( संयुक्त राष्ट्र संघ स्थापना दिवस- 24 अक्टूबर 2025) आज 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थापना दिवस है, आज के दिन लोगों को जानना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र संघ दुनिया को चलाने में अपनी भूमिका कैसे निभाता है। पूरी दुनिया के मुल्कों में शांति रहे सभी राष्ट्रों पर एक अंकुश रहे कोई मुल्क किसी दूसरे मुल्क पर अत्याचार न करे, कोई किसी राष्ट्र की सीमा पर क़ब्ज़ा न करे, और पूरी दुनिया में आपसी सहयोग की भावना बढ़े ऐसे उद्देश्यों को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी। परंतु आज के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो लगता है जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रभाव कुछ कम हुआ है। लग रहा है जैसे पूरी दुनिया में उसकी पकड़ कमज़ोर होती जा रही है। रूस - यूक्रेन युद्ध, इजरायल - फ़िलीस्तीन युद्घ, अमेरिका की अनावश्यक दादागिरी, चाइना की भूमि विस्तार की नीतियां संयुक्त राष्ट्र संघ की सबसे बड़ी विफलताओं में गिना जा सकता है। बड़े - बड़े मुल्कों में संयुक्त राष्ट्र संघ के नियम नहीं चलते अमेरिका, रसिया, चाइना आदि मुल्कों के सामने संयुक्त राष्ट्र संघ बिल्कुल लाचार हो जाता है। यही कारण है कि आज संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के 78 वर्ष बीत जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका एवं उसके बदलते हुए परिदृश्य का अध्ययन करना ज़रूरी हो गया है। 1941 के अटलांटिक समझौते के तहत राज्यों को समानता और किसी भी प्रकार के शासन को चुनने की क्षमता प्रदान की गई थी। अटलांटिक समझौते के बाद तैयार किए गए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) घोषणापत्र पर 1942 में 26 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। 1944 में डंबर्टन ओक्स में चीन, रूस, अमेरिका और इंग्लैंड द्वारा प्रस्तुत विचारों के आधार पर, जून 1945 में सैन फ्रांसिस्को में 50 देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज पर बातचीत की गई थी। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को हुई थी। अपनी विभिन्न एजेंसियों की सहायता से, संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय शांति बनाए रखने, सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, पर्यावरण की रक्षा करने, मानवीय राहत में सहायता करने और महिलाओं और बच्चों के अधिकारों को बनाए रखने के लिए अपने प्रयासों को सिद्ध किया है। समझौते के बाद से, संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलताओं के साथ असफलताएँ भी रही हैं, जैसे सैन्य युद्धों को न रोक पाना परिणामस्वरूप लाखों लोग मारे गए, घायल हुए और विस्थापित हुए। शीतयुद्ध के दौरान नाटो-वारसा दोनों गुटों में भयंकर सैनिक प्रतिद्वंद्विता चल रही थी, दोनों ही ओर से व्यापक परमाणु हथियार एकत्रित किए जा रहे थे। दुनिया एक बार फ़िर बड़े महायुद्ध के मुहाने पर खड़ी थी। ऐसा लगता था कि तीसरा महायुद्ध छिड़ जाएगा और परमाणु हथियारों के प्रयोग से यह इतना विनाशकारी सिद्ध होगा कि सारी दुनिया ही नष्ट हो जाएगी। साम्राज्यवादी देश दुनिया का विनाश करने पर उतारू थे। शीतयुद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी भूमिका को बखूबी निभा पाया था। वास्तव में संयुक्त राष्ट्र संघ ने निरस्त्रीकरण तथा विश्वशान्ति की काफ़ी कोशिशें कीं। यही कारण है कि एक बड़े महायुद्ध का ख़तरा तो टल गया परन्तु छोटे-छोटे युद्ध दुनिया भर में होते रहे और आज भी हो रहे हैं जो किसी महायुद्ध से कम नहीं हैं। दुनिया भर में अगर कोई तीसरा महायुद्ध नहीं हुआ वो इसका महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि महाशक्तियां भी यह जानती हैं कि अगर महायुद्ध छिड़ा तो सारी दुनिया नष्ट हो जाएगी जिससे वे भी नहीं बचेंगे। व्यापक निरस्त्रीकरण तथा परमाणु हथियारों को समाप्त करने का विमर्श छिड़ा हुआ है, इसके बावज़ूद संयुक्त राष्ट्र संघ दुनिया दुनिया के अनेक देशों को परमाणु हथियार बनाने से न रोक सका। सफ़लता - असफ़लता किसी के साथ भी जुड़ी हुई होती हैं, परंतु संयुक्त राष्ट्र संघ आज भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देशों को धन, कार्यक्रम और विशेष एजेंसियों की मदद प्रदान करता है। यूएनडीपी यानि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम 141 देशों को सेवाएँ देता है, जिसका मुख्य लक्ष्य गरीबी उन्मूलन, असमानता और बहिष्कार को कम करना है। यह देशों को नीति निर्माण, संस्थागत क्षमता निर्माण और सतत विकास में मदद करता है। यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) बच्चों के अधिकारों और कल्याण को प्राथमिकता देता है। यह गरीबी, हिंसा, बीमारी और भेदभाव के खिलाफ काम करता है और बच्चों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने में मदद करता है। संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशीलता पर बहस हो सकती है, लेकिन इसके प्रयासों एवं अभी तक किए गए वैश्विक स्तर पर सकारात्मक सोच को भुलाया नहीं जा सकता। दुनिया 21वीं सदी में भारी चुनौतियों के साथ प्रवेश कर चुकी है, और संयुक्त राष्ट्र को एक बेहतर और शांतिपूर्ण भविष्य के लिए मौजूद रहना होगा। संयुक्त राष्ट्र के तहत दुनिया अधिक स्थायी रूप से आगे बढ़ सकती है, इसलिए सभी हितधारकों को इस पर भरोसा करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र निरर्थक नहीं है और निकट भविष्य में नहीं होगा, क्योंकि यह महत्वपूर्ण समस्याओं पर लोकतांत्रिक तरीके से विमर्श करता है दुनिया को रास्ता भी दिखाता है। संयुक्त राष्ट्र ने अपने मूल सिद्धांतों और प्रक्रियाओं को बनाए रखते हुए नए कार्यों को जोड़ा है और सुधार किया है। इसने कई युद्धों को रोका है और मानवीय पीड़ा को कम किया है। यही कारण है कि तमाम विफलताओं के बावजूद भी संयुक्त राष्ट्र संघ पूरी दुनिया के लिए बेहद जरूरी है। सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र संघ को बनाए रखने के लिए साझा प्रयास करना चाहिए। (लेखक पत्रकार हैं) ईएमएस / 23 अक्टूबर 25