड., एल.एल.बी. की शिक्षा उपरांत वकालत के पेशे से जुड़े। उनकी अभिरुचि प्रारंभ से ही अध्ययन-अध्यापन में रही। उनका विवाह पुष्पा देवी अग्रवाल के साथ संपन्न हुआ। वर्ष 1968-72 में छात्र जीवन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य रहे। वे व्याख्याता, छत्तीसगढ़ उच्चतर माध्यमिक शाला, बिलासपुर में सेवा दिए। अध्यापक, सावन पब्लिक स्कूल आवासीय अंग्रेजी माध्यम विद्यालय नई दिल्ली में भी सेवा दिए। वेदीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली के कार्यों में संलग्न रहे। वे संगठन मंत्री का दायित्व गोण्डा ग्रामोदय प्रकल्प में निभाते रहे। संगठन महामंत्री बिलासपुर भाजपा कमेटी का भी पद उन्होंने संभाला। 1990-92 के मध्य विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण कोरबा (साडा) के अध्यक्ष रहे। वर्ष 1993 में प्रथम बार और 1998 में दूसरी बार विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। सदस्य, लोक लेखा, प्रश्न एवं संदर्भ, प्रत्यायुक्त विधान, गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों एवं संकल्पों, आवास समिति एवं भारतीय संसदीय संघ म.प्र. शाखा का दायित्व निभाया। 1996-97 में सदस्य, भाजपा प्रदेश अनुशासन समिति रहे। वर्ष 2000 में सदस्य, सामान्य प्रयोजन समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा रहे। विशेष आमंत्रित, कार्यमंत्रणा समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा में शामिल रहे। पदेन सभापति, पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा का भी दायित्व निभाया। वर्ष 2001 में प्रदेश कोषाध्यक्ष छत्तीसगढ़ भाजपा सरस्वती शिशु मंदिर, रोटरी क्लब एवं लायंस क्लब से संबद्ध रहे। 28 मार्च 2001 से 9 मार्च 2003 तक वे छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपाध्यक्ष पद का संवैधानिक दायित्व बखूबी निर्वहन किए। इसके पश्चात मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ के विभाजन के बाद, उन्होंने 2003 का विधानसभा चुनाव कटघोरा निर्वाचन क्षेत्र से लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद, उन्होंने 2008 का विधानसभा चुनाव कोरबा से लड़ा और केवल 587 मतों के अंतर से चूक गए। इस चुनाव के बाद से उन्होंने अपना सारा समय पार्टी संगठन और परिवार को दिया। समय ने उनके युवा पुत्र को असमय काल के गाल में समा दिया जिसके बाद से वे टूट-सा गए किन्तु परिवार ने संभाला। कुछ समय से उनकी तबियत बिगड़ने लगी थी, और अन्ततः विधाता के विधान के समक्ष वे शरणागत होकर चिरनिद्रा में विलीन हो गए। उनका निधन प्रदेश व कोरबा जिले की राजनीति के लिए अपूर्णीय क्षति है। 16 अक्टूबर / मित्तल