:: अटल फाउंडेशन की मेजबानी में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जन्म शताब्दी समारोह में देश के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के उद्गार :: :: ग्वालियर में 25 दिसम्बर को पांच लाख करोड़ के उद्योगों का भूमि पूजन अटलजी को समर्पित रहेगा : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इंदौर (ईएमएस)। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी एक दूरदृष्टा और देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ऐसे सिद्धांतवादी राजनेता थे, जिन्होंने अपने तीनों कार्यकाल में देश को आगे बढ़ाने की दिशा में कभी समझौता नहीं किया। वे अपने नाम के अनुरूप हमेशा अपनी बातों, अपने वचनों और अपने आदर्शों के प्रति अटल रहे। देश से लेकर विदेशों तक उन्होंने भारत की साख को आगे बढ़ाया। परमाणु बम विस्फोट से लेकर पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान भी उनकी भूमिका हमेशा सुलझी हुई रही। उन्होंने एक पत्रकार, राजनेता, समाजसेवी, साहित्यकार और प्रधानमंत्री के रूप में अपने सोच, विचार और चिंतन में आम आदमी को ही प्राथमिकता दी। उनके कार्यकाल में तीन नए राज्यों के गठन, पोखरण परमाणु विस्फोट, स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, गाँवों को सड़कों से जोड़ने सहित अनेक ऐसे काम हैं जो हमेशा याद रहेंगे। वे आज भी हमारे दिलों में बसते हैं। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उनके बताए रास्ते पर चलकर देश को विकास के नए आयाम दे रहे हैं। ये विचार हैं देश के उप राष्ट्रपति चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन के, जो उन्होंने भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जन्म शताब्दी समारोह की श्रृंखला में अटल फाउंडेशन इंदौर की मेजबानी में आयोजित “शून्य से शतक – एक शताब्दी अटल भारत की” कार्यक्रम में डेली कॉलेज परिसर स्थित धीरुभाई अंबानी सभागृह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। राज्यपाल महामहिम मंगूभाई पटेल एवं राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे जिन्होंने राष्ट्रकवि पं. सत्यनारायण सत्तन, पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया, प्रख्यात क्रिकेटर संजय जगदाले एवं वन्य जीवों के संरक्षण में जुटे सागर के पारंग शुक्ला को शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। अतिथियों ने इस अवसर पर भारत रत्न महाअटल महाग्रंथ के मुख पृष्ठ एवं अटलजी के जीवन से जुड़े चित्रों पर आधारित कैलेंडर का भी लोकार्पण किया जो कार्यक्रम के समापन पर मेहमानों को भेंट किए गए। कार्यक्रम में सर्वप्रथम नन्हे मुन्ने स्कूली बच्चों ने गणेश वन्दना प्रस्तुत की। इसके पूर्व राष्ट्रगान और वन्दे मातरम की प्रस्तुति के दौरान भारत माता की जय के उद्घोष से सभाग्रह गूँज उठा। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, राज्य के नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी मंच पर उपस्थित थे। अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम की सूत्रधार श्रीमती माला वाजपेयी तिवारी, नरेन्द्र तिवारी, अभिषेक तिवारी, संदीप मिश्रा, कपिल मिश्रा, रूचि मिश्रा, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता दीपक जैन टीनू, भाजपा नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा, पूर्वा तिवारी, भूपेश दलाल, श्रवण सिंह चावड़ा, सत्यम शुक्ला, उमाकांत मिश्रा, प्राची मिश्रा, सरदार गुरप्रीत सिंह, जयेश व्यास, शिवेश तिवारी तथा डेली कॉलेज परिवार की ओर से विक्रम सिंह पंवार देवास आदि ने किया और अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। कार्यक्रम का संचालन मप्र साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. विकास दवे ने किया। अटल फाउंडेशन की अध्यक्ष और अटलजी की भतीजी श्रीमती माला वाजपेयी तिवारी ने अपने स्वागत उद्बोधन में अटलजी से जुड़े प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए बताया कि अटलजी सभी भाई बहनों को बहुत चाहते थे और हर त्यौहार सबको साथ लेकर मनाना पसंद करते थे। अटलजी सहित कुल पांच भाई थे जिनमें उनके पिता पं. सदाविहारी वाजपेयी सबसे बड़े थे। मैं उनकी सबसे छोटी बेटी होने के नाते अटलजी की बहुत लाड़ली रही। मेरे लिए वे अपनी जेब में चोकलेट टॉफ़ी लेकर आते थे। फाउंडेशन के संरक्षक एवं पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया ने वैदिक ऋचाओं से अपनी बात शुरू करते हुए अटलजी की कुछ ओजस्वी कविताओं का उन्हीं के अंदाज में काव्य पाठ भी किया और अटलजी से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वे कार्यकर्ताओं को गढ़ने वाले नेता थे। कार्यक्रम में अटलजी के सौ वर्षों पर केन्द्रित एक वृत्त चित्र का प्रदर्शन भी किया गया जिसमें उनके जीवन से जुड़े अनेक दिलचस्प प्रसंगों का उल्लेख था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी राज्य में पहली बार आए उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन का देवी अहिल्या की नगरी, महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर की भूमि पर स्वागत करते हुए कहा कि अटलजी देश की राजनीति के शिखर पुरुष तो रहे ही, राजनीति के मर्यादा पुरुष भी रहे। उनका व्यक्तित्व इतना विराट था कि उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक यशस्वी उपलब्धियां हासिल की। यदि पार्टी के खाते में से अटलजी को एक तरफ रख दिया जाए तो बहुत बड़ी हानि होगी। उन्होंने एक संघ प्रचारक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की और प्रधानमंत्री के पद पर पहुँचने के बाद भी कभी पद की परवाह नहीं की। केवल एक वोट से अपनी सरकार गिराना मंजूर कर लिया लेकिन किसी के साथ समझौता नहीं किया। चौबीस दलों के साथ सरकार चलाना कोई मामूली बात नहीं है। उन्होंने उस समय की तीन महिला नेत्रियों ममता, जयललिता और मायावती से विरोध के चलते किस तरह सरकार चलाई, यह वही जानते हैं। परमाणु बम विस्फोट के समय उन्हें जितनी बार विदेशों से धमकी मिली, उन्होंने उतनी बार लगातार एक के बाद एक बम विस्फोट कर धमकी देने वालों को खूब चिढ़ाया। उन्होंने पाकिस्तान को भी टाइगर हिल के मामले में अच्छा सबक सिखाया। वे सही मायने में जमीन से जुड़े नेता रहे और पूरी दुनिया में भारत के गौरव को बढ़ाया। संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी बोलकर उन्होंने इतिहास रच दिया था। वे पद के पीछे कभी नहीं भागे। यह गौरव की बात है कि वे हमारे मध्यप्रदेश और ग्वालियर के निवासी रहे। इस बार अटलजी का 100वां जन्म जयंती समारोह तो है ही, आरएसएस की स्थापना का भी 100वां वर्ष है। हम 25 दिसम्बर को उनके जन्मदिन पर ग्वालियर में पांच लाख करोड़ से ज्यादा के उद्योगों का भूमि पूजन करने जा रहे हैं जो अटलजी को ही समर्पित रहेगा। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने भी अपने उद्बोधन में कहा कि अटलजी राजनीतिक नैतिकता और राष्ट्र धर्म की राह दिखाने वाले एक आदर्श व्यक्तित्व के नेता रहे। मुझे भी उनके सानिध्य में एक कार्यकर्ता के रूप में काम करने का अवसर मिला। 25 जून 1975 की रात को अहमदाबाद में एक जनसभा में जयप्रकाश नारायण संबोधित कर रहे थे और सूचना मिली कि अटलजी आने वाले हैं। उनके आने की खबर सुनते ही वहां दस हजार लोगों की भीड़ जमा हो गई। उनकी वाणी में सरस्वती का वास था। देश के वे पहले ऐसे नेता हैं जिनकी शव यात्रा में हजारों लोग पांच किलोमीटर तक पैदल चले। आज के युवा नेताओं को उनके जीवन चरित्र से प्रेरणा लेना चाहिए। करीब दो घंटे चले इस गरिमापूर्ण आयोजन में इंग्लिश चैनल पार करने वाले दिव्यांग तैराक पद्मश्री सत्येन्द्र सिंह लोहिया, कबीर भजन गायक पद्मश्री कालूराम बामनिया, पूर्व कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया, विधायक रमेश मेंदोला, मधु वर्मा, गोलू शुक्ला, भाजपा नेता निशांत खरे, भाजपा जिलाध्यक्ष श्रवण सिंह चावड़ा सहित बड़ी संख्या में शहर तथा मालवा निमाड़ अंचल के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। अंत में सांसद शंकर लालवानी ने आभार माना। राष्ट्रगान के साथ समापन हुआ। प्रकाश/21 दिसम्बर 2025