राज्य
24-Nov-2025
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:: जैनाचार्य का इंदौर चातुर्मास सम्पन्न; दूधिया ग्राम से हाटपीपल्या के लिए मंगल विहार, समाजबंधुओं ने दी भावभीनी बिदाई :: इंदौर (ईएमएस)। आज समूचा विश्व कई तरह की समस्याओं और चुनौतियों से जूझ रहा है तब मनुष्य का मानसिक भटकाव रोकना हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। हमारा जिनशासन इतना व्यापक, उदार, समृद्ध और सक्षम है कि हम मंत्रों और ग्रंथों के माध्यम से भी शांति, संयम और साधना के मार्ग पर समाज को अग्रसर बना सकते हैं। मनुष्य जीवन में हर क्षण अनेक तरह के बदलाव आते रहते हैं, यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है। सबकुछ बदलने वाले इस युग में यदि हम अपने गुरुदेव द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर स्वयं पर नियंत्रण पाना सीख लें तो जीवन में बहुत कुछ शांति और स्थिरता मिलना संभव है। हमारे धर्म ग्रंथों में इतनी शक्ति है कि हम दुनियाभर में एक संयमित और स्थिर तथा साधना से परिपूर्ण मानव समाज की स्थापना कर सकते हैं। ये दिव्य और प्रेरक विचार हैं युवा हृदय सम्राट जैनाचार्य प.पू. विश्वरत्न सागर म.सा. के जो उन्होंने सोमवार को नेमावर रोड स्थित ग्राम दूधिया में नाहर जैन उपाश्रय में आयोजित धर्मसभा में आशीर्वचन और अपने वर्ष 2025 के इंदौर चातुर्मास से बिदाई की बेला में व्यक्त किए। आचार्यश्री की अगवानी में उपाश्रय परिसर में आकर्षक रंगोली एवं पुष्प-सज्जा की गई थी। प्रारंभ में चातुर्मास आयोजन समिति की ओर से समाजसेवी कैलाश नाहर, सुमित नाहर, पुण्यपाल सुराना, राजकुमार नाहर, निशा-नेहा नाहर, राहुल जैन, शुचिता एवं लीशा ने आचार्यश्री एवं उनके साथ आए गणिवर्य उदयरत्न सागर म.सा. की ससंघ अगवानी की। आचार्यश्री इंदौर से विहार कर दूधिया स्थित नाहर उपाश्रय पहुंचे और वहां की गतिविधियों का अवलोकन कर वहां चल रहे प्रकल्पों की खुले मन से प्रशंसा की। आचार्यश्री एकम अन्य संत तत्पश्चात हाटपीपल्या के लिए विहार कर गए। बड़ी संख्या में समाजबंधु उनके साथ चल रहे हैं। अपने आशीर्वचन में आचार्यश्री ने इंदौर में नरसिंह वाटिका, दलाल बाग और अन्य स्थानों पर आयोजित चातुर्मासिक अनुष्ठानों के दौरान मिले स्नेह और सम्मान से अभिभूत होकर कहा कि इंदौर ऐसी नगरी है जहाँ धर्म और संस्कृति का प्रवाह बारह मास, चौबीसों घंटे बना रहता है। इंदौर माँ अहिल्या की नगरी तो है ही, महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर के बीच होने से इस नगरी के रग-रग में पुण्य का प्रवाह निर्झरित बना रहता है। यहाँ के समाजबंधुओं, जन प्रतिनिधियों और आम लोगों से जिनशासन को जो स्नेह, प्रेम और सम्मान मिला है, वह हमारे लिए सबसे बड़ी पूँजी है। कार्यक्रम का संचालन राजकुमार नाहर ने किया और अंत में आभार माना कैलाश नाहर ने। प्रकाश/24 नवम्बर 2025 संलग्न चित्र : जैनाचार्य विश्वरत्न सागर म.सा. की दूधिया स्थित नाहर जैन उपाश्रय में अगवानी करते श्रद्धालु।