राज्य
26-Oct-2025
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- जांच रिपोर्ट में MGM मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ही गंभीर बीमार इन्दौर (ईएमएस) प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल इन्दौर के एम वाय अस्पताल में विगत दिनों चूहों के कुतरने के बाद दो नवजातों की मौत के हृदय विदारक मामले में गठित जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में उल्लेखित किया गया है कि 30 और 31 अगस्त को एमवाय अस्पताल की पीडियाट्रिक सर्जिकल वार्ड में भर्ती दो नवजात को चूहों ने कुतर दिया। इसके बाद भी सीनियर डॉक्टर इलाज के लिए नहीं पहुंचे। दोनों को रेसीडेंट डॉक्टर के भरोसे छोड़ दिया। इससे पता चल रहा है कि पूरा एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन बीमार है। डीन और अधीक्षक को भी घटना के लिए जिम्मेदार मानते रिपोर्ट में इस घटना के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और एमवाय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक यादव को भी लापरवाहों की श्रेणी में रखा गया है। जांच रिपोर्ट बता रही है कि डीन को अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना था, जो नहीं किया। वहीं एमवाय अस्पताल के अधीक्षक भी अपनी जिम्मेदारी से दूर रहे। इसलिए दोनों भी इस घटनाक्रम के जिम्मेदार हैं। बता दें कि एम वाय अस्पताल में हुए इस हृदय विदारक चूहा कांड से दो नवजात की मौत के बाद दो समितियों का गठन किया गया था जिन्होंने जांच कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है । राज्य स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को बीमार बताते कहा है कि घटना के बाद दोनों नवजातों की हालत गंभीर हुई, लेकिन कोई सीनियर डॉक्टर इलाज करने नहीं पहुंचे। दोनों समितियों की रिपोर्ट में इसे घोर लापरवाही माना गया है। जांच में पाया गया है कि प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार जोशी ने दोनों मरीजों के उपचार के लिए निर्देश नहीं दिया। कंसल्टेंट डॉ. पूजा तिवारी और डॉ. विनोद ने भी इलाज नहीं किया। दोनों बच्चों की गंभीर हालत होने के बावजूद रेसीडेंट डॉक्टर के भरोसे छोड़ दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक नवजात को 30 अगस्त की देर रात चूहे ने कुतर दिया था। मौके पर मौजूद नर्सिंग स्टाफ और रेसीडेंट डॉक्टरों ने इस संबंध में अधिकारियों को जानकारी पहुंचाई। रविवार अवकाश होने के कारण एक भी सीनियर और कंसल्टेंट डॉक्टर इलाज के लिए नहीं पहुंचे। उन्होंने जिम्मेदारी से बचने के लिए नवजातों पर ध्यान नहीं दिया और घर पर आराम करते रहे। एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। ऑपरेशन के बाद 5 दिन तक देवास जिले के नवजात का ऑक्सीजन लेवल 95 प्रतिशत था, जो सामान्य माना जाता है, लेकिन चूहे से कुतरने के बाद ऑक्सीजन लेवल अचानक कम हो गया और उसकी हालत गंभीर हो गई। इसी प्रकार धार जिले से आए नवजात के इलाज में भी लापरवाही बरती गई। यही कारण है कि दोनों नवजात ने दम तोड़ दिया। ज्ञात हो कि एम वाय अस्पताल के इस हृदय विदारक चूहा कांड केस बाद निचले स्तर पर के कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन और ट्रांसफर कार्रवाई की गई थी। अब जब रिपोर्ट में उच्च प्रबंधन को ही जिम्मेदार मानते उनकी लापरवाही बताई है तो देखना होगा कि उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।