विज्ञान लोकप्रियकरण में हिंदी को बढ़वा देने की आवश्यकता है आज हिंदी विज्ञान के प्रति घटती रुचि का मुख्य कारण विज्ञान को अंग्रेजी से कम रोजगारपरक मानना, हिंदी की कठिन शब्दावली, और विज्ञान शिक्षण के वैज्ञानिक दृष्टिकोण की कमी है। इसके अलावा, भाषा को निम्न-दर्जे का मानने की धारणा और हिंदी भाषी क्षेत्रों में विज्ञान को बढ़ावा देने वाले प्रभावी प्रयासों की कमी भी इसे प्रभावित करती है। रोजगार से जुड़ाव: अंग्रेजी को रोजगार की भाषा के रूप में देखा जाता है, जबकि हिंदी के साथ सीधा रोजगार का संबंध कम माना जाता है। : कई बार जानबूझकर कठिन हिंदी शब्दावली का उपयोग किया जाता है, जिससे आम लोग विज्ञान से दूर हो जाते हैं। गलत दृष्टिकोण: बच्चों में यह धारणा पैदा की जाती है कि विज्ञान केवल तेज बच्चों के लिए है, जिससे उनकी रुचि कम हो जाती है। भाषा का निम्न-दर्जा: भाषा के निम्न-दर्जे का होने या पर्याप्त आधुनिक न होने की गलत धारणाएं हैं, जो युवाओं को हिंदी से दूर करती हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण की कमी: विज्ञान के प्रति रुचि जगाने के लिए वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने और तार्किक क्षमता विकसित करने पर कम जोर दिया जाता है। समाधान प्रभावी शिक्षण: विज्ञान को सरल और रुचिकर बनाने के लिए प्रभावी शैक्षिक तरीकों का उपयोग करना चाहिए। द्विभाषीवाद को बढ़ावा: हिंदी और अंग्रेजी दोनों के महत्व को समझते हुए, विज्ञान के शिक्षण में द्विभाषी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। लोकप्रिय माध्यमों का उपयोग: विज्ञान को लोकप्रिय संस्कृति और मीडिया के माध्यम से प्रस्तुत करना चाहिए। गलत धारणाएं दूर करना: विज्ञान केवल तेज बच्चों के लिए है जैसी गलत धारणाओं को दूर करना चाहिए और यह समझाना चाहिए कि विज्ञान से तार्किक क्षमताएं बढ़ती हैं। हिंदी विज्ञान साहित्य ने अपने स्थापना 1968 से 2025 तक हिंदी विज्ञानं के क्षेत्र में विज्ञानं लोकप्रियकरण में देश के विकास में एक मिल का पत्थर साबित हुई है शब्दावली हिंदी विज्ञानं साहित्य परिषद की मुख्य पत्रिका का 57 वा अंक का ऑनलाइन प्रकाशित हो गई वैज्ञानिक पत्रिका के जुलाई दिसंबर 25 अंक का सफल प्रकाशन व विमोचन 17 अक्टूबर 25 को किया गया जो विज्ञान संचार के लिए दृढ़ संकल्पीत है और वैज्ञानिक ज्ञान से परिपूर्ण है वैज्ञानिक पत्रिका के मुख्य संपादक श्री ब्रजेश कुमार सिन्हा ने कार्यवाहक मुख्य संपादक के रूप में नियुक्त हुए जो पटना के रहने वाले एक वरिष्ठ इंजीनियर है जो एन आर बी, परमाणु ऊर्जा विभाग मुंबई में कार्यरत हैं उन्होंने भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई की है और मुंबई के अखिल भारतीय हिंदी विज्ञान संस्थान में उपाध्यक्ष के पद का भी कार्यभार ग्रहण किया हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद, मुंबई की राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका वैज्ञानिक वैज्ञानिक के मुख्य संपादक के रूप में अतिरिक्त भार ग्रहण करते हुए वैज्ञानिक के 2 अंक, जुलाई सितम्बर व अक्टूबर - दिसंबर 25 का सफलतापूर्ण संपादन किया इसके साथ ही मुंबई के श्री राज कुमार डाबरा, प्रसार व्यवस्थापक के रूप में पदभार ग्रहण किया जो परिषद के कोषाध्यक्ष भी है चूंकि नियम के अनुसार व्यवस्थापक मंडल में 4 ही सदस्य रह सकते हैं अतः सर्वसम्मति से एक अतरिक्त पद का सृजन किया गया जो परिषद के नियम के अनुसार है वैज्ञानिक का जुलाई दिसंबर -25 का अंक दो अंक को मिलाया गया है जो नियम के अनुसार किया गया है जैसे की किसी भी मासिक पत्रिका साल में एक़ बार दो अंक एक साथ निकाल सकती है वैसे ही दो साल में क़ोई भी तिमाही पत्रिका दो साल में एक बार सयुंक्त अंक निकाल सकती है वैज्ञानिक का जुलाई दिसंबर 25 का सयुंक्त अंक देश के भारतीय वायुसेना के शौर्य व पराक्रम के ऊपर केंद्रित है और लेख में स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस को भी शामिल किया गया है देश की वायुसेना का स्थान आज पूरे विश्व में तीसरे स्थान पर है यह अंक वायु योद्धाओं के साहस और समर्पण का सम्मान करता है, और वायु सेना की क्षमताओं और ऐतिहासिक उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाला अंक है वैज्ञानिक के इस अंक का सफल प्रकाशन 17 अक्टूबर 25 को किया गया इसके अलावा इस अंक में अन्य वैज्ञानिक विषयो पर भी लेख है जिसमें पर्यावरण, कृषि वैज्ञानिकों के जीवन पर, डॉ कलाम साहब व विज्ञान प्रश्न मंच को भी छात्रों के लिए नियमित रूप से स्थान दिया गया है जिसमें लेखकीय अवदान मुख्य रूप से डॉ सरोज शुक्ला, डॉ संजय कुमार, डॉ संजय रामण,डॉ मनीष मोहन गोरे, डॉ दया शंकर त्रिपाठी, बीएन मिश्र, श्री उत्तम सिंह गहरवार, डॉ मीनाक्षी पाठक, डॉ हेमलता पंत, डॉ ज्योति वर्मा,निधि गुप्ता, आदित्य शर्मा, दीपांशी मिश्रा एवं मनहर कृष्णा ओझा, डॉ दीपक कोहली व डॉ विजय लक्ष्मी गिरि के विज्ञान लेख हैं इस अंक को कई वैज्ञानिक, पूर्व आईपीएस अधिकारी पत्रिका के संपादक व अन्य पाठकों ने विज्ञान के लोकप्रियता हेतु एक सराहनीय कदम बताया है जिसमें पर्यावरण ऊर्जा टाइम के संपादक ने बधाई व शुभकामनायें प्रेषित की है। ईएमएस / 21 अक्टूबर 25