राष्ट्रीय
21-Dec-2025
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:: छत्रीबाग रामद्वारा में सत्संग के बाद गुजरात के डाकोरजी के लिए प्रस्थान :: इंदौर (ईएमएस)। अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य जगद्गुरु स्वामी रामदयाल महाराज ने कहा है कि संत और महापुरुषों की सन्निधि मनुष्य को उसके अनंत जन्मों की तपस्या के बाद ही प्राप्त होती है। हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि इस कलिकाल में भी हमें महापुरुषों का सानिध्य सहजता से मिल रहा है। संतों का संपूर्ण जीवन समाज और राष्ट्र के कल्याण की भावना से ओतप्रोत होता है और उनकी प्रत्येक क्रिया में केवल परमार्थ का चिंतन ही निहित रहता है। वे रविवार को इंदौर के छत्रीबाग रामद्वारा में आयोजित भव्य सत्संग सभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को आशीर्वचन दे रहे थे। आचार्य स्वामी रामदयाल महाराज ने रामस्नेही संप्रदाय के आद्याचार्य स्वामी रामचरण महाराज के विराट व्यक्तित्व का स्मरण करते हुए कहा कि उनके पुण्य स्मरण मात्र से जीवन के सभी संशयों का समाधान संभव है। उन्होंने तत्कालीन समाज को राम नाम के माध्यम से चैतन्य और ऊर्जावान बनाया था। सत्संग के प्रारंभ में छत्रीबाग रामद्वारा ट्रस्ट की ओर से लक्ष्मी कुमार मुछाल, रामसहाय विजयवर्गीय, रामनिवास मोड़, देवेन्द्र कुमार मुछाल, गिरधर गोपाल नेमा, हेमंत काकानी एवं वासुदेव सोलंकी ने आचार्यश्री की अगवानी की और आरती उतारी। आशीर्वचन के पश्चात ट्रस्ट मंडल और बड़ी संख्या में उपस्थित भक्तों ने आचार्यश्री को भावपूर्ण विदाई दी, जिसके बाद वे गुजरात के डाकोरजी में आयोजित एक मंदिर कार्यक्रम के लिए प्रस्थान कर गए। :: आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का किया समाधान :: इससे पूर्व शनिवार शाम को आयोजित प्रश्नोत्तरी सत्र के दौरान आचार्यश्री ने भक्तों की धार्मिक और आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मनुष्य के कर्म ही उसके भाग्य का निर्धारण करते हैं। हमारे कर्मों में जितनी अधिक श्रेष्ठता और पवित्रता होगी, हमारा जीवन उतना ही अधिक सहज, सरल और सफलता की ऊंचाइयों को छूने वाला बनेगा। उन्होंने श्रद्धालुओं का आह्वान किया कि वे संतों के सानिध्य में रहकर अपने जीवन को सार्थक बनाएं। कार्यक्रम के दौरान रामद्वारा परिसर राम नाम के जयकारों से गुंजायमान रहा और भक्तों ने आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रकाश/21 दिसम्बर 2025