राष्ट्रीय
15-Nov-2025
...


नई दिल्ली (ईएमएस)। गहरी नींद और अच्छे स्वास्थ्य का प्राकृतिक रहस्य है आयुर्वेदिक रात्रिचर्या। दिनभर की भागदौड़ और तनाव के बाद जब शरीर विश्राम करता है, तभी वह अगले दिन के लिए नई ऊर्जा जुटा पाता है। रात का समय केवल नींद लेने का नहीं, बल्कि शरीर और मन दोनों की मरम्मत का समय होता है। आयुर्वेद में इसे ‘रात्रिचर्या’ कहा गया है यानी रात में अपनाई जाने वाली वे आदतें जो न केवल नींद की गुणवत्ता सुधारती हैं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को भी संतुलित रखती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, सोने से पहले कुछ सरल आदतें अपनाने से नींद गहरी होती है और मन शांत रहता है। सबसे पहले दिनभर के तनाव और चिंताओं को मन से निकाल दें। कुछ गहरी सांसें लेकर खुद को शांत करें यह एक तरह का मानसिक डिटॉक्स है जो मन को हल्का करता है। इसके बाद गुनगुने पानी से पैर धोना बेहद लाभकारी माना गया है। इससे शरीर का तापमान संतुलित होता है और नींद जल्दी आने लगती है। तलवों पर थोड़ा घी या नारियल तेल लगाकर हल्की मालिश करने से तंत्रिका तंत्र शांत होता है और नींद अधिक गहरी होती है। आयुर्वेद विशेषज्ञ नाभि और नाक में तेल डालने की सलाह भी देते हैं। नाभि में 2 बूंद घी या सरसों का तेल डालने से पाचन सुधरता है और त्वचा को पोषण मिलता है। वहीं, नाक में अणु तेल या घी की कुछ बूंदें डालने से मानसिक थकान दूर होती है और दिमाग को शांति मिलती है। अगर आपको दूध पसंद है, तो सोने से पहले हल्दी दूध, जायफल दूध या अश्वगंधा दूध पीना शरीर के लिए बेहद फायदेमंद रहता है। यह मांसपेशियों को आराम देता है और नींद को स्वाभाविक रूप से गहरी बनाता है। सोने से पहले मोबाइल, टीवी और लैपटॉप जैसी स्क्रीन से दूरी बनाना बहुत जरूरी है, क्योंकि इनसे निकलने वाली नीली रोशनी नींद के हार्मोन मेलाटोनिन के स्राव को बाधित करती है। इसके बजाय हल्का संगीत, मंत्र या ‘ॐ शांति’ का जप सुनना मन को सुकून देता है। कमरे की रोशनी मंद रखें, माहौल शांत बनाएं और चंदन या लैवेंडर जैसी प्राकृतिक खुशबू फैलाएं ये सुगंधें नींद को सहज और आरामदायक बनाती हैं। सोने से पहले प्रार्थना या दिनभर के प्रति आभार व्यक्त करना भी सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। आयुर्वेद के अनुसार, बाईं करवट सोना पाचन के लिए सबसे अच्छा माना गया है। वहीं, रात 9:30 से 10 बजे के बीच सोने का समय सबसे उत्तम है। सुदामा/ईएमएस 15 नवंबर 2025