ज़रा हटके
02-Nov-2025
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लंदन (ईएमएस)। तकनीक को अब केवल युवाओं की दुनिया कहना गलत होगा। क्योंकि तकनीक अब बुजुर्गों की दिनचर्या का अहम हिस्सा है। जो समय पहले टीवी, धार्मिक ग्रंथ या अख़बारों में बीतता था, वह अब स्मार्टफोन, टैबलेट और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बीत रहा है। हालिया अध्ययन में सामने आया हैं कि बुजुर्गों में टेक्नोलॉजी एडिक्शन पिछले 10 सालों में 60 प्रतिशत बढ़ा है, जिससे उनकी नींद, मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक सक्रियता पर असर पड़ रहा है। हाल ही में 72 वर्षीय महिला का इलाज किया, जो स्मार्टफोन गेमिंग की लत से जूझ रही थीं। पहले जहां यह केंद्र किशोरों के इलाज के लिए मशहूर था, अब यहां बुजुर्गों की संख्या भी बढ़ने लगी है। अब तक 67 से अधिक बुजुर्ग इस तरह की लत के इलाज के लिए भर्ती हो चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 65 वर्ष से ऊपर के लोग अब अपने समय का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा टीवी और डिजिटल डिवाइस पर बिताते हैं। वे मनोरंजन के अलावा सोशल मीडिया, ऑनलाइन बैंकिंग, शॉपिंग और गेमिंग में भी सक्रिय हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव उनके मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक रिश्तों को प्रभावित कर रहा है। अमेरिका में 2015 में जहां 65 वर्ष से ऊपर के सिर्फ 20 प्रतिशत लोगों के पास स्मार्टफोन था, वहीं अब यह आंकड़ा 80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। अब बुजुर्ग केवल फोन ही नहीं, बल्कि टैबलेट, स्मार्ट टीवी, ई-रीडर और स्मार्टवॉच का भी उपयोग कर रहे हैं। ब्रिटेन में बुजुर्ग औसतन रोजाना 3 घंटे ऑनलाइन रहते हैं। अगर टीवी और इंटरनेट दोनों को मिलाया जाए, तब बुजुर्गों का स्क्रीन टाइम युवाओं से भी ज्यादा हो गया है। दक्षिण कोरिया में हुए अध्ययन के अनुसार, 60 से 69 वर्ष के 15 प्रतिशत बुजुर्ग स्मार्टफोन एडिक्शन के खतरे में हैं। जापान और चीन की रिसर्च में पाया गया है कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम नींद में कमी, तनाव और शारीरिक निष्क्रियता का कारण बन रहा है। बुजुर्गों के डिवाइस अक्सर बैंक खातों से जुड़े होते हैं, जिससे ऑनलाइन ठगी का खतरा भी बढ़ जाता है। हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि तकनीक ने बुजुर्गों के जीवन में नए अवसर खोले हैं, जैसे ऑनलाइन योग, धार्मिक सेवाएं, बुक क्लब और परिवार से वीडियो कॉल जो उन्हें सामाजिक रूप से जोड़ने में मदद कर रहे हैं। आशीष/ईएमएस 02 नवंबर 2025