नई दिल्ली(ईएमएस)। रुसी राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा खत्म होने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की की संभावित भारत यात्रा की तैयारियों ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई दिल्ली यात्रा के बाद अब यूक्रेन के शीर्ष नेतृत्व के भारत आने की संभावना मजबूत मानी जा रही है। यदि सब कुछ तय समय के अनुसार हुआ तो जेलेंस्की अगले साल की शुरुआत में भारत का दौरा कर सकते हैं, हालांकि इस यात्रा की औपचारिक पुष्टि अभी नहीं की गई है। यह यात्रा पुतिन के दौरे के करीब एक महीने बाद होगी, जिससे भारत की संतुलित विदेश नीति को और मजबूती मिलने की उम्मीद है। चर्चा ये भी हो रही है कि क्या दोनों देशों के बीच पीएम नरेंद्र मोदी शांति बहाल करा देंगे। सूत्रों के अनुसार, बीते कई हफ्तों से भारतीय और यूक्रेनी अधिकारियों के बीच संवाद जारी है। पुतिन के भारत पहुंचने से पहले ही नई दिल्ली ने जेलेंस्की के कार्यालय से संपर्क साधा था। भारत का प्रयास दोनों देशों से बातचीत जारी रखते हुए शांति की दिशा में अपनी भूमिका को मजबूत करना है। याद दिला दें कि जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस गए थे और इसके एक महीने बाद वे यूक्रेन पहुंचे यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा थी। दोनों देशों ने उस दौरान द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक ले जाने में रुचि व्यक्त की थी। अगस्त 2025 में यूक्रेन में भारत के राजदूत ओलेकसांडर पोलिशचुक ने बताया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेंस्की को भारत आने का निमंत्रण दिया है और दोनों पक्ष सुविधाजनक तारीख तय करने पर काम कर रहे हैं। उन्होंने भरोसा जताया था कि यह यात्रा निश्चित रूप से होगी। जेलेंस्की की प्रस्तावित यात्रा कई बाहरी और आंतरिक परिस्थितियों पर निर्भर मानी जा रही है। इनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना, युद्ध की स्थिति और यूक्रेन की घरेलू राजनीति शामिल है। हाल ही में यूक्रेन सरकार बड़े भ्रष्टाचार विवादों का सामना कर रही है, जिसके चलते जेलेंस्की के करीबी सहयोगी और चीफ ऑफ स्टाफ आंद्रिय यरमाक का इस्तीफा भी चर्चा में रहा। ऐसे बदलावों के बीच भारत नई टीम से संपर्क साधकर संवाद को आगे बढ़ा रहा है। भारत शुरू से ही रूस-यूक्रेन युद्ध पर संतुलित रुख अपनाता रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन के ताज़ा भारत दौरे के दौरान स्पष्ट कहा था कि भारत किसी पक्ष का समर्थन नहीं करता, बल्कि शांति का पक्षधर है। विदेश मंत्रालय भी लगातार कूटनीतिक समाधान को ही एकमात्र रास्ता बता रहा है। पुतिन के साथ हालिया वार्ता के बाद संयुक्त बयान में यूक्रेन युद्ध का सीधा उल्लेख न होना भी कूटनीति की नई दिशा दर्शाता है। ऐसे में यदि जेलेंस्की जनवरी 2026 में भारत आते हैं, तो यह भारत की उस नीति को और मजबूती देगा जिसके तहत वह रूस और यूक्रेन दोनों से संवाद बनाए रखते हुए शांति स्थापित करने में सेतु की भूमिका निभाना चाहता है। यह दौरा भारत-यूक्रेन संबंधों को भी नई ऊंचाई दे सकता है। पीएम मोदी और जेलेंस्की की 8 बार हुई बात युद्ध की शुरुआत से अब तक प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच कम से कम आठ बार फोन पर बातचीत हो चुकी है, जबकि चार बार दोनों नेता आमने-सामने मिले हैं। सबसे हालिया बातचीत अगस्त 2025 में हुई थी, जब पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन में भाग लेने चीन पहुंचे थे। पुतिन की यात्रा के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय भारत पर नजर बनाए हुए है। कई यूरोपीय देशों ने भारत से रूस को युद्ध समाप्त करने के लिए मनाने की अपील भी की थी। इसी बीच अमेरिका द्वारा रूसी तेल पर अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने से भारत ने आयात में कटौती भी करनी पड़ी। वीरेंद्र/ईएमएस 09 दिसंबर 2025