वाराणसी (ईएमएस)। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में आज बिहार के दरभंगा जिले और ओडिशा के 47 किसानों के लिए एक विशेष पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। यह प्रशिक्षण आत्मा द्वारा प्रायोजित राज्य बाहर कृषक प्रशिक्षण एवं परिभ्रमण कार्यक्रम के तहत आयोजित किया जा रहा है, जिसका मुख्य विषय सब्जी की फसलों के माध्यम से फसल विविधीकरण है। इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य किसानों को फसल उत्पादन से लेकर मूल्य संवर्धन तक की आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों से अवगत कराकर उनकी आय में सतत वृद्धि करना है। संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार के मार्गदर्शन एवं डॉ. नीरज सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम समन्वयक, के नेतृत्व में आयोजित इस प्रशिक्षण में किसानों को सब्जी उत्पादन के व्यावहारिक पहलुओं से रूबरू कराया जा रहा है। कार्यक्रम के पहले दिन ही किसानों को संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा गहन प्रशिक्षण दिया गया। डॉ. रामेश्वर सिंह, मुख्य तकनीकी अधिकारी, ने बीज उत्पादन में व्यावहारिक अभिविन्यास पर व्याख्यान देते हुए बीज निर्माण की विधियों, प्रकारों और उन्नत उत्पादन तकनीकों के साथ-साथ बाजार की बारीकियों से भी अवगत कराया। इसी क्रम में, डॉ. प्रभाकर मोहन सिंह, एमेरिटस वैज्ञानिक, ने सब्जियों का बीज उत्पादन एवं भंडारण तकनीक विषय पर अपना व्यावहारिक ज्ञान साझा किया, जो किसानों के लिए दीर्घकालिक लाभ का विषय है। प्रशिक्षण के दौरान किसानों को संस्थान की अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं, पॉलीहाउस और प्रायोगिक खेतों का शैक्षणिक भ्रमण भी कराया गया। इस दौरान उन्होंने निम्नलिखित उन्नत तकनीकों को सीधे तौर पर देखा और समझा। अद्वितीय ग्राफ्टिंग तकनीक से तैयार ब्रिमैटो (ब्रिन्जल-टमाटर) और पोमैटो (पोटैटो-टमाटर) के पौधे। · ग्राफ्टेड मिर्च व टमाटर की उन्नत किस्में। · मिर्च, बैंगन, मूली और पंख वाली सेम की नई और उच्च उपज वाली किस्में। · मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन जैसे आय के वैकल्पिक स्रोत। · वर्मी कम्पोस्ट एवं एनएडीईपी कम्पोस्ट निर्माण की विधियाँ। · हाइड्रोपोनिक खेती, स्वचालित नियंत्रण वाले पॉलीहाउस और जैविक खेती के आधुनिक मॉडल। इस प्रशिक्षण का लक्ष्य किसानों को केवल सिद्धांत नहीं, बल्कि वे व्यावहारिक कौशल देना है जो उनकी रोजमर्रा की खेती में क्रांतिकारी बदलाव ला सकें। सब्जियों के माध्यम से फसल विविधीकरण न केवल जोखिम कम करता है बल्कि आय के नए द्वार भी खोलता है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 28 नवंबर तक चलेगा, जिसमें किसानों को विपणन रणनीतियों और मूल्य संवर्धन पर भी विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। डॉ नरसिंह राम /२४/११/2025